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Class 10 Non-Hindi (अहिन्दी ) पाठ - 23 राह भटके हिरण के बच्चे को

Class 10 Non-Hindi (अहिन्दी ) पाठ – 23 राह भटके हिरण के बच्चे को

              Class 10 Non-Hindi (अहिन्दी ) पाठ – 23 राह भटके हिरण के बच्चे को

 

1. ‘ राह भटके हिरण को ‘ शीर्षक कविता के कवि कौन है ?

( क ) मो . इकबाल

( ख ) बिहारी

( ग ) शंकर शैलेन्द्र

( घ ) डॉ . नि ० ( वियतनाम )

उत्तर- ( घ )

 

2. ‘ राह भटके हिरन के बच्चे को कविता में आकाश में क्या भरे है

( क ) चाँद

( ख ) तारे

( ग ) सूर्य

( घ ) हवा

उत्तर- ( ख )

 

3. ‘ राह भटके हिरण के बच्चे को ‘ पाठ से क्या सीख मिलती है ?

( क ) ज्ञान का प्रकाश जरूरी है

( ख ) अज्ञानता जरूरी है

( ग ) पढ़ना – लिखना चाहिए

( घ ) सभी गलत हैं

उत्तर- ( क )

 

4. ” राह भटके हिरण के बच्चे को ‘ पाठ में जीवन का अर्थ है

( क ) प्रयास करते रहना

( ख ) चुपचाप बैठा रहना

( ग ) जिद्दी होना

( घ ) असावधान रहना।

उत्तर- ( क )

 

5. ‘ राह भटके हिरण के बच्चे को ‘ कैसी कविता है ?

( क ) मनोवैज्ञानिक

( ख ) अत्यन्त मार्मिक

( ग ) व्यंग्यात्मक

( घ ) देशभक्ति

उत्तर- ( ख )

 

6. जंगल में हिरण का बच्चा क्या कर रहा था ?

( क ) खेल रहा था

( ख ) राह भटक गया था

( ग ) माँ से बिछड़ गया था

( घ ) झूड में खो गया था।

उत्तर- ( ग )

 

7. हिरण के बच्चे के लिए कौन दुखी था ?

( क ) उसकी माँ

( ख ) उसके दोस्त

( ग ) कवि

( घ ) उसके दुश्मन।

उत्तर- ( ग )

 

8. कवि हिरण – शावक को क्या दिलासा दे रहा था ?

( क ) तू , अभी सो जा

( ख ) बाँस के वन और अकवन की हवा लोरी सुनाएगी

( ग ) सुबह तुम्हें तुम्हारी माँ मिल जाएगी

( घ ) उपर्युक्त तीनों

उत्तर- ( घ )

 

9. हमें निराश न होकर प्रकृति प्रदत वस्तुओं का क्या करना चाहिए ?

( क ) अपव्यय

( ख ) उपभोग

( ग ) तिरस्कार

( घ ) प्रतिकार

उत्तर- ( ख )

 

10. “ जाड़े की रात , पहाड़ पर रो रहा है

( क ) कुत्ता

( ख ) बिल्ली

( ग ) हिरन

( घ ) गाय

उत्तर- ( ग )

 

 

                                                             Subjective Question ( 2marks )

 

1. कविता ‘ राह भटके हिरण के बच्चे को ‘ में क्या संदेश छुपा है ?

उत्तर – प्रस्तुत कविता ‘ राह भटके हिरण के बच्चे को ‘ में कवि ने भटके हिरण के बच्चे के माध्यम से यह संदेश देना चाहा है कि माया – मोहरूपी अज्ञान संसार में लिपटा व्यक्ति तब तक व्यथित रहता है जब तक ज्ञान – प्रकाश की ज्योति के दर्शन नहीं हो जाते । इसलिए निराश न होकर प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं का उपभोग करते हुए परम सत्य की प्राप्ति का प्रयास करते रहने पर जीवन सुखमय बना रहता है ।

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