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Class 10 Political Science V.V.I Subjective Questions & Answer Chapter - 5 लोकतंत्र की चुनौतियाँ

Class 10 Political Science V.V.I Subjective Questions & Answer Chapter – 5 लोकतंत्र की चुनौतियाँ

                                                              

                                                                        (  2 – MARKS QUESTIONS  )

 

प्रश्न:1  बंधुआ मजदूर किसे कहते हैं ?

उत्तर:- पुश्तैनी रूप से नौकर बने रहना बंधुआ मजदूरी कहलाती है । ऐसे नौकर जिनके दादा , पिता , स्वयं एवं आने वाली पीढ़ियाँ भी बेगारी करती रहे तो उसे बंधुआ मजदूर कहते हैं ।

 

प्रश्न:2  भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के विषय में लिखें

उत्तर:- अनुच्छेद 19 में स्वतंत्रता का अधिकार दर्शाया गया है । भारतीय देश में कहीं भी बस सकते हैं , व्यवसाय कर सकते हैं , किसी भी धर्म को मान सकते हैं

 

प्रश्न:3  परिवारवाद क्या है ?

उत्तर:- किसी जनप्रतिनिधि के निधन या इस्तीफे के बाद रिक्त स्थान पर उसके ही किसी परिजन को पदस्थापित करना अथवा चुनाव का टिकट दे देने की स्थिति परिवारवाद के नाम से जानी जाती है ।

 

प्रश्न:4  सूचना का अधिकार कानून लोकतंत्र का रखवाला है । कैसे ?

उत्तर:-  सूचना के अधिकार के तहत लोग जानकार बनते हैं । भ्रष्टाचारियों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त कर उन्हें नियंत्रित कर लोकतंत्र को समृद्ध बनाते हैं । अत : यह जनतंत्र का रखवाला है ।

 

प्रश्न:5  लोकतंत्र की एक लोकप्रिय परिभाषा दें । अथवा , लोकतंत्र से आप क्या समझते है ?

उत्तर:-  लोकतंत्र जनता का , जनता द्वारा तथा जनता के लिए शासन है । यह परिभाषा अब्राहमलिंकन की है ।

 

प्रश्न:6  भारतीय लोकतंत्र की प्रकृति क्या है ? अथवा , भारतीय लोकतंत्र कितना सफल है ?

उत्तर:- भारतीय लोकतंत्र सिद्धान्त और व्यवहार दोनों में जनता का , जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन व्यवस्था है । यह विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है । जनता यहाँ के शासन व्यवस्था में अपनी भागीदारी अपने मताधिकार का प्रयोग कर उम्मीदवार का चयन करती है । भारतीय लोकतंत्र ने एक लिखित संविधान को अंगीकार किया है । भारतीय लोकतंत्र में महिलाओं एवं अल्पसंख्यक समूहों की उचित भागीदारी हेतु प्रयास जारी है । जनता के हित लाभ का सदैव ख्याल रखा जाता है । मौलिक अधिकार नागरिकों को प्रदान किए गए हैं । अतः भारतीय लोकतंत्र शत – प्रतिशत सफल है ।

 

प्रश्न:7  राजनैतिक दलों की दो प्रमुख चुनौतियों को संक्षेप में लिखें ।

उत्तर:-  राजनैतिक दलों की दो प्रमुख चुनौतियाँ इस प्रकार हैं-

( i ) आंतरिक लोकतंत्र की

( ii ) नेतृत्व का संकट ।

 

प्रश्न:8  लोकतंत्र जनता का , जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन है । कैसे ?

उत्तर:-  जनता के बीच के लोग प्रतिनिधि बनने के लिए चुनाव में खड़े होते हैं , जनता जिन्हें चुनती है वे जन प्रतिनिधि जनता के लिए काम करते हैं । इस प्रकार जनता द्वारा जनता का शासन होता है ।

 

प्रश्न:9  क्या शिक्षा का अभाव लोकतंत्र के लिए चुनौती है ?

