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Class 10 Science Chapter - 12 विद्युत धारा Subjective Question In Hindi

Class 10 Science Chapter – 12 विद्युत धारा Subjective Question In Hindi

प्रश्न:1   विद्युत आवेश क्या है? विद्युत आवेश कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर:-  विद्युत आवेश:- आवेश किसी पदार्थ पर उपस्थित वह गुण है जिसके कारण वह पदार्थ विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है या इन क्षेत्रों का अनुभव करता है। अगर ऊन द्वारा एबोनाइट के छड़ को रगड़ा जाए तो ऊन पर धन आवेश और एबोनाइट पर ऋण आवेश मुक्त होते हैं। आवेश दो प्रकार के होते हैं—धन आवेश और ऋण आवेश।

 

प्रश्न:2 विद्युत धारा की दिशा से आप क्या समझते हैं?

उत्तर:- परिपाटी के अनुसार किसी विद्युत परिपथ में इलेक्ट्रॉनों जो ऋणावेशित हैं के प्रवाह की दिशा के विपरीत दिशा को विद्युत धारा की दिशा मानी जाती है।

 

प्रश्न:3   विद्युत धारा के तीन व्यवहारिक उपयोगों को लिखें।

उत्तर:- विद्युत के तीन व्यवहारिक उपयोग–

(i) विद्युत हीटर में

(ii) विद्युत केतली में

(iii) विद्युत बल्ब में।

 

प्रश्न:4  विद्युत परिपथ में सामान्य उपयोग होने वाले इन अवयवों के प्रतीक क्या हैं?

(i) विद्युत सेल

(ii) प्रतिरोधक

(iii) एमीटर

(iv) वोल्टमीटर।

उत्तर:- 

 

प्रश्न:5  विद्युत परिपथ में फ्यूज तार का उपयोग क्यों किया जाता है?

उत्तर:-  घर में लगे साधित्रों की सुरक्षा के लिए फ्यूज तार लगाया जाता है। यह उच्च विद्युत धारा के कारण तार गल कर परिपथ को भंग करता है और साधित्रों (रेडियो, टीवी, बल्ब आदि) को जलने से बचाता है।

 

प्रश्न:6  एक वोल्ट की परिभाषा दें।

उत्तर:-  यदि किसी विद्युत धारावाही चालक के दो बिंदुओं के बीच एक कूलॉम आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में 1 जूल कार्य किया जाता है तो उन दो बिंदुओं के बीच विभवांतर 1 वोल्ट होता है। अत: 1 वोल्ट = 1 जूल/1 कूलॉम

 

प्रश्न:7  किसी विद्युत परिपथ का व्यवस्था आरेख खींचें जिसमें 2v के तीन सेलों की बैटरी, एक 50 प्रतिरोधक, एक 80 प्रतिरोधक तथा एक 120 प्रतिरोधक तथा एक प्लग कंजी सभी श्रेणीक्रम में संयोजित हों।

उत्तर:- चित्र में एक विद्युत परिपथ दिखाया गया है जिसमें 3 सेल दो-दो वोल्ट, एक प्लग कुंजी K तथा तीन प्रतिरोधक 50, 80 और 120 के हैं, जो श्रेणी क्रम में संयोजित हैं।

 

प्रश्न:8  क्या आप जानते हैं कि किसी इलेक्ट्रॉन का आवेश कितने कूलॉम के तुल्य होता है? एक कूलॉम आवेश कितने इलेक्ट्रॉनों के आवेश के तुल्य होता है?

उत्तर:-  एक इलेक्ट्रॉन = 1.6 x 10-19C

1 कूलॉम आवेश = 6.25 x 1018 इलेक्ट्रॉन के आवेश के बराबर है।

 

प्रश्न:9 सूखे बालों में कंघी करने से बाल-खड़े हो जाते हैं या कंघी के साथ कागज के कतरन आकर्षित कर लिए जाते हैं। क्यों?

