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Class 10 History V.V.I Subनjective Questions & Answer Chapter - 3 हिन्द - चीन में राष्ट्रवादी आन्दोल

Class 10 History V.V.I Subनjective Questions & Answer Chapter – 3 हिन्द – चीन में राष्ट्रवादी आन्दोल

                                         ( 2 – Marks Questions )

 

प्रश्न:1 रासायनिक हथियारों नापाम एवं एजेन्ट ऑरेंज का वर्णन करें ।

उत्तर – अगस्त , 1964 ई ० में अमेरिका ने उत्तरी वियतनाम पर आक्रमण कर दिया । इस आक्रमण में उसने खतरनाक हथियारों , टैंकों एवं बमवर्षक विमानों के व्यापक प्रयोग के साथ – साथ खतरनाक रासायनिक हथियारों का भी प्रयोग किया । रासायनिक हथियारों से केवल तोड़ – फोड़ नहीं होती वरन इसका पर्यावरण एवं मानव जीवन पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है । ऐसे ही कुछ रासायनिक हथियार थे – नापाम बम , एजेन्ट ऑरेंज तथा फॉस्फोरस बम । नापाम बम में नापाम नामक एक कार्बनिक यौगिक होता है जो अग्नि बमों में गैसोलिन के साथ मिलकर एक ऐसा मिश्रण तैयार करता है जो त्वचा से चिपक जाता और चलता रहता है । इससे विषैली गैस भी निकलती है ।एजेन्ट ऑरेंज एक ऐसा जहर है जिससे पेड़ों की पत्तियाँ तुरत झुलस जाती हैं एवं पेड़ मर जाते हैं । जंगलों को खत्म करने में इसका प्रयोग किया जाता है । इसका यह नाम ऑरेंज पट्टी बने ड्रामों में रखे जाने के कारण पड़ा । वियतनाम युद्ध में अमेरिका ने इसका इस्तेमाल जंगलों के साथ – साथ खेतों तथा आबादी पर भी जमकर किया । उस क्षेत्र में इसका असर जन्मजात विकलांगता तथा कैंसर के रूप में आज भी देखा जा सकता है ।

 

प्रश्न:2  हिन्द – चीन में फ्रांसीसी प्रसार का वर्णन करें ।

उत्तर – हिन्द – चीन आनेवाले यूरोपियनों में पुर्तगाली , डच , स्पेन , अंग्रेज तथा फ्रांसीसी थे । इनमें से केवल फ्रांस ही इस भू – भाग पर राजनीतिक प्रभुत्व कायम करने हेतु सक्रिय रहा । 1747 ई ० में फ्रांस ने व्यापार के उद्देश्य से अन्नाम के साथ राजनयिक सम्बन्ध बनाया । 1787 ई ० में फ्रांसीसी सहायता से कोचीन – चीन का राजा विद्रोह दबाने में सफल रहा । फलतः दोनों में संधि हो गई । 19 वीं सदी के प्रारंभ में अन्नाम और कोचीन – चीन में फ्रांसीसी पादरियों के विरुद्ध उग्र आन्दोलन छिड़ गया । फ्रांस ने सैन्य – बल पर 1862 ई . में अन्नाम को संधि के लिए बाध्य किया । 1863 ई . में कम्बोडिया भी फ्रांस का संरक्षित राज्य बन गया । 1873 ई . में फ्रांस ने तोंकिन के कुछ भागों पर अपनी सत्ता स्थापित कर ली । 1884 ई ० में फ्रांस ने अन्नाम को अपना संरक्षित राज्य बना लिया । 1893 ई . में फ्रांस ने लाओस के रूप में नया फ्रांसीसी संरक्षित क्षेत्र बनाया जिसमें 1904 ई . में कुछ और क्षेत्र जुड़ गये । इस प्रकार , 20 वीं शताब्दी के प्रारम्भ होते ही सम्पूर्ण हिन्द – चीन फ्रांस की अधीनता में आ गया ।

 

प्रश्न:3 अमेरिका हिन्द – चीन में कैसे दाखिल हुआ , चर्चा करें

उत्तर –1950 ई . में उत्तरी वियतनाम में हो – ची – मिन्ह की साम्यवादी सरकार तथा दक्षिणी वियतनाम में बाओदाई की फ्रांस समर्थित सरकार लगातार बढ़त बनाये थी । इसी क्रम में दिएन – विएन फू – दुर्ग पर साम्यवादी हो – ची – मिन्ह की सेना ने फ्रांसीसी सेना को बुरी तरह हरा कर कब्जा कर लिया । ऐसी स्थिति में साम्यवाद के बढ़ते प्रभाव को रोकने के उद्देश्य से फ्रांस के समर्थन में अमेरिका ने प्रत्यक्षतः हिन्द – चीन में उतरने का निश्चय किया । चूँकि रूस पहले से साम्यवादी हो – ची – मिन्ह का समर्थन कर रहा था अतः तृतीय विश्व युद्ध की संभावना नजर आ रही थी । इन्हीं परिस्थितियों में मई , 1954 ई ० में जेनेवा समझौता हुआ जिसके फलस्वरूप वियतनाम को दो हिस्सों में बाँट उत्तरी वियतनाम साम्यवादियों को तथा दक्षिण वियतनाम फ्रांस – अमेरिका समर्थित सरकार को दे दिया गया ।