उत्तर:-  शिक्षा का अभाव निश्चित तौर पर लोकतंत्र के लिए बड़ी चुनौती है । भारतीय लोकतंत्र ने शिक्षा के मुद्दे को गंभीरता से लिया है , एवं शिक्षा के क्षेत्र को कई आयोगों के हवाले किया गया । भारतीय संविधान ने 14 वर्ष तक की शिक्षा को अनिवार्य एवं निःशुल्क घोषित कर दिया । शिक्षा ने सर्वशिक्षा अभियान से होते हुए शिक्षा के अधिकार तक की यात्रा तय कर ली । शिक्षा के व्यापक प्रचार – प्रसार ने आम जनता में जागरू कता उत्पन्न कर दी । जनता अपने मतों का महत्व समझने लगी . सत्ता में भागीदारी तथा हिस्सेदारी की प्रक्रिया को समझने लगी , उसमें रुचि लेने लगी । 15 वीं लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने जिस प्रकार आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को नकार दिया है , उनके जागरूक होने का परिचायक है । जनता की समझ बनने लगी है कि वह ही शक्तिशाली है गद्दी पर बिठा सकती है या उखाड़ सकती है ।

 

प्रश्न:10  मानवाधिकार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।

उत्तर:- भारत संघ में राज्य के नागरिकों के अधिकारों एवं सुरक्षा संबंधी मामलों में गारंटी प्रदान करने के लिए अधिकार प्रदान किए हैं ।इसे मानवाधिकार कहते हैं । इस प्रकार के हितों की सुरक्षा के दायित्व हेतु मानवाधिकार आयोग की स्थापना की गई है । भारत संघ अपने नागरिकों के अधिकारों का हनन या अतिक्रमण करने नहीं देता है । यदि ऐसा हुआ तो शोषण के विरुद्ध अधिकार के तहत मामला दर्ज कर प्रभावित को न्याय प्रदान किया जाता है ।

 

प्रश्न:11  गठबंधन की राजनीति कैसे लोकतंत्र को प्रभावित करती है ?

उत्तर:-  गठबंधन की राजनीति के दो पहलू हैं – गठबंधन चुनाव पूर्व या चुनाव के बाद , दूसरा स्थायी गठबंधन अस्थायी , अवसरवादी गठबंधन । सैद्धान्तिक समानता के आधार पर गठबंधन का निर्माण हो सकता है । किन्तु बगैर सैद्धान्तिक समानता के भी राजनैतिक गठबंधन होते हैं । सरकार गठन या सत्ता पर कब्जा करने की लालसा से ऐसा गठबंधन होता है । बहुमत नहीं मिलने के कारण राजनैतिक गठबंधन करना पड़ता है । गठबंधन के अन्तर्गत क्षेत्रीय दलों से राजनैतिक समझौते करने पड़ते हैं परिणामत : गठबंधन में शामिल राजनैतिक दल अपने व्यक्तिगत हित और लाभ का ध्यान रखने लग जाते हैं । इससे प्रशासन पर सरकार की पकड़ ढीली पड़ने लगती है । अंतत : सरकार गिर जाती है एवं बदनाम हो जाती है

         

 

                                                                     (  5 – MARKS QUESTIONS  )

 

प्रश्न:1  परिवारवाद और जातिवाद बिहार में किस तरह लोकतंत्र को प्रभावित करता है ?

उत्तर:-  किसी जनप्रतिनिधि द्वरा खाली सीट पर उसके ही किसी परिजन को बैठाने का प्रयास परिवारवाद कहलाता है । किसी व्यक्ति विशेष का राजनीति में आ जाने के बाद उसके परिजनों का राजनैतिक सितारा मेधा के कारण नहीं , बल्कि उसके परिवार के प्रथम राजनीतिज्ञ के कारण चमकने लगना परिवारवाद है । बिहार भी इससे अछूता नहीं है । बिहार के अधिकांश राजनैतिक दलों में परिवारवादी प्रवृत्ति पायी जाती है । बिहार में परिवारवाद के घातक परिणाम उन्हीं राजनेताओं को झेलने पड़े जिन्होंने परिवारवाद को प्रोत्साहित किया था । परिवारवाद से राजनैतिक भ्रष्टाचार तो बढ़ता ही है , आपराधिक प्रवृत्ति भी बढ़ती है । परिवारवाद एक राजनैतिक चुनौती है इसे स्वीकारते हुए राजनैतिक दल चुनावों में इस आधार पर टिकट बँटवारे को नकारते रहते हैं किन्तु अन्तत : स्थिति जस की तस बनी रह जाती है । बिहार विधान सभा चुनाव 2015 में परिवारवादी पार्टियों को जनता ने स्वीकार कर लिया है ।

 

प्रश्न:2  क्या चुने हुए शासक लोकतंत्र में अपनी मर्जी से सब कुछ कर सकते हैं ?

