( 2 – Marks Questions )
प्रश्न:1 औद्योगिक क्रान्ति क्या है ?
उत्तर – वाध्य शक्ति संचालित मशीनों द्वारा बड़े – बड़े कारखानों में बड़े पैमाने पर वस्तुओं का उत्पादन ही औद्योगिक क्रांति है । 18 वीं सदी के उत्तरार्द्ध में इसकी शुरुआत इंग्लैंड में हुई ।
प्रश्न:2 विश्वबाजार किसे कहते हैं ?
उत्तर – विश्व बाजार उन स्थलों के बाजारों को कहते हैं जो विश्व के अनेक देशों की वस्तुएँ आमलोगों के खरीदने के लिए उपलब्ध कराती हों जैसे भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई ।
प्रश्न:3 भूमंडलीकरण में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के योगदान ( भूमिका ) को स्पष्ट करें ।
उत्तर – भूमंडलीकरण के प्रभाव को कायम करने में विश्व बैंक , अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष , विश्व व्यापार संस्था तथा पूँजीवादी देशों की बड़ी – बड़ी व्यापारिक और औद्योगिक कंपनियों ( बहुराष्ट्रीय कंपनियों ) का बहुत बड़ा योगदान है । साथ ही अपने आर्थिक हितों को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए गठित क्षेत्रीय संगठनों जैसे – जी -8 , ओपेक , आसियान , यूरोपीय संघ , जी -15 , जी -77 , दक्षेस ( सार्क ) आदि का भी भूमंडलीकरण की प्रक्रिया को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है ।
प्रश्न:4 भूमंडलीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर – जीवन के सभी क्षेत्रों का एक अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप जिसने दुनिया के सभी भागों को आपस में जोड़ दिया है , भूमंडलीकरण कहा जाता है । इसके फलस्वरूप सम्पूर्ण विश्व एक छोटे से गाँव के रूप में परिवर्तित हो गया ।
प्रश्न:5 1929 ई . के आर्थिक संकट के कारणों को संक्षेप में स्पष्ट करें ।
उत्तर –1929 ई . के आर्थिक संकट का प्रमुख कारण था अति उत्पादन । प्रथम महायुद्ध के समय कृषि तथा औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि की गई थी । युद्ध के बाद उत्पादन के अनुपात में खरीददारों की संख्या काफी कम थी । इससे उद्योगपतियों तथा कृषकों दोनों की स्थिति खराब हो गई । युद्ध के बाद अपनी अर्थव्यवस्था सुधारने हेतु अनेक देशों ने अमेरिकी पूँजीपतियों से कर्ज ले रखा था । संकट के समय वे पूँजीपति कर्ज वापस मँगाने लगे । इससे कर्जखोर देश संकट में पड़ गये । संकट के समय सभी देश संरक्षणात्मक उपाय कर अपनी आवश्यकता की वस्तुएँ स्वयं बनाने का प्रयास करने लगे । इससे विश्व बाजार आधारित पूँजी- -व्यवस्था चरमरा गई । अमेरिकी पूँजीपतियों ने यूरोप को ऋण न देकर मुद्रा बाजार में सट्टा लगाना शुरू किया । इससे यूरोप की स्थिति बिगड़ गई । उधर अमेरिका में शेयर के भाव तेजी से नीचे गिरे । इस प्रकार इन सभी कारणों ने 1929 ई . की आर्थिक मंदी की शुरुआत की ।
प्रश्न:6 भूमंडलीकरण के भारत पर प्रभावों को स्पष्ट करें ।
उत्तर – भूमंडलीकरण का प्रभाव भारत पर व्यापक रूप से पड़ा । इसके फलस्वरूप भारत में रोजगार के अवसर बढ़े हैं । भारत में अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का आगमन हुआ जो विभिन्न तरह के उपभोक्ता सामग्रियों का उत्पादन करती हैं अथवा सेवा क्षेत्र में कार्य कर रही हैं । भूमण्डलीकरण के फलस्वरूप शिक्षा एवं स्वास्थ्य के बेहतर विकल्प उपलब्ध हुए हैं । हम इसके उत्पादों का उपभोग कर रहे हैं । भूमंडलीकरण के कारण भारत में भी लोगों के जीवन स्तर में काफी सुधार आया है । उनका जीवन सुविधापूर्ण हुआ है ।
प्रश्न:7 विश्व बाजार के स्वरूप को समझाएँ ।
उत्तर- विश्व का स्वरूप काफी व्यापक होता है । इसका सीमा क्षेत्र केवल एक राष्ट्र तक सीमित नहीं होता है , बल्कि कच्चे माल की प्राप्ति . निर्माण तथा उत्पादों का विक्रय , इत्यादि एक नहीं बल्कि कई देशों में होता है । इसमें अलग – अलग देशों की अर्थव्यवस्था के संश्लेषण के फलस्वरूप एक विश्वव्यापी अर्थतंत्र का उद्भव होता है । विश्व बाजार के क्रिया – कलापों में विभिन्न देशों के उद्यमियों का योगदान होता है ।
प्रश्न:8 औद्योगिक क्रांति किस प्रकार विश्व बाजार के स्वरूप को विस्तृत किया ?
