( 2 – MARKS QUESTIONS )
प्रश्न:1 मैंगनीज के उपयोग पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर:- मैंगनीज एक महत्वपूर्ण खनिज है , जिसका उपयोग लोहा तथा इस्पात बनाने में होता है । मिश्रित धातु बनाने के लिए यह मूलभूत कच्चा पदार्थ है । इसका प्रयोग ब्लीचिंग पाउडर , कीटनाशक दवाएँ , पेंट तथा बैटरियाँ बनाने में होता है । मैंगनीज के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं-
( क ) उड़ीसा ,
( ख ) मध्य प्रदेश ,
( ग ) कर्नाटक तथा
( घ ) आन्ध्र प्रदेश ।
प्रश्न:2 लौह एवं अलौह खनिजों में अन्तर स्पष्ट करें ।
उत्तर:- लौह खनिज में लोहे की प्रतिशतता अधिक होती है जबकि अलौह खनिज में लोहा नहीं पाया जाता है ।
प्रश्न:3 चिपको आन्दोलन क्या है ?
उत्तर:- 1870 ई ० के दशक में गढ़वाल के पहाड़ी क्षेत्रों में उत्तराखण्ड के लोगों ने जंगलों की व्यवसायी कटाई के विरुद्ध एक आन्दोलन चलाया , जो ‘ चिपको आन्दोलन ‘ के नाम से प्रसिद्ध हुआ । ग्रामीण लोग पेड़ों को कटने से बचाने के लिए उनके साथ चिपक जाते थे । इस आन्दोलन का नेतृत्व चण्डी प्रसाद भट्ट और कई महिलाओं ने किया । इस आन्दोलन में बहुत से लोग शामिल होने लगे । इस आन्दोलन का प्रभाव भारत के विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ा । इस आन्दोलन से हेमवती नंदन बहुगुणा भी जुड़े । इस आन्दोलन का सबसे बड़ा प्रभाव यह पड़ा कि 15 वर्षों तक हिमालय वनों की कटाई रोक दी गई । आज चिपको आन्दोलन सारी सीमाएँ लाँघ कर विदेशी धरती पर भी जा पहुंचा है ।
प्रश्न:4 वन के पर्यावरणीय महत्व का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:- पर्यावरण की गुणवत्ता को बढ़ाने में वनों का योगदान निम्नलिखित
( i ) वन स्थानीय जलवायु को मुदृल बनाने में सहायक है
( ii ) मृदा अपरदन को नियंत्रित करने तथा मिट्टी को उपजाऊ बनाने में सहायक है ।
( iii ) नदी प्रवाह को नियमित करके बाढ़ों की विभीषिका को कम करता है ।
( iv ) वन तेज पवन की शक्ति को कम करता है और मरुस्थल का विस्तार रोकता है ।
( v ) वन पर्यावरण में स्थिरता बनाए रखते हैं तथा पारिस्थितिकी संतुलन को बिगड़ने नहीं देता है ।
प्रश्न:5 खादर और बांगर मिट्टी में अन्तर स्पष्ट करें ।
उत्तर:-
खादर मिट्टी – नदियों के बाढ़ के मैदान की नवीन बारीक कणों वाली काँप मिट्टी को खादर मिट्टी कहते हैं ।
बांगर मिट्टी – नदियों द्वारा जमा की गई पुरातन काँप मिट्टी को बांगर मिट्टी कहते हैं ।
प्रश्न:6 संसाधन किसे कहते हैं ?
उत्तर:- पर्यावरण में पाई जाने वाली प्रत्येक वस्तु जो हमारी जरूरतों को पूरा कर सकती है , संसाधन कहलाती है । शर्त यह है कि वस्तु तकनीकी रूप से सुगम , आर्थिक रूप से उपयोगी तथा सांस्कृतिक रूप से मान्य हो ।
प्रश्न:7 मानव के लिए संसाधन क्यों आवश्यक हैं ?
