Class 10 Non-Hindi (अहिन्दी ) पाठ – 12 विक्रमशिला
1. ‘ विक्रमशिला ‘ पाठ साहित्य की कौन – सी विधा है ?
( क ) एकांकी
( ख ) निबन्ध
( ग ) कहानी
( घ ) कविता।
उत्तर-( ख )
2. विक्रमशिला में अध्यापन का माध्यम कौन – सी भाषा थी ?
( क ) हिन्दी
( ख ) पाली
( ग ) संस्कृत
( घ ) प्राकृत।
उत्तर- ( ग )
3. विक्रमशिला का अतीत और वर्तमान कौन सुना रहा है ?
( क ) लेखक
( ख ) अनुवादक
( ग ) स्वयं विक्रमशिला
( घ ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर – ( ग )
4. विक्रमशिला विश्वविद्यालय में कुल कितने गेट थे ?
( क ) तीन
( ख ) चार
( ग ) पाँच
( घ ) छह।
उत्तर- ( घ )
5. विक्रमशिला विश्वविद्यालय और उसके महाविद्यालयों में पाठ्यक्रम का माध्यम क्या था ?
( क ) पालि
( ख ) संस्कृत
( ग ) हिन्दी
( घ ) अपभ्रंश।
उत्तर-( ख )
6. विक्रमशिला के प्रांगण में कितने महाविद्यालय थे ?
( क ) 1
( ख ) 2
( ग ) 3
( घ ) 6।
उत्तर-( घ )
7. ‘ विक्रमशिला विश्वविद्यालय ‘ के प्रथम आचार्य – कुलपति थे –
( क ) सूरिभद्र
( ख ) हरिभद्र
( ग ) आर्यभट्ट
( घ ) धर्मपाल।
उत्तर-( ग )
8. विक्रमशिला की स्थापना कब हुई ? अथवा , विक्रमशिला विश्वविद्यालय का आविर्भाव किस शताब्दी में हुआ ?
( क ) 18 वीं सदी में
( ख ) 8 वीं सदी में
( ग ) 10 वीं सदी में
( घ ) 20 वीं सदी में।
उत्तर-( ख )
9. विक्रमशिला कहाँ स्थित है ?
( क ) भागलपुर में
( ख ) कहलगाँव में
( ग ) पथरघट्टा में
( घ ) अंतिचक में।
उत्तर- ( घ )
10. विक्रमशिला में नवागत विद्यार्थियों को कुछ समय के लिए किस वर्ग में रहना पड़ता था ?
( क ) भिक्षुक
( ख ) भिखु
( ग ) याचक
( घ ) नृप।
उत्तर-( ख )
11. विक्रमशिला विश्वविद्यालय का सर्वनाश किसने किया ?
( क ) सिकंदर ने
( ख ) बाबर ने
( ग ) तुर्क आक्रमणकारी लुटेरों ने
( घ ) अंग्रेजों ने।
उत्तर- ( ग )
12. आचार्यों के विक्रमपूर्ण आचरण एवं उनकी अखंडशील सम्पन्नता से अभिभूत होकर इस विद्यालय का नाम रखा गया
( क ) महाविद्यालय
( ख ) मध्यविद्यालय
( ग ) उच्च विद्यालय
( घ ) विक्रमशिला विश्वविद्यालय।
उत्तर- ( घ )
13. आर्यभट्ट किस विद्या के क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध हैं ?
( क ) खगोल विद्या
( ख ) धनुर्विद्या
( ग ) भूतत्व विद्या
( घ ) वाद्य विद्या।
उत्तर- ( क )
14. दस हजार छात्र और एक हजार अध्यापक कहाँ थे ?
( क ) तक्षशिला विश्वविद्यालय में
( ख ) नालन्दा विश्वविद्यालय में
( ग ) विक्रमशिला विश्वविद्यालय में
( घ ) पटना विश्वविद्यालय में।
उत्तर- ( ग )
15. मिथिलांचल की लोकसंस्कृति का प्रभावी वर्णन है-
( क ) ठेस में
( ख ) बालगोबिन भगत में
( ग ) विक्रमशिला में
( घ ) इनमें से किसी में नहीं।
उत्तर- ( घ )
16. किस सदी में पूर्वी एशिया महादेश का ज्ञान – दान का सबसे बड़ा केन्द्र था ?