उत्तर:-  कंघी से बाल को रगड़ने पर बाल तथा कंघी पर विपरीत आवेश उत्पन्न हो जाते हैं। अतः कंघी कागज के कतरन को आकर्षित करता है और आवेश के कारण बाल खड़े हो जाते हैं।

 

प्रश्न:10  उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों पर विभवान्तर बनाए रखने में सहायता करती है।

उत्तर:-  किसी चालक के सिरों पर विभवांतर बनाए रखने के लिए सेल अपनी संचित रासायनिक ऊर्जा नियमित रूप से खर्च करता है जिससे विद्युत धारा निश्चित रहती है और चालकों के सिरों के बीच विभवांतर बना रहता है। यह परिवर्ती प्रतिरोध द्वारा सम्पन्न होती है।

 

प्रश्न:11 विद्युत विभव और विभवांतर में क्या अंतर है?

उत्तर:-  विद्युत विभव:- इकाई धन आवेश को अनंत से विद्युतीय क्षेत्र के किसी बिंदु तक लाने में सम्पादित कार्य को उस बिंदु पर का विभव कहते हैं। इसका S.I. मात्रक वोल्ट है।

विभवांतर:—दो बिंदुओं के बीच के विभवों के अंतर को विभवांतर कहते हैं। इसका भी S.I. मात्रक वोल्ट है।

 

प्रश्न:12 प्रतिरोध क्या है? इसका SI मात्रक लिखें।

उत्तर:- जब परिपथ में विद्युत धारा बहती है तो चालक के अन्दर उपस्थित इलेक्ट्रोनों पर आवेश के टक्कर के फलस्वरूप ऊष्मा ऊर्जा उत्पन्न होती है और धारा के बहने में रुकावट डालती है। अतः प्रतिरोध एक ऐसा गुण धर्म है जो किसी चालक में इलेक्ट्रोनों के प्रवाह का विरोध है। यह विद्युत धारा के प्रवाह को नियंत्रित करता है। इसका SI मात्रक ओम है।

 

प्रश्न:13  चालक, अचालक, अर्द्धचालक एवं अति चालक से आप क्या समझते हैं? सोदाहरण व्याख्या करें।

उत्तर:- चालक:-जिन धातुओं के तार से विद्युत धारा प्रवाहित होती है उन्हें चालक कहा जाता है। जैसे लोहा, ताँबा आदि के तार विद्युत के अच्छे चालक हैं।

अचालक:-जिन पदार्थों (धातुओं) के तार से विद्युत धारा का प्रवाह नहीं होता है उन्हें अचालक कहा जाता हैं जैसे एबोनाइट के छड़ तथा ऊन और सूती धागे से विद्युत का प्रवाह नहीं होता है। ये विद्युत के अचालक कहे जाते हैं।

अर्द्धचालक:-ऐसे पदार्थ जिनकी चालकता (6) चालक पदार्थ की चालकता से कम और कुचालक पदार्थ की चालकता से अधिक हो अर्द्धचालक कहे जाते हैं। जैसे—कार्बन, सिलिकन, जर्मेनियम आदि।

अतिचालक :- अतिचालक ऐसे पदार्थ हैं जिनमें अति निम्न ताप पर धारा प्रवाहित करने पर बिना प्रतिरोध के अर्थात् बिना ऊर्जा क्षय के धारा बहती रहती है। ऐसे पदार्थ से धारा प्रवाह में विद्युत ऊर्जा का नाश नहीं होता है। जैसे बेरियम और लैथनम से बना सेरामिक से धारा का प्रवाह निर्वाध गति से होता रहता है।

 

प्रश्न:14 यह कहने का क्या तात्पर्य है कि दो बिंदुओं के बीच विभवांतर 1 वोल्ट है?

