Class 10 Non-Hindi (अहिन्दी ) पाठ- 4.बालगोबिन भगत
1. बालगोबिन भगत अपने खेत की पैदावार भेंट रूप में कहाँ दे आते थे ?
( क ) कबीरपंथी मठ में
( ख ) हनुमान मंदिर में
( ग ) शिवालय में
( घ ) अनाथालय में।
उत्तर-( क )
2. बालगोविन भगत की प्रभातियों कातिक से शुरू होकर किस महीने तक चलती थी ?
( क ) चेत्त
( ख ) वैशाख
( ग ) माप
( घ ) फागुन।
उत्तर-( घ )
3. बालगोबिन भगत ने अपने मरे हुए बेटे को किस पर लेटा कर रखा था ?
( क ) चटाई
( ख ) चादर
( ग ) चौकी
( घ ) गद्दा
उत्तर-( क )
4. बालगोबिन भगत किसे ‘ साहब ‘ मानते थे ?
( क ) शिव
( ख ) कृष्ण
( ग ) कबीर
( घ ) रहीम।
उत्तर-( ग )
5. बालगोबिन भगत की संगीत – साधना का उत्कर्ष देखा गया-
( क ) बेटे की मृत्यु के दिन
( ख ) बेटे के परदेश जाने पर
( ग ) बेटे के जन्म के दिन
( घ ) बेटे की शादी के दिन
उत्तर- ( क )
6. बालगोविन भगत की पतोहू थी
( क कर्कशा
( ख ) रोगग्रस्त
( ग ) सुशील
( घ ) झगड़ालू
उत्तर- ( ग )
7. अपने बेटे के मरने पर बालगोबिन भगत
( क ) रोने लगे
( ख ) बेहोश हो गये
( ग ) गाने लगे
( घ ) सर पीटने लगे।
उत्तर- ( ग )
8. बालगोबिन भगत के कितने बेटे हैं ?
( क ) एक
( ख ) दो
( ग ) तीन
( घ ) चार
उत्तर- ( क )
9. बालगोबिन भगत का बेटा
( क ) बुद्धिमान था ।
( ख ) सुस्त था ।
( ग ) मोटा था ।
( घ ) दुबला – पतला था ।
उत्तर- ( ख )
10. ‘ बाल गोबिन भगत ‘ किसकी रचना है ?
( क ) रामवृक्ष बेनीपुरी
( ख ) प्रेमचंद
( ग ) पंत
( घ ) महादेवी।
उत्तर- ( क )
11. बालगोबिन भगत पेशे से क्या हैं ?
( क ) कवि
( ख ) संत
( ग ) गृहस्थ
( घ ) फकीर
उत्तर- ( ग )
12. ‘ बालगोबिन भगत ‘ गद्य की कौन – सी विधा है ? अथवा , बालगोबिन भगत कैसी रचना है ?
( क ) कथा
( ख ) उपन्यास
( ग ) डायरी
( घ ) रेखाचित्र।
उत्तर -( घ )
13. बालगोबिन भगत कबीर को क्या मानते थे ?
( क ) भगवान
( ख ) अल्ला
( ग ) साहब
( घ ) फकीर।
उत्तर- ( ग )
14. बालगोबिन भगत की उम्र कितनी थी ?
( क ) 40 से ऊपर
( ख ) 50 से ऊपर
( ग ) 60 से ऊपर
( घ ) इनमें कोई नहीं
उत्तर- ( ग )
15. बालगोबिन भगत कबीर को साहब क्यों मानते थे
( क ) बचपन के दोस्त थे
( ख ) साथ पड़े थे
( ग ) कबीर के आदर्शों पर चलते थे
( घ ) कबीर के पुजारी थे।
उत्तर- ( ग )
16. बालगोविन भगत कहाँ आसन जमा बैठते थे ?
( क ) घर के अंदर
( ख ) घर के बाहर
( ग ) घर के आँगन में
( घ ) मदिर में
उत्तर-( ग )
17. ” गोदी में पियवा , चमक उठे सखियाँ चिहक उठे न गाते थे
( क ) कर्पूरी ठाकुर
( ख ) निराला
( ग ) कबीर
( घ ) बालगोबिन भगत।
उत्तर-( घ )
.18. पावस की फुहार पर किसके सितार बज उठते हैं ?
( क ) योगी के
( ख ) साधु के
( ग ) पंछी के
( घ ) नर्तकी के।
उत्तर-( क )
19.” भैंस से दूध लेना है या कशीदाकारी करवानी है । ” किसने कहा ?
( क ) खरीददार ने
( ख ) मालिक ने
( ग ) नौकर ने
( घ ) दही वाली ने।
उत्तर- ( ख )
v.v.i Subjective Question ( 2marks )
1. भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएं किस तरह व्यक्त की ?
उत्तर- भगत अपने बेटे की मृत्यु होने पर उसके शव के पास बैठकर उत्तर कबीर के भक्तिगीत गाने लगे । शव के निकट एक चिराग जलाकर रख दिया । पुत्रवधू के रोने पर अपनी निस्पृह भावनाएं व्यक्त करते हुए कहते हैं कि यह रोने का नहीं , उत्सव मनाने का समय है , क्योंकि विरहिणी आत्मा अपने प्रियतम परमात्मा के पास चली गई है । उन दोनों के मिलन से बड़ा आनंद और कुछ नहीं हो सकता । भगत के कहने का उद्देश्य यह था कि आत्मा – परमात्मा का ही अंश है । मृत्यु के बाद यह अंश उसी परमात्मा में मिल जाता है । यह संसार नश्वर है । इसका अंत होना निश्चित है । इसलिए इस नश्वर शरीर के नष्ट होने पर दु : खी होना उचित नहीं है । इस प्रकार भगत ने शरीर की नश्वरता और आत्मा की अमरता का भाव व्यक्त किया है ।
2. बालगोबिन भगत कौन हैं ?