( क ) नौवीं – दसवीं
( ख ) दसवीं – ग्यारहवीं
( ग ) ग्यारहवीं – बारहवीं
( घ ) बारहवीं – तेरहवीं।
उत्तर- ( ख )
17. तंत्र विद्या संबंधित है
( क ) भूतों से
( ख ) प्रेतों से
( ग ) तंत्र – मंत्रों से
( घ ) सभी सही हैं।
उत्तर- ( घ )
v.v.i Subjective Question ( 2marks )
1. विक्रमशिला नामकरण के संदर्भ में प्रचलित जनश्रुति क्या है ?
उत्तर – अपने आचार्यों के विक्रमपूर्ण आचरण , उनकी अखंडशील सम्पन्नता के कारण इसका नामकरण विक्रमशीला रखा गया । जनश्रुति के अनुसार विक्रम नामक यक्ष के दमन के स्थान पर विहार बनाने के कारण इसका नाम विक्रमशीला पड़ा
2. ‘ द्वारपंडित ‘ का क्या काम होता था ?
उत्तर – विक्रमशिला विश्वविद्यालय में ‘ द्वारपंडित ‘ नियुक्त किए जाते थे । द्वारपंडितों के समक्ष मौखिक परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले छात्र ही विश्वविद्यालय में प्रवेश पा सकते थे । द्वारपोडत भी आचार्यों की तरह ही ज्ञान के विभिन्न शाखाओं तंत्र , योग , न्याय , काव्य और व्याकरण में पारंगत होते थे ।
3. विक्रमशीला के प्रांगण में कितने विद्यालय विद्यमान थे एवं इस प्रांगण में छात्र कैसे प्रवेश पाते थे ?
उत्तर – विक्रमशीला के प्रांगण में छ : विद्यालय विद्यमान थे । विद्यालय के द्वारपण्डितों के समक्ष मौखिक परीक्षा में उतीर्ण होनेवाले छात्र ही विद्यालय प्रांगण में प्रवेश पाते थे ।
4. विक्रमशीला कहाँ अवस्थित है ?
उत्तर – विक्रमशीला आधुनिक भागलपुर जिला के कहलगांव थाना क्षेत्र के पोस्ट पत्थरघट्टा के एक छोटे – से गाँव अंतीचक में अवस्थित है ।
5. विक्रमशिला की लोकप्रियता क्यों थी ?
उत्तर – विक्रमशिला दसवीं – ग्यारहवीं सदी तक पूर्वी एशिया का उत्कृष्ट शिक्षा केंद्र था । सम्यक् ज्ञानदान परम्परा में इसका कोई सानी नहीं था । विक्रमशिला में दूर – दूर से उच्च शिक्षा व शोधकार्य करने के लिए देशी – विदेशी छात्र आते थे । यह बौद्ध शिक्षा – पीठ के रूप में विख्यात था ।
6. विक्रमशिला के पाठ्यक्रम में क्या – क्या शामिल था ?
उत्तर- विक्रमशिला के पाठ्यक्रम में तंत्र विद्या के अतिरिक्त व्याकरण , न्याय , सृष्टि – विज्ञान , शब्द – विद्या , शिल्प – विद्या , चिकित्सा विद्या , सांख्य , वैशेषिक , अध्यात्म विद्या , विज्ञान , जादू एवं चमत्कार विद्या शामिल था ।
7. नालंदा विश्वविद्यालय कहाँ अवस्थित है ?
