You are currently viewing Class 10 Science Chapter-6 जैव प्रक्रम V.V.I Subjective Question In Hindi
Class 10 Science Chapter-6 जैव प्रक्रम V.V.I Subjective Question In Hindi

Class 10 Science Chapter-6 जैव प्रक्रम V.V.I Subjective Question In Hindi

 

प्रश्न:1 पाचक इंजाइमों का क्या कार्य है ?

उत्तर:- पाचक ग्रथियों से उत्पन्न पाचक रस में पाचक एंजाइम्स उपस्थित होते हैं । प्रत्येक ग्रंथि से विशिष्ट प्रकार का पाचक एंजाइम स्रावित होता है जिसका विशिष्ट कार्य होता है । पाचक एंजाइम भोजन के विभिन्न पोषक तत्त्वों को जटिल रूप से सरल रूप में परिवर्तित करके घुलनशील बनाते हैं ।

जैसे —  लार ग्रंथि सैलाइवरी एमाइलेज टायलीन कार्वोहाइड्रेट को माल्टोज शर्करा में बदल देता है । पेप्सिन प्रोटीन को पेप्टोन में बदल देता है , इत्यादि ।

 

प्रश्न:2  धमनी और शिरा में दो अंतर बताएँ ।

उत्तर:- धमनी व शिरा में दो अंतर निम्नलिखित हैं

( i ) धमनी शुद्ध या ऑक्सीजनित रक्त ( pure or oxygenated blood ) को हृदय से शरीर के विभिन्न भागों में ले जाती है । शिराओं में यह अशुद्ध रक्त या विऑक्सीजनित रक्त ( impure or deoxygenated blood ) को विभिन्न अंगों से हृदय की ओर ले जाती है ।

( ii ) धमनियों की दीवारें मोटी , लचीली तथा कपाटहीन होती हैं । शिरा की दीवार धमनी की अपेक्षा पतली होती है । अधिकतर शिराओं में हृदय की ओर खुलनेवाले कपाट लगे होते हैं जो रक्त को शिरा से सिर्फ हृदय की ओर जाने देते हैं ।

 

प्रश्न:3 स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में क्या अंतर हैं ?

उत्तर:-

              स्वयंपोषी पोषण

              विषमपोषी पोषण

1. स्वयंपेषी पोषण हरे पौधों में पाया जाता है ।

1. विषमपोषी पोषण कीटों तथा जंतुओं में निहित हैं ।

 2. यह कार्बन डाइऑक्साइड व जल द्वारा सूर्य के प्रकाश व क्लोरोफिल की                  उपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट वऑक्सीजन का निर्माण करते हैं ।

 2. यह अपने भोजन के लिए शाकाहारी प्राणियों पर निर्भर रहते

3. अपने भोजन के लिये स्वयंपोषी को अकार्बनिक पदार्थों की आवश्यकता रहती है ।

3. अपने भोजन के लिये विषमपोषी को कार्बनिक पदार्थों की आवश्यकता होती है ।

प्रश्न:4 पादप में भोजन स्थानांतरण कैसे होता है

उत्तर:- संश्लेषण के विलेय उत्पादों का वहन स्थानांतरण कहलाता है । यह कार्य संवहन ऊतक के फ्लोएम नामक भाग के द्वारा किया जाता है । फ्लोएम इस कार्य के अतिरिक्त अमीनो अम्ल तथा अन्य पदार्थों का परिवहन भी करता है । पदार्थ विशेष रूप से जड़ के भंडारण अंगों , फलों , बीजों और वृद्धि वाले अंगों में ले जाये जाते हैं । भोजन तथा अन्य पदार्थों का स्थानान्तरण संलग्न साथी कोशिका को सहायता से चालनी नलिका में उपरिमुखी तथा अधोमुखी दोनों दिशाओं में होता है । फ्लोएम से स्थानांतरण का कार्य जाइलम के विपरीत होता है । यह ऊर्जा के उपयोग से पूरा होता है । सुक्रोज जैसे पदार्थ फ्लोएम ऊतक में ए ० टी ० पी ० से प्राप्त ऊर्जा से ही स्थानांतरित होते हैं । यह दाब पदार्थों को फ्लोएम से उस ऊतक तक ले जाता है जहाँ दाब कम होता है । यह पादप की आवश्यकतानुसार पदार्थों का स्थानांतरण कराता है । वसंत ऋतु में यही जड़ और तने के ऊतकों में भंडारित शर्करा का स्थानांतरण कलिकाओं में कराता है जिसे वृद्धि के लिये ऊर्जा की आवश्यकता होती

 

प्रश्न:5 श्वसन क्या है ?