उत्तर:-  लोकतंत्र में जनता प्रतिनिधि का चुनाव करती है । प्रतिनिधि जनता के विकास हेतु कार्य करते हैं । किन्तु चुने हुए शासक अपनी मनमर्जी नहीं कर सकते । बेरोजगारी उन्मूलन , महँगाई पर नियंत्रण , वैश्विक लापन , जलवायु परिवर्तन , वैदेशिक नीति , आंतरिक सुरक्षा , रक्षा तैयारियाँ , देश को एकता एवं अखण्डता , आतंकवाद एवं अलगाववाद , नक्सली गतिविधियाँ , बढ़ती आर्थिक अपराधों यथा विदेशी मुद्रा का अवैध आगमन , विदेशी बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा की गयी बड़ी धनराशि पर नियंत्रण , उच्च एवं न्यायिक पदों पर व्याप्त भ्रष्टाचार , असमानता एवं असंतुलन , राजनीति में परिवारवाद एवं जातिवाद आदि भारतीय लोकतंत्र की प्रमुख चुनौतियों के समक्ष शासक वर्गों की मनमानी नहीं चलने वाली है ।

 

प्रश्न:3  भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें ।

उत्तर:-  स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में लोकतांत्रिक शासन – व्यवस्था की स्थापना की गई । भारत का संविधान बना । संविधान की प्रस्तावना में स्पष्ट कहा गया है कि भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य होगा । भारतीय लोकतंत्र की चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

( i ) वयस्क मताधिकार भारत में अप्रत्यक्ष लोकतंत्र है जिसमें निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा शासन संचालित होता है । इसके लिए निष्पक्ष निर्वाचन की व्यवस्था की गई है । निर्वाचन द्वारा ही जनता अपने प्रतिनिधियों का चयन करती है । भारत में 18 वर्ष या उससे अधिक आयु वाले प्रत्येक स्त्री – पुरुष को बिना किसी भेदभाव के मताधिकार प्राप्त है ।

( ii ) संसदीय लोकतंत्र भारतीय लोकतंत्र की दूसरी विशेषता है कि यहाँ संसदीय लोकतंत्र है । यद्यपि राष्ट्रपति कार्यपालिका का सर्वोच्च पदाधिकारी है तथापि वह नाममात्र का प्रधान है । वास्तविक कार्यपालिका शक्ति मंत्रिपरिषद् के हाथ में है जिसका प्रधान प्रधानमंत्री है । मंत्रिपरिषद् अपने कार्यों के लिए सामूहिक रूप से संसद के प्रति उत्तरदायी है । इसी अर्थ में भारत में संसदीय लोकतंत्र है ।

( iii ) नागरिकों के मौलिक अधिकार वतंत्रता एवं समानता के सिद्धांत पर ही लोकतंत्र आधृत है । इसी कारण भारत के नागरिकों को संविधान द्वारा मौलिक अधिकार दिए गए हैं और उनके संरक्षण का उत्तरदायित्व सर्वोच्च न्यायालय को सौंपा गया है ।

( iv ) स्वतंत्र न्यायपालिका भारतीय लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका की व्यवस्था है । संविधान की रक्षा का भार सर्वोच्च न्यायालय पर सौंप दिया गया है ।

 

प्रश्न:4  बिहार की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी लोकतंत्र के विकास में कहाँ तक सहायक है ? अथवा , बिहार के विकास में महिलाओं के योगदान का वर्णन करें