उत्तर:- यदि किसी विद्युत धारावाही चालक के दो बिंदुओं के बीच 1 कूलॉम आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में 1 जूल कार्य किया जाता है तो उन दो बिंदुओं के बीच विभवांतर 1 वोल्ट होता है।

अत: 1 वोल्ट = 1 जूल/1 कूलॉम , 1V=1JC-1

 

प्रश्न:15 दो बिंदुओं के बीच के विभवांतर ज्ञात करने के लिए एक व्यजंक लिखें।

उत्तर:- दो बिंदुओं के बीच विभवांतर (V) = किया गया कार्य (W)/आवेश (Q)

या, V = W/Q

 

प्रश्न:16 विद्युत परिपथ का क्या अर्थ है?

उत्तर:-  आवेश में एक विद्युत प्रवाह के लिए बने बंद रास्ते को विद्युत परिपथ कहा जाता है

चित्र में एक विद्युत परिपथ दिखाया गया है।

 

प्रश्न:17 ऐमीटर और वोल्टमीटर की विद्युत परपिथ के साथ क्रमशः श्रेणीक्रम एवं समांतरक्रम में क्यों जोड़ा जाता है?

उत्तर:- ऐमीटर धारा मापने की एक युक्ति है। अतः, इसे विद्युत-परिपथ में श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है ताकि कुल धारा इससे होकर प्रवाहित हो। इसका प्रतिरोध बहुत कम होने के कारण प्रवाहित धारा का परिमापण नहीं बदलता है। वोल्टमीटर विद्युत परिपथ में किन्हीं दो बिंदुओं के बीच विभवांतर मापने की युक्ति है। अतः, इसे उन दो बिंदुओं के समांतरक्रम में जोड़ा जाता है। इसका प्रतिरोध बहुत अधिक होने के कारण यह परिपथ से नगण्य धारा लेता है।

 

प्रश्न:18 ओम के नियम से आप क्या समझते हैं?

उत्तर:- ओम के नियम-अचर ताप पर किसी चालक में बहने वाली विद्युत धारा की प्रबलता चालक के बीच उत्पन्न विभवान्तर के समानुपाती होती है। अगर चालक से I विद्युत धारा बहती है और चालक के दोनों छोरों के बीच का विभवान्तर V है तो ओम के नियम से, V ∝ I

I =V/R जहाँ R एक स्थिरांक है। इसे चालक का प्रतिरोध कहा जाता है।

1(एम्पियर) = V(वोल्ट)/Ω(ओम)

 

प्रश्न:19 विद्युत लैम्पों के तंतुओं के निर्माण में प्रायः एकमात्र टंगस्टन का ही उपयोग क्यों किया जाता है?

उत्तर:- टंगस्टन का गलनांक (3380°C) उच्च है। यह उच्च ताप से गलता है और गर्म होकर प्रकाश उत्सर्जित करता है। अन्य धातुओं के तार का गलनांक इसकी तुलना में कम है। ऐसी अवस्था में बिजली बल्ब में टंगस्टन का उपयोग होता है।

 

प्रश्न:20 विद्युत प्रतिरोधकता क्या है तथा इसका S.I. मात्रक लिखें।

उत्तर:-  विद्युत प्रतिरोधकता किसी पदार्थ की अभिलाक्षणिक गुण है। धातुओं और मिश्रधातुओं के विद्युत प्रतिरोधकता अत्यंत कम होती है। विद्युत प्रतिरोधकता का S.I मात्रक ओम-मीटर (Ω-m) है।

 

प्रश्न:21 एक बल्ब पर 100W-200Vअंकित है बल्ब के फिलामेंट से प्रवाहित धारा और उसका प्रतिरोध बतावें।

उत्तर:-  V= 200V, P= 100 वाट

I = P/V = 100/200 = 1/2 = 0.5A

R = V/I = 200/1/2 = 400Ω

 

प्रश्न:22  किसी तार का प्रतिरोध उनकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल में परिवर्तन के साथ किस प्रकार परिवर्तित होती है?

उत्तर:-  किसी चालक तार की प्रतिरोधकता तार के अनुप्रस्थ परिच्छेद के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होती है। अगर अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल बढ़ा दी जाती है तो तार की प्रतिरोधकता घट जाती है और अगर तार काफी पतला हो तो चालक तार की प्रतिरोधकता बढ़ जाती है।

 

प्रश्न:23  विद्युत संचरण के लिए प्राय: कॉपर तथा ऐलुमीनियम के तारों का उपयोग क्यों किया जाता है?