उत्तर:- शरीर के बाहर से ऑक्सीजन को ग्रहण करना तथा कोशिकीय आवश्यकता के अनुसार खाद्य स्रोत के विघटन में उसका उपयोग श्वसन कहलाता है । इसे निम्न समीकरण द्वारा समझा जा सकता है

              C6H12O6 + 6O2 → 6CO2 + 6H2O + 673 k cal .

 

प्रश्न:6 उत्सर्जन क्या है ? मानव में इसके दो प्रमुख अंगों के नाम लिखें

उत्तर:- जीवों के शरीर से उपापचयी क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निष्कासन की क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं । मानव में इसके दो प्रमुख अंग के नाम निम्नलिखित हैं

( i ) वृक्क ( Kidney ) – जो रक्त में द्रव्य के रूप में अपशिष्ट पदार्थों ( liquid waste product ) को मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकालता है ।

( ii ) फेफड़ा ( Lungs ) – जो रक्त में गैसीय अपशिष्ट पदार्थों ( gaseous waste product ) शरीर से बाहर निकालता है ।

 

प्रश्न:7 वाष्पोत्सर्जन क्रिया का पौधों के लिए क्या महत्त्व है ?

उत्तर:-  वाष्पोत्सर्जन क्रिया का पौधों के लिए निम्नलिखित महत्त्व हैं

( i ) यह पौधों के मूलरोम द्वारा खनिज लवणों के अवशोषण एवं जड़ से पत्तियों तक उनके परिवहन में सहायक होता है ।

( ii ) यह पौधों में तापक्रम संतुलन बनाये रखता है । धारा बनी रहती है । की गति के लिए मुख्य प्रेरक बल का कार्य करता है ।

( iii ) वाष्पोत्सर्जन के कारण ही पौधों की जड़ों से चोटी तक जल की निश्चित धारा बनी रहती है

( iv ) दिन में रंध्रों के खुले रहने पर वाष्पोत्सर्जन कर्षण ही जाइलम में जल की गति के लिए मुख्य प्रेरक बल का कार्ये करता है

 

प्रश्न:8 पौधों में गैसों का आदान – प्रदान कैसे होता है ?

उत्तर:-  पौधों में गैसों का आदान – प्रदान विसरण की क्रिया के द्वारा पौधों की पत्तियों पर स्थित रंध्रों ( stomata ) पुराने वृक्षों के तनों की कड़ी त्वचा ( bark ) पर स्थित वातरंध्रों ( lenticels ) एवं अंतरकोशिकीय स्थानों ( intercellular spaces ) के द्वारा होती है । इस क्रिया में पौधो की आवश्यकताओं एवं पर्यावरणीय अवस्था का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है ।

 

प्रश्न:9 पित्त क्या है ? मनुष्य के पाचन में इसका क्या महत्त्व है

उत्तर:-  पित्त यकृत ग्रोथ से स्रावित होने वाला ( श्राव ) द्रव्य है जो छोटी आंत भोजन के पाचन में मदद करता है । मनुष्य के पाचन क्रिया में इसका निम्नलिखित महत्त्व है

( i ) पित्त आमाशय से ग्रहणी में आए अम्लीय काइम की अम्लीयता को नष्ट कर उसे क्षारीय बना देता है ताकि अग्न्याशयी रस के एंजाइम उस पर उपापचयी क्रिया कर सके ।

( ii ) पित्त भोजन में वसा के बड़े कण को सूक्ष्म कण में तोड़ने में ( emulsification ) मदद करता है , ताकि लाइपेज एंजाइम उस पर क्रिया कर वसा अम्ल एवं ग्लिसरॉल में परिवर्तित कर सके । इस प्रकार वसा के पाचन में पित्त का महत्त्व है ।

 

प्रश्न:10 हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते

उत्तर:- हीमोग्लोबिन , लाल रक्त कोशिकाओं में पायी जाती है , यह ऑक्सीजन के साथ मिलकर ऑक्सीहीमोग्लोविन का निर्माण करती है । यह कोशिका में ऑक्सीजन को विसरित कर देती है , जिससे कोशिकीय श्वसन हो सके । हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी से एनिमिया नामक बीमारी हो जाती है । रक्त कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है । कोशिका को पूरी तरह ऑक्सीजन नही मिल् पाता है , जिसके कारण कोशिकीय श्वसन वाधित हो जाता है ।

 

प्रश्न:11 पोषण क्या है ? इनके विभिन्न चरण कौन – कौन से हैं ?