उत्तर:- मानव की जरूरतों की पूर्ति संसाधन करते हैं । संसाधनों के अभाव में हम जी नहीं सकते हैं । संसाधन मानव के जीवन को सुगम बनाते हैं ।
प्रश्न:8 बिहार में वन सम्पदा की वर्तमान स्थिति का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:- बिहार विभाजन के बाद बिहार में वनों की स्थिति दयनीय हो गई है । वर्तमान में अधिकतर भूमि कृषि योग्य हैं । बिहार में 764.14 हेक्टेयर में ही वन क्षेत्र बच गया है , जो बिहार के भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 6.87 प्रतिशत है । यहाँ प्रति व्यक्ति वन भूमि का औसत मात्र 0.05 हेक्टेयर है जो राष्ट्रीय औसत 0.53 हेक्टेयर से बहुत ही कम है । बिहार के 38 जिलों में से 17 जिलों से वन क्षेत्र समाप्त हो गया है । पश्चिमी चम्पारण , मुंगेर , बाँका , जमुई , नवादा , नालन्दा , गया , रोहतास कैमूर और औरंगाबाद जिलों के वनों की स्थिति कुछ बेहतर हैं , जिनका कुल क्षेत्रफल 3700 वर्ग किलोमीटर है । शेष में अवक्रमित वन क्षेत्र हैं , जहाँ वन के नाम पर केवल झुरमुट बच गये हैं । सिवान , सारण , भोजपुर , बक्सर , पटना , गोपालगंज , वैशाली , मुजफ्फरपुर , मोतिहारी , दरभंगा , मधुबनी , समस्तीपुर , बेगूसराय , मधेपुरा , खगड़िया में एक प्रतिशत से भी कम भूमि में वन मिलते हैं ।
प्रश्न:9 वन विनाश के मुख्य कारकों को लिखें । अथवा , वन विनाश के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए ।
उत्तर:- वन विनाश के मुख्य कारक इस प्रकार हैं
( i ) भारत में वनों के ह्रास का एक बड़ा कारण कृषिगत भूमि का फैलाव है । पूर्वोत्तर और मध्य भारत में जनजातीय क्षेत्र में स्थानान्तरी ( झूम ) खेती अथवा स्लैश और ‘ बर्न ‘ खेती के चलते वनों का ह्रास हुआ है ।
( ii ) बड़ी विकास योजनाओं से भी वनों को बहुत नुकसान हुआ है ।
( iii ) वनों एवं वन्य जीवों के विनाश में पशुचरण और ईंधन के लिए लकड़ियों के उपयोग की भी काफी भूमिका रही है ।
( iv ) रेल – मार्ग , सड़क मार्ग निर्माण , औद्योगिक विकास एवं नगरीकरण ने भी वन विस्तार को बड़े पैमाने पर तहस – ही किया है ।
प्रश्न:10 जलोढ़ मृदा से क्या समझते हैं ? इस मृदा में कौन – कौन सी फसलें उगाई जा सकती हैं ? जलोढ़ मिट्टी के विस्तार वाले राज्यों के नाम बताएँ _
उत्तर:- भारत का मैदान हिमालय की तीन महत्वपूर्ण नदी प्रणालियों से सिंधु , गंगा और ब्रह्मपुत्र द्वारा लाए गए जलोढ़ के निक्षेप से बना है । बिहार , उत्तर प्रदेश , पंजाब , असम , हरियाणा , पश्चिम बंगाल , उत्तराखण्ड आदि राज्यों में जलोढ़ मिट्टी का विस्तार है । राजस्थान एवं गुजरात में भी एक संकरी पट्टी के रूप में जलोढ़ मृदा का प्रसार है । पूर्वी तटीय मैदान स्थित महानदी , गोदावरी , कृष्णा और कावेरी नदियों द्वारा निर्मित डेल्टा का भी निर्माण जलोढ़ से ही हुआ है । कुल मिलाकर भारत में लगभग 6.4 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र पर जलोढ़ मृदा फैली हुई है । यह मिट्टी गन्ना , चावल , गेहूँ , मक्का , दलहन जैसी फसलों के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं । अधिक उपजाऊ होने के कारण इस मिट्टी पर गहन कृषि की जाती है । परिणामतः , यहाँ जनसंख्या का घनत्व भी अधिक है ।
प्रश्न:11 हरित क्रांति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:- भारतीय कृषियों में क्रांतिकारी विकास को हरित क्रांति कहते हैं । नई – प्रजातियों की फसल लगाकर , सिंचाई सुविधाओं , आधुनिक उपकरणों के प्रयोग एवं रासायनिक खाद उर्वरकों के प्रयोग से भारतीय कृषि में सोना उत्पादन होने लगा है । भारतीय कृषि अब सहारा नहीं बल्कि व्यवसाय बन गई है । कृषि में आई इस आमूल – चूल उत्थान को हरित क्रांति के नाम से जाना जाता है ।
प्रश्न:12 परमाणु शक्ति किन – किन खनिजों से प्राप्त होती है
उत्तर:- परमाणु शक्ति निम्नलिखित खनिजों से प्राप्त होती है-
( i ) यूरेनियम ,
( ii ) थोरियम ,