उत्तर:- लोकतंत्र की सर्वमान्य परिभाषा के संदर्भ में कहा जा सकता है कि लोकतंत्र में जनता के इर्द – गिर्द ही यह व्यवस्था घूमती रहती है । आम – आवाम में प्रायः महिलाओं की संख्या लगभग आधी होती है । अत : यदि जनतंत्र में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित नहीं की जाती है तो अर्द्ध लोकतांत्रिक व्यवस्था का निर्माण हो जाएगा । स्वाभाविक है इनकी भागीदारी और हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में महिलाओं की निरक्षरता दूर करने , शिक्षा और आनेवाली बाधाओं का निराकरण करने तथा इन्हें प्रारंभिक शिक्षा में बनाए रखने के लिए संवैधानिक प्राथमिकताएँ तय की गयीं । बिहार में स्थानीय स्वशासन यथा पंचायतों से जिला परिषद् तक में महिलाओं को आरक्षण दिया गया । आरक्षण का लाभ महिलाओं को मिला भी । स्थानीय स्वशासन में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ गया । महिला लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रत्यक्षतः हिस्सेदार बन गयीं । अब मुखिया पति ( एम पी ) या मुखिया पुत्र ( एम पी ) ही अधिकांश महिला प्रतिनिधियों के कामकाज देखने लग गए हैं । आज एम पी का अर्थ मुखिया पति अथवा महिला पुत्र हो गया है । आज महिलाओं का योगदान राष्ट्र या राज्य के आर्थिक , सामाजिक , राजनैतिक क्षेत्र में बहुत अधिक है । खेतों में महिलाओं का योगदान जगजाहिर है । बगैर महिला कर्मियों के भारतीय कृषि सम्भव नहीं । आज वायुयान से अंतरिक्ष तक में महिलाओं ने अपनी दस्तक देनी शुरू कर दी है । बिहार प्रान्त में महिलाओं को शिक्षा के लिए प्रेरित करने हेतु विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं को मुफ्त विद्यालय , पोशाक , निःशुल्क साइकिल , निःशुल्क कराटे का प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था की गयी है । इससे बालिका शिक्षा के प्रति आम आकर्षण बढ़ा है । सूबे भर के ग्रामीण इलाके में विद्यालयीय पोशाक में साइकिल पर सवार समय पर विद्यालय जाती लड़कियों को देखा जा सकता है ।

 

प्रश्न:5  न्यायपालिका की भूमिका लोकतंत्र की चुनौती है । कैसे ? इसके सुधार के उपाय क्या है ?

उत्तर:- भारतीय लोकतंत्र के तीन अंग हैं कार्यपालिका , विधायिका एवं न्यायपालिका । कार्यपालिका को विधायिका के प्रति उत्तरदायी बनाया गया है । विधायिका जनप्रतिनिधियों का एक संगठन है जो जनता के विकास हेतु नीतियाँ एवं कार्यक्रम तय करती हैं एवं नियम बनाती है । कार्यपालिका बनाये गए नियम , तैयार कार्यक्रमों को लागू करती है । न्यायपालिका संवैधानिकता देखती है ।

न्यायपालिका के इतिहास को यदि हम भारतीय सन्दर्भ में देखें तो इसे बिल्कुल साफ – सुथरा नहीं कहा जा सकता । न्यायपालिकाओं के निर्णय सत्ताधारी दलों या राजनेताओं द्वारा प्रभावित होते रहे हैं । न्यायाधीशों की नियुक्तियों में पारदर्शिता की कमी है । न्यायाधीशों के भ्रष्टाचार के कई मामले सार्वजनिक हुए हैं । न्यायाधीशों द्वारा अपने सम्पत्ति के ब्यौरे को सार्वजनिक करने का प्रस्ताव एवं कइयों के द्वारा सम्पत्ति को सार्वजनिक कर देने जैसी बातों का विरोध कई चुनौतियाँ खड़ा करता है । ऐसी स्थिति लोकतंत्र के लिए निश्चय ही एक चुनौती है । लोकतंत्र को इस मामले में संवेदनशील होना होगा ।

 

प्रश्न:6  वर्तमान भारतीय राजनीति में लोकतंत्र की कौन – कौन – सी चुनौतियाँ हैं ? विवेचना करें ।

