Class 10 Non-Hindi (अहिन्दी ) पाठ – 15 दीनबंधु ‘ निराला ‘
1. ‘ दीनबंधु निराला ‘ शीर्षक पाठ गद्य की कौन – सी विधा है ?
( क ) कहानी
( ख ) लेख
( ग ) रिपोर्ताज
( घ ) संस्मरण
उत्तर- ( घ )
2. ‘ दीनबंधु निराला ‘ शीर्षक संस्मरण / रेखाचित्र के रचनाकार हैं
( क ) शिवपूजन सहाय
( ख ) अज्ञेय
( ग ) हरिवंश राय बच्चन
( घ ) जानकी बल्लभ शास्त्री
उत्तर- ( क )
3. दीनबन्यु निराला का पूरा नाम था
( क ) सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘ निराला ‘
( ख ) मो . इकबाल ‘ निराला ‘
( ग ) कबीरदास ‘ निराला ‘
( घ ) नरोत्तमदास ‘ निराला ‘
उत्तर- ( क )
4. ‘ दीनबन्यु कैसे होते हैं ?
( क ) ईश्वर भक्त
( ख ) ईश्वर की पूजा करने वाले
( ग ) मंदिर में पूजा करने वाले
( घ ) तन , मन , धन से दुखियों की सेवा करने वाले
उत्तर- ( घ )
5. दीनबन्य ‘ किसके नाम के साथ जोड़ा गया है ?
( क ) मुक्तिबोध
( ख ) जयशंकर प्रसाद
( ग ) निराला
( घ ) सुमित्रा नंदन।
उत्तर- ( ग )
6. निशाला जी मध्ये अर्थों में किसके मित्र ?
( क ) दीन -दुखियों के
( ख ) अमीरॉ के
( ग )कवियों के
( घ ) कथावाचकों के।
उत्तर ( क़ )
7.निराला जी का चरित्र कैसा था ?
( क ) उदात्
( ख ) दीनबंधु
( ग ) दोनों
( घ ) सभी गलत है
उत्तर- ( ग )
8. निराला किनके लिए ‘ मुक्तहस्त दोस्त परस्त ‘ घे ?
( क ) मित्रों के लिए
( ख ) दीनों के लिए
( ग ) परिवार के लिए
( घ ) पत्नी के लिए
उत्तर-( ख )
9. निराला को ‘ दीनबन्यु ‘ क्यों कहा गया है ?
( क ) क्योंकि वे दीन – हीन थे
( ख ) दीन – दुखियों की सेवा करते थे
( ग ) दुखियों से घृणा करते थे
( घ ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर- ( ख )
10 .’ विवेकानंद सोसाइटी ‘ के विराट आयोजन के कार्यक्रम में निराला जी किस काम की जिम्मेवारी निभाते थे ?
( क ) दरिद्रनारायण के भोजन का
( ख ) जूते की देखभाल का
( ग ) उदघोषक का
( घ ) कार्यकर्ताओं के देखभाल का
उत्तर-( क )
11. बंगाली समाज के लोग निराला जी से किसकी रचना गवाकर सुनना पसंद करते थे या तृप्त होते थे ?
( क ) तुलसीदास की
( ख ) रवीन्द्रनाथ की
( ग ) बंकिमचंद्र चटर्जी की
( घ ) व्योमेश बनर्जी की
उत्तर-( ख )
12 . बेलूर मठ कहाँ है ?
( क ) कोलकाता
( ख ) मद्रास
( ग ) मुंबई
( घ ) बंगलोर
उत्तर-( क )
13. कलकत्ता ( कोलकाता ) क्या है ?
( क ) छोटा शहर
( ख ) महानगर
( ग ) एक राज्य
( घ ) एक प्रदेश
उत्तर-( ख )
14. कोलकाता ( कलकत्ता ) में है
( क ) मीनाक्षी मंदिर
( ख ) स्वर्ण मंदिर
( ग ) बेलूर मठ
( घ ) अमरनाथ गुफा
उत्तर-( ग )
15. ‘ दमकती दाडिम – दसनावली ‘ किस पाठ से सम्बन्धित है ?