लाओस और कम्बोडिया में वैध राजतंत्र के रूप को स्वीकार कर संसदीय शासन प्रणाली अपनाई गई । इस व्यवस्था के बाद भी साम्यवादी , दक्षिण वियतनाम , लाओस तथा कम्बोडिया में प्रभाव बढ़ाते जा रहे थे , जबकि अमेरिका इन क्षेत्रों को साम्यवादी प्रभाव में जाने से रोकने के लिए कृतसंकल्प था ।

                                                  ( 5 –  Marks Questions)

 

प्रश्न:1 हिन्द – चीन उपनिवेश स्थापना का उद्देश्य क्या था ? अथवा , हिन्द – चीन में फ्रांसीसियों द्वारा उपनिवेश स्थापना के किन्हीं तीन उद्देश्यों का उल्लेख करें ।

उत्तर – हिन्द – चीन देशों के साथ व्यापार शुरू करनेवालों में पुर्तगाली पहले व्यापारी थे । उनके बाद स्पेन , डच , अंग्रेज तथा फ्रांसीसियों का आगमन हुआ । फ्रांसीसियों को छोड़ अन्य किसी ने इस भू – भाग पर अपना राजनीतिक प्रभुत्व कायम कर उपनिवेश स्थापित करने का प्रयास नहीं किया । लेकिन फ्रांस प्रारंभ से ही इस दिशा में प्रयासरत रहा । फ्रांस द्वारा हिन्द – चीन में उपनिवेश स्थापना के उद्देश्य इस प्रकार थे

( i ) व्यापारिक प्रतिस्पर्धा – फ्रांस द्वारा हिन्द – चीन में उपनिवेश स्थापना का मुख्य उद्देश्य डच एवं ब्रिटिश कंपनियों के व्यापारिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना था । भारत में फ्रांसीसी पिछड़ रहे थे तथा चीन में उनके व्यापारिक प्रतिद्वन्द्वी मुख्यतः अंग्रेज थे । अतः सुरक्षात्मक आधार के रूप में उन्हें हिन्द – चीन का क्षेत्र उचित लगा जहाँ खड़े होकर वे भारत एवं चीन दोनों तरफ कठिन परिस्थितियों में संभल सकते थे ।

( ii ) कच्चे माल तथा बाजार की उपलब्धता – औद्योगिक क्रान्ति के बाद विभिन्न उद्योगों के सुचारुपूर्वक संचालन के लिए भारी मात्रा में कच्चा माल तथा तैयार उत्पादों की खपत हेतु बाजार की आवश्यकता थी । उपनिवेश स्थापना से इन दोनों आवश्यकताओं की पूर्ति होती थी ।

( iii ) तथाकथित गोरे होने का दायित्व – यूरोपीय , गोरे लोगों का यह स्वघोषित दायित्व था कि वे पिछड़े काले लोगों के समाज को सभ्य बनाएँ । वे इसे ईश्वर प्रदत्त दायित्व मानते थे ।

( iv ) कैथोलिक धर्म का प्रचार – कैथोलिक धर्म का प्रचार भी एक उद्देश्य था । अपने इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए फ्रांस ने अपनी सेना के बल पर 20 वीं शताब्दी के आरंभ तक सम्पूर्ण हिन्द – चीन पर अधिकार कर लिया ।

 

प्रश्न:2  राष्ट्रपति निक्सन के हिन्द – चीन में शांति के संबंध में पाँच सूत्री योजना क्या थी ?

उत्तर – माई – ली हत्याकांड के रहस्योद्घाटन से पूरे विश्व में अमेरिकी सेना की किरकिरी होने लगी । विश्वभर में इस घटना के विरुद्ध तीव्र प्रतिक्रिया हुई । अमेरिकी प्रशासन की तीखी आलोचना हुई । इन आलोचनाओं से घबराकर अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन ने न केवल वियतनाम बल्कि पूरे हिन्द

चीन में शांति के संबंध में पाँच सूत्री योजना की घोषणा की जिसके प्रावधान इस प्रकार थे-

( i ) हिन्द – चीन की सभी सेनाएँ युद्ध बंद कर यथास्थान पर रहें ।

( ii ) युद्ध विराम की देख – रेख अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक करेंगे ।

( iii ) इस दौरान कोई देश अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न नहीं करेगा ।

( iv ) युद्ध विराम के दौरान सभी तरह की लड़ाइयाँ बंद रहेंगी । बमबारी तथा आतंक फैलानेवाली घटनाएँ भी बंद रहेंगी ।

( v ) युद्ध विराम का अंतिम लक्ष्य समूचे हिन्द – चीन में संघर्ष का अन्त होना चाहिए । राष्ट्रपति निक्सन के इन प्रस्तावों को वियतनाम ने तत्काल अस्वीकृत कर दिया । अमेरिकी सेनाओं ने पुनः बमबारी शुरू कर दी । इस प्रकार पाँच सूत्री शांति प्रस्ताव हिन्द – चीन में शांति स्थापित करने में असफल रही

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