उत्तर:-  कॉपर तथा ऐलुमिनियम तारों का उपयोग इसलिए किया जाता है कि इनकी विद्युत प्रतिरोधकता अन्य तारों की अपेक्षा काफी कम होती है। कॉपर की प्रतिरोधकता 1.62Ω मीटर और ऐलुमीनियम की प्रतिरोधकता 2.63Ω मीटर है। साथ ही, अन्य धातुओं की तुलना में यह आसानी से उपलब्ध होता है। अधिक महँगे भी नहीं होते हैं।

 

प्रश्न:24 प्रतिवर्ती प्रतिरोध क्या है?

उत्तर:-  स्रोत की बोल्टता में बिना कोई परिवर्तन किए परिपथ की धारा को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले अवयव को परिवर्ती प्रतिरोध कहते हैं।

 

प्रश्न:25 प्रतिरोधों का समूहीकरण क्या है? विद्युत परिपथ के साथ वर्णन करें।

उत्तर:-  विद्युत परिपथ में प्रतिरोधों को दो प्रकार से संयोजित किया जाता है—

श्रेणीबद्ध संयोजन और पार्श्वबद्ध संयोजन।

जैसे:-

विद्युत परिपथ में R1 प्रतिरोध श्रेणीबद्ध संयोजित है जबकि R2 और R3 प्रतिरोध पार्श्व बद्ध संयोजित है। अतः विद्युत परिपथ में प्रतिरोधों के क्रमबद्ध संयोजन को ही प्रतिरोधों का समूहीकरण कहा जाता है।

 

प्रश्न:26 ओमीय प्रतिरोध तथा नन-ओमीय प्रतिरोध क्या है?

उत्तर:-  ओमीय प्रतिरोध वह प्रतिरोध जो ओम के नियम का पालन करता है। ओमीय प्रतिरोध कहलाता है।

नन-ओमीय प्रतिरोध वह प्रतिरोध जो ओम के नियम का पालन नहीं करता है, नन-ओमीय प्रतिरोध कहा जाता है।

 

प्रश्न:27 घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है?

उत्तर:-  घरों में बल्ब, पंखे अन्य विद्युत उपकरण पार्श्वक्रम में संयोजित रहते हैं। सभी उपकरणों के दोनों छोरों के बीच विभवांतर समान रहता है। एक के फ्यूज करने पर दूसरे में धारा का प्रवाह बंद नहीं होता है। उपकरणों के परिपथ में श्रेणी बद्ध जोड़ने पर हरेक उपकरणों में कम विभवांतर का संचार होने लगता है। एक बल्ब अगर फ्यूज कर जाए तो परिपथ में धारा का बहना बंद हो जायेगा। यही कारण है कि घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणी बद्ध संयोजन का उपयोग नहीं किया जाता है।

 

प्रश्न:28 विद्युत तापन युक्तियों में जैसे ब्रेड-टोस्टर तथा विद्युत इस्तरी के चालक शुद्ध धातुओं के स्थान पर मिश्रधातुओं के क्यों बनाए जाते हैं?

उत्तर:-  शुद्ध धातुओं के प्रतिरोधकता और गलनांक मिश्रधातुओं के प्रतिरोधकता और गलनांक की तुलना में काफी कम होता है । अतः ब्रेड-टोस्टर तथा विद्युत इस्तरी के चालक शुद्ध धातु का न बनाकर मिश्रधातु के बनाए जाते हैं। नाइक्रोम एक मिश्रधातु है जिसमें 60% निकेल, 26% लोहा, 12% क्रोमियम तथा 2% मैंगनीज रहता है। इस मिश्रधातु के प्रतिरोधकता और गलनांक काफी ऊँच्च होते हैं।

 

प्रश्न:29  किसी विद्युत हीटर की डोरी क्यों तप्त नहीं होती जबकि उसका तापन अवयव तप्त हो जाता है?