उत्तर:-  पोषण एक जटिल प्रक्रम है जिसके अंतर्गत कोई जीवधारी भोजन ग्रहण करता है , जिसके द्वारा शरीर – रचना , टूट – फूट की मरम्मत एवं अन्य सभी जैविक क्रियाओं का संचालन एवं नियमन होता है । मुख , आहार नली , आमाशय , क्षुद्रांत्र आंत की भित्ति । बिना पचा भोजन वृहदांत्र में भेज दिया जाता है । पोषण

 

प्रश्न:12  मृतजीवी पोषण क्या है ?

उत्तर:-  जीव मृत जंतुओं और पौधों के शरीर से अपना भोजन , अपने शरीर की सतह से , घुलित कार्वनिक पदार्थों के रूप में अवशोषित करते हैं । यही मृतजीवी पोषण है । मृतजीवी अपना भोजन मुख्यतः तरल अवस्था में अवशोषण द्वारा ग्रहण करते हैं । जंतुओं और पौधों की मृत्यु के पश्चात् उनके मृत शरीर को मृतजीवी अपघटित कर , अर्थात् सड़ा – गलाकर उनके मूल तत्त्वों में बदल देते हैं । ऐसे मूल तत्त्व पुनः मिट्टी में प्रतिस्थापित हो जाते हैं और उत्पन्न गैस वातावरण में मिल जाते हैं इन तत्त्वों को फिर से हरे पौधे मिट्टी से ग्रहण कर अपने उपयोग में लाते हैं । यही चक्र पृथ्वी में निरंतर चलता रहता है ।

 

प्रश्न:13  जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे ?

उत्तर:-  जीवन के अनुरक्षण के लिए हम निम्नलिखित प्रक्रमों को आवश्यक मानंगे

( i ) पोषण ,

( ii ) श्वसन ,

( iii ) परिवहन एवं

( iv ) उत्सर्जन इत्यादि । पर इन जैव प्रक्रमों के अतिरिक्त सभी जीवधारी जनन ( reproduction ) द्वारा अपनी संख्या में वृद्धि करते । ये क्रियाएँ जीवन के लिए अति आवश्यक हैं ।

 

प्रश्न:14  मछली , मच्छर , केंचुआ और मनुष्य के मुख्य श्वसन अंगों के नाम लिखें ।

उत्तर:-  मछली में मुख्य श्वसन अंग क्लोम ( Gill ) होता है । मच्छर में मुख्य श्वसन अंग श्वासनली या ट्रैकिया है , केंचुआ में मुख्य श्वसन अंग त्वचा है , जबकि मनुष्य में फेफड़ा है ।

 

प्रश्न:15  वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में क्या अंतर है ? कुछ जीवों के नाम लिखिए जिसमें अवायवीय श्वसन होता है ।

उत्तर:- 

           वायवीय श्वसन

          अवायवीय श्वसन

 ( i ) इसमें ऑक्सीजन की आवश्यकता होती    है ।

( i ) इसमें ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है ।

( ii) कोशिका के कोशिका द्रव्य व माइटोकॉण्ड्रिया में होता

 ( ii ) यह क्रिया केवल कोशिका द्रव्य में ही होती है ।

( iii) इस क्रिया में अतिम उत्पाद इथाइल अल्कोहल तथा कार्बन डाइऑक्साइड है

( iii) इस क्रिया में अतिम उत्पाद इथाइल अल्कोहल तथा कार्बन डाइऑक्साइड है ।

( iv ) यह क्रिया सभी जीवधारियों में पायी जाती है ।

( iv ) यह क्रिया केवल कुछ ही जीवधारियों में पायी जाती है ।

Leave a Reply