उत्तर -18 वीं शताब्दी के मध्य से इंगलैंड में बड़े – बड़े कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन आरंभ हुआ । ये कारखाने वाष्प इंजन से चलते थे । वाष्प इंजन से कारखानों में बहुत अधिक उत्पादन होने लगा , जिससे कच्चे माल की आवश्यकता बढ़ गई । तब इंग्लैंड ने उत्तरी अमेरिका , एशिया ( भारत ) और अफ्रीका की ओर अपना पाँव फैलाया जहाँ उसे कच्चा माल भी मिला और बना – बनाया बाजार भी । इस तरह उपनिवेशवाद का प्रारंभ हुआ ।
( 5 – Marks Questions )
प्रश्न:1 भूमंडलीकरण के कारण आम लोगों के जीवन में आनेवाले परिवर्तनों को स्पष्ट करें ।
उत्तर – भूमंडलीकरण के फलस्वरूप सम्पूर्ण विश्व एक बड़े गाँव के समान हो गया है । ऐसा लगता है कि दुनिया छोटी हो गई और हमारी पहुँच दुनिया के हर हिस्से में हो गई । भूमंडलीकरण के फलस्वरूप आम लोगों के जीवन में व्यापक परिवर्तन आया है । भूमंडलीकरण के फलस्वरूप जीविकोपार्जन के कई नये क्षेत्र खुले हैं । इनमें सेवा क्षेत्र का विस्तार सर्वाधिक हुआ है । जैसे टूर एवं ट्रेवल एजेन्सी , बैंक , बीमा , होटल एवं रेस्तरां , कॉल सेन्टर , इन्टरनेट कैफे , दूरसंचार एवं सूचना तकनीकी , वीडियो , शॉपिंग मॉल , पार्लर आदि इन सभी क्षेत्रों में विदेशी कम्पनियों , फार्मों के आ जाने के बाद इनके क्षेत्र का विस्तार हुआ है । ये कम्पनियाँ विश्व भर में कहीं भी ( वर्ल्डवाइड ) सेवाएँ देती हैं । भूमंडलीकरण के फलस्वरूप शिक्षा में भी नए – नए अवसर उपलब्ध हुए हैं । नए – नए विषय उभरे हैं । इस शिक्षा हेतु दुनिया भर की शिक्षण संस्थाओं तक लोगों की पहुँच बनी है । स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी भूमंडलीकरण के फलस्वरूप अच्छी – से – अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएँ लोगों को प्राप्त हो रही हैं । नई – से – ई तकनीक आज लोगों तक पहुँच रही है । भूमंडलीकरण के फलस्वरूप ही लोगों के पास हर क्षेत्र में विकल्पों की भरमार हो गई है । चाहे उपभोक्ता सामग्री हो , सेवा क्षेत्र हो , शिक्षा या स्वास्थ्य का क्षेत्र हो , उससे जुड़ी हुई विश्व के तमाम फर्म या समस्या लोगों के समक्ष उपलब्ध हैं । इस प्रकार भूमंडलीकरण के फलस्वरूप आम लोगों को काफी लाभ हुआ है । उनका जीवन सुविधापूर्ण हो गया है । दुनिया के किसी भी भाग में उन्हें अपनी पसंद के उत्पाद मिल जाते हैं । बैंक एवं बीमा कम्पनियाँ मिल जाती हैं । वस्तुतः भूमंडलीकरण के कारण व्यक्ति अपने आपको पूरे विश्व का नागरिक समझने लगा है ।
प्रश्न:2 1929 ई . के आर्थिक संकट के कारण और परिणामों को स्पष्ट करें ।
उत्तर –1929 ई . के आर्थिक संकट के निम्नलिखित प्रमुख कारण थे
( i ) अति उत्पादन – प्रथम महायुद्ध के समय युद्ध के कारण अतिरिक्त माँग की पूर्ति के लिए कृषि तथा औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि की गई थी । नवीन तकनीकी प्रगति से भी उत्पादन में वृद्धि हुई थी । युद्ध समाप्त हो जाने के बाद भी अति उत्पादन का दौर जारी रहा । उत्पादन के अनुपात में खरीदने वालों की संख्या काफी कम थी ।
( ii ) अमेरिका द्वारा कर्ज वसूली – बहुत सारे देशों ने युद्ध के बाद अपनी तबाह हो चुकी अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए अमेरिकी पूँजीपतियों से कर्ज ले रखा था । जब अमेरिका के घरेलू संकट के कुछ संकेत मिले तो अमेरिकी पूँजीपति कर्ज वापस माँगने लगे । इससे वे देश संकट में पड़ गये । कई बैंक डूब गए । कई देशों की मुद्रा के मूल्य गिर गए ।
( iii ) संकुचित आर्थिक राष्ट्रवाद – अमेरिका ने संकट को देखते हुए कुछ संरक्षणात्मक उपाय किए । उसने आयात पर दुगुना सीमा शुल्क लगा दिया तथा आयात की मात्रा को भी सीमित कर दिया । सभी देश यही प्रयास कर रहे थे कि वे अपनी आवश्यकता की अधिकांश वस्तुएँ स्वयं बनाएँ । इस संकुचित आर्थिक राष्ट्रवाद ने विश्व – व्यापार के बाजार आधारित व्यवस्था की कमर तोड़ दी ।
( iv ) सट्टेबाजी की प्रवृत्ति – अमेरिकी पूँजीपति ने यूरोप को ऋण देने के बजाय मुद्रा बाजार में सट्टा लगाने लगे । इससे अमेरिकी ऋण पर टिके यूरोप का आधार सहसा खिसक गया । आरम्भिक दौर में सट्टा बाजार के लाभ ने इस प्रवृत्ति को और बढ़ाया । शुरू में लोगों के जुड़ने के कारण शेयर के भाव काफी बढ़े । किन्तु कुछ ही समय बाद शेयर का भाव उतनी ही तेजी से नीचे भी गिर पड़ा । इस प्रकार उपरोक्त प्रमुख कारणों से 1929 ई . में विश्वव्यापी आर्थिक मंदी की शुरूआत हुई । इसका प्रभाव विश्वव्यापी रहा ।