उत्तर:- विद्युत हीटर में तापन अवयव मिश्रधातु का होता है। इसका गलनांक शुद्ध धातु की तुलना में अधिक है। अतः तापन अवयव की प्रतिरोधकता काफी ज्यादा होती है जिससे तापन अवयव गर्म होकर ठंडा पानी या कमरे के ताप में वृद्धि कर देता है। विद्युत हीटर के तार की प्रतिरोधकता काफी कम होती है जिससे डोरी गर्म

 

प्रश्न:30 जूल के तापन नियम क्या है?

उत्तर:- जूल के तापन नियम:

(i) दिए गए प्रतिरोधक में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा उत्पन्न ताप के कुत्पन्न ताप प्रतिरोधक के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होती है।

(ii) उत्पन्न ताप प्रतिरोधक समानुपाती होती है।

(iii) उत्पन्न ताप समय के समानुपाती होती है जितने समय तक धारा प्रवाहित होती है।

अगर चालक से बहने वाली विद्युत धारा । हो, चालक का प्रतिरोध R हो तथा समय t हो तो उत्पन्न ताप

H=I² Rt.

 

प्रश्न:31 200V-100Watt का अंकित एक विद्युत बल्ब 20 मिनट में कितनी ऊष्मा उत्पन्न करेगा?

उत्तर:-   Power = VI

I = P/V = 100/200 = 1/2 amp

ओम नियम से V=IR: R=V/I = 200/1/2 = 400

जूल के नियम से H = I² RT

H = (1/2)²×400×20×60 = 1/4×400×20×60 = 120000 = 1.2 x 10⁵ Joule

H= 1.2×10⁵ Joule

 

प्रश्न:32  दो विद्युत लैंप जिनमें से एक का अनुमतांक 100W, 220V तथा दूसरे का 60W, 220V है, विद्युत मेंस के साथ पार्श्वक्रम में संयोजित है। यदि विद्युत आपूर्ति की वोल्टता 220V है तो विद्युत में से कितनी धारा ली जाती है?

उत्तर:- पहले विद्युत लैंप द्वारा ली गई विद्युत धारा, I¹= 100/220 = 5/11A

दूसरे विद्युत लैम्प द्वारा ली गई विद्युत धारा, I² = 60/220 = 3/11A

विद्युत में से ली गई कुल विद्युत धारा = I¹ + I² = 5/11+3/11 = 8/11A = 0.727A = 0.73A

 

प्रश्न:33  तप्त तार एवं फ्यूज तार में क्या अन्तर है?

उत्तर:- तप्त तार—उच्च गलन बिन्दु

(High melting point) फ्यूज तार—निम्न गलन बिन्दु (Low melting point)

 

प्रश्न:34  विद्युत शक्ति की परिभाषा लिखें।

उत्तर:-  कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं। अगर कोई कार्यकर्त्ता t सेकेण्ड में W कार्य करे तो शक्ति = W/t

अथवा ,

ऊर्जा के उपभुक्त होने की दर को शक्ति कहते हैं।

शक्ति P को इस प्रकार व्यक्त करते हैं-

P= VI

 

प्रश्न:35 विद्युत धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण कैसे किया जाता है?

उत्तर:-  प्रतिरोध R के किसी प्रतिरोधक से । विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। मान लिया कि इसके सिरों के बीच विभवांतर V है। मान लिया कि इससे समय t में Q आवेश प्रवाहित होता है। Q आवेश विभवान्तर V से प्रवाहित होने में किया गया कार्य VQ है। अतः स्रोत को समय t में VQ ऊर्जा की आपूर्ति करनी चाहिए। अतः स्रोत द्वारा परिपथ में निवेशित शक्ति P=VQ/t =VI

अर्थात,

समय t में स्रोत द्वारा परिपथ को प्रदान की गयी ऊर्जा Pxt है जो VIt के बराबर है। यह ऊर्जा ऊष्मा के रूप में प्रतिरोधक में क्षयित हो जाती है। इस प्रकार किसी स्थायी विद्युत धारा I द्वारा समय t में उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा H = I²Rt = VIt

 

प्रश्न:36  कुलॉम-नियम क्या है?