उत्तर- प्राचीन नालन्दा विश्वविद्यालय राजगीर और पावापुरी के बीच अवस्थित था । आधुनिक नालन्दा विश्वविद्यालय भी वहीं बना है जहाँ पढ़ाई प्रारम्भ हो गई है । शिक्षक भी नियुक्त किए गए हैं । अमर्त्य सेन इसके वाइस चांसलर नियुक्त हुए हैं । यहाँ विदेशों से भी छात्र आकर पढ़ाई , लिखाई एवं अनुसंधान , अनुशीलन – परिशीलन कर रहे हैं
v.v.i Subjective Question ( 5marks )
1. विक्रमशिला विश्वविद्यालय का वर्णन करें ।
उत्तर – विक्रमशिला भागलपुर जिला जो प्राचीन अंग महाजनपद से लोकप्रिय था , के कहलगाँव थानान्तर्गत पथरघट्टा के एक छोटे से गाँव अंतीचक में है । इसकी स्थापना आठवीं सदी के मध्य में पालवंशी राजा धर्मपाल के संरक्षण में हुई थी । विक्रमशिला नामकरण के संदर्भ में प्रचलित जनश्रुति है कि वहाँ के आचार्यों के विक्रमपूर्ण आचरण तथा उनकी अखंड शील संपन्नता के कारण इसे ‘ विक्रमशिला ‘ नाम से संबोधित किया गया । साथ ही , यह भी मान्यता है कि विक्रम नामक यक्ष को दमित कर उस स्थान पर विहार बनाने के कारण इसका नाम विक्रमशिला रखा गया ।
विक्रमशिला के प्रांगण में छ : महाविद्यालय थे । इस प्रांगण में द्वार पंडित के समय मौखिक परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले छात्र ही प्रवेश पाने में सफल हो पाते थे । विक्रमशिला के पाठ्यक्रम में तंत्र विद्या के अतिरिक्त व्याकरण , न्याय , सृष्टि – विज्ञान , शब्द – विद्या , शल्य – विद्या , सांख्य , वैशेषिक , अध्यात्म विद्या , विज्ञान एवं चमत्कार शामिल थे । पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मनुष्य को पूर्ण मानव बनाना था , इसलिए दान , शील , धैर्य , वीर्य , ध्यान और प्रज्ञा पारमिता के मुख्य अंग में पारंगत होना आवश्यक था । नवागत विद्यार्थियों को कुछ समय के लिए भिखु वर्ग में रहना पड़ता था , फिर उन्हें बौद्ध सिद्धान्तों से परिचित कराया जाता था । तंत्र विद्या वह विद्या है जिसमें चमत्कार एवं भूत – प्रेत संबंधी ज्ञान के बारे में बताया जाता इसमें कुछ ऐसी प्रक्रियाएँ हैं जिनके माध्यम से लोग सिद्धि प्राप्त करते हैं । इसमें बलि के साथ – साथ मंत्र की प्रधानता होती है काली इसके आराध्य देवी हैं ।
2. इस विश्वविद्यालय को आधुनिक बनाने के लिए आप क्या – क्या सुझाव देंगे ?
उत्तर — इस विश्वविद्यालय को आधुनिक बनाने के संबंध में मेरा सुझाव होगा कि यहाँ विश्वप्रसिद्ध विद्वानों की नियुक्ति की जाए । नामांकन पूर्व छात्रों की योग्यता की जाँच के लिए परीक्षा ली जाए । विषयगत पढ़ाई के साथ – साथ छात्रों को मानवता का पाठ पढ़ाया जाए , ताकि शिक्षण समाप्ति के उपरांत अपना कार्य पूर्णदायित्व एवं मानवतापूर्ण ढंग से करें । ‘ सर्वे भवन्तु सुखिनः ‘ या ‘ विश्वबंधुत्व की भावना ‘ से सारा विश्व ओतप्रोत हो जाए ।
3. परिभ्रमण के दौरान आप इस स्थल का चयन करना क्यों पसंद करेंगे ?
उत्तर – परिभ्रमण के दौरान मैं इस स्थल का चयन करना इसलिए पसंद करूँगा , क्योंकि यह स्थल भारत के गौरवशाली अतीत का परिचय कराता है । यहीं देश – विदेश के विद्यार्थी अध्ययन करके स्वत : मान – सम्मान के हकदार हो जाते थे । आज के कैम्ब्रिज तथा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों से अधिक उन्नत और महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय यहीं था । यहाँ का विद्यार्थी होना अपने – आप में गौरव की बात थी । हमारा अतीत कितना गौरवशाली तथा महान् था इसका अनुमान इस स्थल का परिभ्रमण करने पर ही होगा । इसी उद्देश्य से परिभ्रमण के लिए इस स्थान का चयन करना पसंद करूंगा । की डायरी