( iii ) जिरकोनियम ।
परमाणु शक्ति अणु केन्द्र बिन्दु से प्राप्त की जाती है । जब U – 235 जैसा भारी तत्व धीमी गति वाले न्यूट्रान से टकराता है , तो यह अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करता है । जैसे U – 235 का एक ग्राम 6.2x 106 J ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है ।
( 5 – MARKS QUESTIONS )
प्रश्न:1 संसाधन संरक्षण की उपयोगिता को लिखिए । प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:- संसाधन किसी भी तरह के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । संसाधनों के विवेकहीन उपभोग और अति उपयोग के कारण कई सामाजिक , आर्थिक और पर्यावरणीय समस्याएँ पैदा हो सकती हैं । समस्याओं के समाधान हेतु विभिन्न स्तरों पर संरक्षण की आवश्यकता है।संसाधनों का नियोजित एवं विवेकपूर्ण उपयोग ही संरक्षण कहलाता है । इस संदर्भ में महान दार्शनिक एवं चिंतक महात्मा गाँधी के विचार प्रासंगिक हैं ” हमारे पास पेट भरने के लिए बहुत कुछ हैं , लेकिन पेटी भरने के लिए नहीं । ” उनके अनुसार विश्वस्तर पर संसाधन ह्रास के लिए लालची और स्वार्थी व्यक्ति तथा आधुनिक प्रौद्योगिकी की शोषणात्मक प्रवृत्ति जिम्मेदार है । वे अत्यधिक उत्पादन के विरुद्ध थे और इसके स्थान पर अधिक बड़े जनसमुदाय द्वारा उत्पादन के पक्षधर थे । उनका मानना था कि इस प्रक्रिया से श्रमिकों में कार्य क्षमता के विकास की वृद्धि होगी और संसाधनों के विदोहन पर भी विराम लग सकेगा ।
प्रश्न:2 जल संरक्षण से क्या समझते हैं ? इसके क्या उपाय है
उत्तर:- जल का उचित एवं विवेकपूर्ण प्रबंधन जल संरक्षण कहलाता है । संरक्षित जल का उपयोग विभिन्न क्रियाकलापों में किया जाता है । जल का उपयोग पीने एवं नहाने तक ही सीमित नहीं है । कृषि , उद्योग , संचार , परिवहन विभिन्न क्षेत्रों में जल उपयोगी है । इस संदर्भ में जल संरक्षण की निम्नलिखित विधियाँ कारगर सिद्ध हो सकती हैं
( i ) ‘ जल मिशन ‘ का संदर्भ देकर भूमिगत जल पुनर्पूर्ति पर जोर दिया गया था , जिससे खेतों , गाँवों , शहरों , उद्योगों को पर्याप्त जल मिल सके । इसके लिए वृक्षारोपण , जैविक तथा कम्पोस्ट खाद के प्रयोग , वेटलैंडस ( Low Level Water Shed ) का संरक्षण , वर्षा जल के संचयन एवं मल – जल शोधन पुन : चक्रण जैसे क्रियाकलाप उपयोगी हो सकते हैं ।
( II ) जल संभर प्रबंधन ( Water shed management ) – जल प्रवाह या जल जमाव का उपयोग कर उद्यान , कृषि वानिकी , जल कृषि , कृषि उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है । इससे पेय जलापूर्ति भी की जा सकती है । इस प्रबंधन को छोटी इकाइयों पर लागू करने की आवश्यकता है ।
( III ) तकनीकी विकास- तकनीकी विकास से तात्पर्य है , ऐसे उपक्रम जिसमें जल का कम – से – कम उपयोग कर अधिकाधिक लाभ लिया जा सके जैसे ड्रिप सिंचाई , लिफ्ट सिंचाई , सूक्ष्म फुहारों ( Micro sprinkler ) से सिंचाई , सीढ़ीनुमा खेती इत्यादि ।
प्रश्न:3 धात्विक एवं अधात्विक खनिजों में क्या अंतर है ? तुलना कीजिए ।
उत्तर:-
धात्विक खनिज-
( i ) धात्विक खनिज मुख्यतः आग्नेय तथा रूपांतरित चट्टानों में पाए जाते हैं ।
( ii ) वे खनिज जिन्हें नए उत्पादकों को प्राप्त करने के लिए पिघलाया जा सके ।
( iii ) लोहा , मैंगनीज , ताँबा , सोनाआदि धात्विक खनिज हैं ।
( iv ) ये कठोर होते हैं तथा इनमें अपनी चमक होती है ।
( v ) इन्हें पिघलाकर , तार खींचे जा सकते हैं ।
( vi ) हथौड़े से पीटने पर ये टूटते नहीं हैं ।
अधात्विक खनिज-
( i ) अधात्विक खनिज मुख्यतः परतदार चट्टानों में पाए जाते हैं ।
( ii ) अधात्विक खनिजों को पिघलाया नहीं जा सकता ।
( iii ) जिप्सम , चूने का पत्थर , हीरा , पोटाश आदि अधात्विक खनिज हैं ।
( iv )ये अधिक कठोर नहीं होते और इनमें कोई चमक नहीं होती ।
( v ) इन्हें पिघलाया नहीं जा सकता अथवा इनसे तार नहीं खींची जा सकती ।
( vi ) हथौड़े से पीटने पर ये टूट जाते हैं ।