उत्तर:- दो आवेश के बीच लगनेवाला बल उन दो आवेशों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती और उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। मान लिया कि दो आवेश q¹ और q² के बीच की दूरी r है और उनके बीच लगने वाला बल F है, तो कूलॉम-नियम से, F = k q¹q²/r² जहाँ पर k समानुपातिक स्थिरांक है।

 

प्रश्न:37  किसी चालक तार से बहने वाली विद्युत धारा की प्रबलता की परिभाषा दें।

उत्तर:-  किसी चालक तार से प्रति सेकेण्ड बहने वाली आवेश को विद्युत धारा की प्रबलता कहते हैं।

अगर किसी चालक तार से t सेकेण्ड में Q कूलाम आवेश प्रवाहित होती है तो विद्युत धारा की प्रबलता

I = Q/t , । धारा का मान एम्पियर में मापा जाता है।

 

प्रश्न:38 4/25 कुलम्ब आवेश में उपस्थित इलेक्ट्रोनों की संख्या क्या होगी?

उत्तर:- 1.6 x 10-19 coulombcharge one electron

1coulomb: = 1/1.6×10-¹⁹ electron

4/25 coulomb = 4/25×1/1.6×10-¹⁹ electron = 10²⁰/100 = 10¹⁸ electron

 

प्रश्न:39 प्रतिरोध किसे कहते हैं? प्रतिरोध का SI मात्रक लिखें। किसी हैं? चालक का प्रतिरोध किन-किन कारकों पर निर्भर करता है?

उत्तर:- विद्युत परिपथ में धारा कम करने के गुण को प्रतिरोध कहा जाता है। यह गुण तार के अंदर और सेल के अंदर भी होता है। किसी तार में प्रतिरोध के गुण के कारण इसे प्रतिरोधक कहा जाता है। किसी प्रतिरोधक का प्रतिरोध निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है-

(i)तार की लंबाई (L)

(ii) तार के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल (A)

(iii) तार के पदार्थ की प्रकृति जिसे इस पदार्थ की विशिष्ट प्रतिरोध कहा जाता है। विशिष्ट प्रतिरोध को सामान्य चिह्न (p) से सूचित किया जाता है।

R=pxL/A जहाँ p प्रतिरोधकता है।

प्रतिरोध का SI मात्रक ओम (Ω) है तथा प्रतिरोधकता का SI मात्रक ओम मीटर है।

 

प्रश्न:40 क्या विभिन्न अवयवों के लिए विद्युत धारा भिन्न होती है?

उत्तर:- कुछ अवयव विद्युत धारा के प्रवाह के लिए सरल पथ प्रदान करते हैं जबकि अन्य इस प्रवाह का विरोध करते हैं। इलेक्ट्रॉनों की किसी परिपथ में गति के कारण ही परिपथ में कोई विद्युत धारा बहती है। चालक के अन्दर इलेक्ट्रॉन गति करने के लिए पूर्णतः स्वतंत्र नहीं होते हैं। जिन परमाणुओं के बीच ये गति करते हैं उन्हीं के आकर्षण द्वारा इनकी गति नियंत्रित हो जाती है। इस प्रकार किसी चालक से होकर इलेक्ट्रॉनों की गति उसके प्रतिरोध द्वारा मंद हो जाती है। एक ही साइज के चालकों में वह चालक जिसका प्रतिरोध कम होता है, अधिक अच्छा चालक होता है। वह चालक जो पर्याप्त प्रतिरोध लगाता है, प्रतिरोधक कहलाता है। सर्व सम साइज का वह अवयव जो उच्च प्रतिरोध लगाता है हीन चालक कहलाता है। अतः विभिन्न अवयवों में, जिनके प्रतिरोध भिन्न-भिन्न हैं, प्रवाहित विद्युत धारा का मान भिन्न-भिन्न होता है।

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