उत्तर – बालगोबिन भगत गृहस्थ होते हुए साधू पुरुष थे जो कबीर के भक्त थे और मंडली में उनके दोहे गाया करते थे ।
3. बालगोबिन भगत कवीर को साहब ‘ मानते थे । इसके क्या – क्या कारण हो सकते हैं ?
उत्तर – बालगोविन भगत कबीर को ‘ साहब ‘ मानते थे , क्योंकि वह कबीर द्वारा बताए गए आदर्शों का पालन करते थे । उनके द्वारा लिखे गीतों को तन्मयतापूर्वक गाकर परमात्मा की साधना करते थे । भगत कबीर की भाँति झूठ नहीं बोलते थे और खरा व्यवहार रखते थे । किसी से दो – टूक बात करते थे , लेकिन किसी से झगड़ा नहीं करते थे । वह किसी की चीज नहीं छूते थे । वह आडम्बरों का विरोध करते हुए सबसे समानता का व्यवहार करते थे और संसार को सारहीन समझ त्यागमय जीवन व्यतीत करते थे । तात्पर्य यह है कि कवीर उनके जीवन मार्ग के सच्चे पथप्रदर्शक थे । इसीलिए वह उन्हें अपना ‘ साहब ‘ मानते थे ।
4. बालगोबिन भगत ने अपने पुत्र की मृत्यु पर भी शोक प्रकट नहीं किया । उनके इस व्यवहार पर अपनी तर्कपूर्ण प्रतिक्रिया व्यक्त कीजिए ।
उत्तर — बालगोबिन भगत ने अपने पुत्र की मृत्यु पर संसार की नश्वरता के कारण शोक प्रकट नहीं किया । वह जानते थे कि शरीर नश्वर है , आत्मा अमर है , इसका कभी नाश नहीं होता । मृत्यु के बाद आत्मा परमात्मा में उसी प्रकार विलीन हो जाती है जिस प्रकार नदी समुद्र में विलीन हो जाती है । इसलिए क्षणभंगुर शरीर पर रोना – धोना बेकार है । रोना तो उस परमपुरुष के लिए चाहिए , जिसके दर्शन अथवा प्राप्ति से जन्म लेना अथवा जीवन धारण करना सफल होता है । भगत को जीवन की सच्चाई का ज्ञान हो चुका था । इसलिए आत्मज्ञानी अनासक्त भाव से कर्म करते हैं । अतः भगत ने अपने आचरण के अनुकूल पुत्र की मृत्यु होने पर शोक प्रकट नहीं किया ।
v.v.i Subjective Question ( 5marks )
1. बालगोबिन भगत ने अपने पुत्र की मृत्यु पर भी शोक प्रकट नहीं किया । उनके इस व्यवहार पर अपनी तर्कपूर्ण प्रतिक्रिया व्यक्त कीजिए ।
उत्तर- बालगोबिन भगत ने अपने पुत्र की मृत्यु पर संसार की नश्वरता के कारण शोक प्रकट नहीं किया । वह जानते थे कि शरीर नश्वर है , आत्म । अमर है , इसका कभी नाश नहीं होता । मृत्यु के बाद आत्मा परमात्मा में उसी प्रकार विलीन हो जाती है जिस प्रकार नदी समुद्र में विलीन हो जाती है । इसलिए क्षणभंगुर शरीर पर रोना – धोना बेकार है । रोना तो उस परमपुरुष के लिए चाहिए , जिसके दर्शन अथवा प्राप्ति से जन्म लेना अथवा जीवन धारण करना सफल होता है । भगत को जीवन की सच्चाई का ज्ञान हो चुका था । इसलिए आत्मज्ञानी अनासक्त भाव से कर्म करते हैं । अत : भगत ने अपने आचरण के अनुकूल पुत्र की मृत्यु होने पर शोक प्रकट नहीं किया ।
2. बालगोबिन भगत गृहस्थ थे , फिर भी उन्हें साधु क्यों कहा जाता था ?
उत्तर – बालगोविन भगत गृहस्थ थे । उन्हें साधु कहा जाता था , क्योंकि उनका आचरण शुद्ध था । परिवार होते हुए भी वह साधु की सब परिभाषाओं में खरे उतरने वाले व्यक्ति थे । वे कबीर को ‘ साहब ‘ मानते थे और उन्हीं के गीतों को गाते थे । कभी झूठ नहीं बोलते तथा खरा व्यवहार रखते थे । किसी से भी निःसंकोच दो – टूक बात करते थे । किसी की चीज बिना पूछे न छूते थे और न ही व्यवहार करते थे । खेत में जो कुछ पैदा होता था , उसे सिर पर लादकर कबीर मठ पहुंचा देते थे । उसमें से जितना ‘ प्रसाद ‘ रूप में मिलता था , उसी से गुजर – बसर करते थे । उनका आचरण सत्य , अहिंसा , अपरिग्रह , त्याग तथा लोक – कल्याण युक्त था ।