उत्तर:- लोकतांत्रिक चुनौतियों में भारत के संदर्भ में सबसे बड़ी और पहली चुनौती यह है कि पड़ोसी देशों में लोकतांत्रिक सरकार का गठन करने के लिए बुनियादी आधार कैसे बनाया जाय ? पड़ोसी देश नेपाल में राजशाही के समापन के बाद लोकतांत्रिक सरकार सफलता एवं असफलता के बीच झूलती नजर आ रही है । भारतीय लोकतंत्र की अन्य चुनौतियों में बुनियादी सिद्धान्तों को सभी लोगों , सभी सामाजिक समारोहों और विभिन्न संस्थाओं में लागू करना , स्थानीय सरकारों को अधिक अधिकार सम्पन्न बनाना , संघ की सभी इकाइयों के लिए संघ के सिद्धान्तों को व्यावहारिक स्तर पर लागू करना , महिलाओं और अल्पसंख्यक समूहों की उचित भागीदारी सुनिश्चित करना , लोकतांत्रिक संस्थाओं की कार्य – पद्धति को सुधारना तथा मजबूत बनाना , महँगाई से निपटना , बेरोजगारी की समस्या का समाधान , आर्थिक मंदी से उबरना , ग्लोबल वार्मिंग का निदान ढूँढ़ना , जलवायु परिवर्तन , वैदेशिक नीति , आन्तरिक सुरक्षा की व्यवस्था करना , रक्षा तैयारी सम्बन्धी , एकता एवं अखण्डता को बनाए रखना , आतंकवादी एवं अलगाववादी गतिविधियों पर नियंत्रण रखना , नक्सली गतिविधियों से निपटना , अवैध घुसपैठ से निपटना , आर्थिक अपराध जिसमें विदेशी मुद्रा का अवैध आगमन , विदेशी बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा की गयी बड़ी धनराशि , उच्च एवं न्यायिक पदों पर व्याप्त भ्रष्टाचार , असमानता एवं असंतुलन से निपटना आदि हैं ।

 

प्रश्न:7 लोकतंत्र की चुनौतियों से आप क्या समझते हैं ? अथवा , लोकतंत्र की विभिन्न प्राथमिकताओं पर एक निबंध लिखें ।

उत्तर:-  चुनौतियों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण लोकतंत्र का विस्तार है । जिन देशों में लोकतांत्रिक शासन नहीं है , वहाँ इसे गठित किया जाए । जैसे नेपाल में राजतंत्र की समाप्ति के उपरान्त वहाँ की लोकतांत्रिक व्यवस्था चरमरा गई है । इससे उसे निकालने की आवश्यकता है । स्थानीय सरकारों को अधिक अधिकार सम्पन्न बनाकर लोकतंत्र स्थापित किया जा सकता है । संघ के सिद्धान्तों को संघ की सभी इकाइयों पर व्यावहारिक रूप से लागू कर , महिलाओं और अल्पसंख्यक समूह की समुचित भागीदारी सुनिश्चित कर लोकतंत्र को मजबूत बनाया जा सकता है । लोकतांत्रिक संस्थाओं की कार्य – पद्धति सुधार कर उसे मजबूत बनाया जा सकता है । न्यायपालिका में भ्रष्टाचार एवं विदेशों में जमा सम्पत्ति की घोषणा ने लोकतंत्र को चौकन्ना कर दिया है । महँगाई , बेरोजगारी , आर्थिक मन्दी , ग्लोबल वार्मिंग , जलवायु परिवर्तन , विदेश – नीति , आन्तरिक सुरक्षा , रक्षा तैयारियाँ , देश की एकता एवं अखण्डता , आतंकवादी एवं अलगाववादी गतिविधियाँ , नक्सली गतिविधियाँ तथा आर्थिक अपराध आदि प्रमुख चुनौतियों ने लोकतंत्र को मजबूती दी है । केन्द्र – राज्य सम्बन्ध तथा राजनैतिक दलों की संकीर्ण मानसिकता भी भारतवर्ष में चुनौती के रूप में मौजूद है ।

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