( क ) दीनबंधु निराला
( ख ) खेमा
( ग ) ठेस
( घ ) बालगोबिन भगत
उत्तर-( क )
16. याचकों के लिए कौन कल्पतरु थे ?
( क ) प्रेमचन्द
( ख ) निराला
( ग ) महादेवी
( घ ) नेपाली
उत्तर- ( ख )
17. भगवद विभूतियाँ किन्हें खूब मिली थीं ?
( क ) नेपालीजी को
( ख ) निरालाजी को
( ग ) प्रेमचन्दजी को
( घ ) बिहारीलाल को।
उत्तर- ( ख )
Subjective Question ( 2marks )
1. निराला संबंधी बातें लोगों को अतिरंजित क्यों जान पड़ती हैं ?
उत्तर – आधुनिक युग में कोई निराला की तरह दीन – दुखियों का सच्चा मित्र नहीं मिलेगा । वे खुद मामूली कपड़ों में गुजर कर गरीबों को अपना नया कपड़ा , कंबल इत्यादि दान कर देते थे । अपना सब कुछ देकर वे मस्तमौला फकीर बन जाते थे । वे अपने सामने परोसी हुई थाली तक किसी भूखे को दे देते थे । आज के युग में भला कौन ऐसा मिलेगा । इसीलिए आज निराला संबंधी बातें लोगों को अतिजित जान पड़ेंगी ।
2. निराला को ‘ दीनबंधु ‘ क्यों कहा गया है ?
उत्तर — निराला ने जीवनभर दीन – दुखियों की सेवा की । जहाँ भी उन्हें दीन – दुखी मिल जाते , वे पूरी आत्मीयता से उनकी सहायता करते थे । वे गरीबों के सच्चे मित्र थे । दीनबंधु ईश्वर को कहा जाता है । दीनों की चिन्ता करनेवाला भी उसी दीनबंधु के समान हो जाता है — ‘ जो रहीम दीनहिं लखै दीनबंधु सम होय । ‘ इसीलिए निराला को दीनबंधु कहा गया है ।
Subjective Question ( 5marks )
1. महाकवि सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘ निराला ‘ के संबंध में अपने विचार लिखें ।
उत्तर – आधुनिक युग में कोई निराला की तरह दीन – दुखियों का सच्चा मित्र नहीं मिलेगा । वे खुद मामूली कपड़ों में गुजर कर गरीबों को अपना नया कपड़ा , कंबल इत्यादि दान कर देते थे । अपना सब कुछ देकर वे मस्तमौला फकीर बन जाते थे । वे अपने सामने परोसी हुई थाली तक किसी भूखे को दे देते थे । आज के युग में भला कौन ऐसा मिलेगा । इसीलिए आज निराला संबंधी बातें लोगों को अतिजित जान पड़ेंगी ।
2. महाकवि सूर्यकान्त त्रिपाठी “ निराला ‘ के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालें ।
उत्तर – छायावादी कवि ‘ निराला ‘ का नाम बड़ा ही श्रद्धा से लिया जाता है । निराला सच्चे अर्थों में दीन – बन्धु थे । आकर्षक रूप वाले लम्बे – तगड़े , डील – डॉल शरीर वाले , व्यायाम के अभ्यास से सुगठित शरीर , विलक्षण , मेधाशक्ति , दया करूणा से भरे निराला उत्कृष्ट साहित्यकार थे । बड़ी – बड़ी लुभावनी आँखें , घुघराले बाल , पतले – पतले अधर और पतली – पतली बाँकी अंगुलियाँ- लगता था विधाता ने फूर्सत में उन्हें सँवारा है । धन – संचय कभी जीवन का उद्देश्य नहीं रहा । जीवन भर अभाव – ग्रस्त रहें । कलकत्ता जैसे महानगर की सड़कों की दोनों पटरियों पर बैठे भिखारियों , कुली – कबाड़ियों के लिए बीड़ी , मूढी , भूजा , चना , मूंगफली आदि खरीदकर बाँटते रहते । अपनी खाने की थाली तक दूसरों को दे देते थे । इस प्रकार महाकवि ‘ दीनबन्धु ‘ निराला आज भी सबके लिए प्रेरणास्त्रोत है । ?