( 2 – MARKS QUESTIONS )
प्रश्न:1 बिहार में नहरों के विकास से संबंधित समस्याओं को लिखिए ।
उत्तर:- बिहार में जल संसाधन का उपयोग मुख्य रूप से सिंचाई , गृह एवं औद्योगिक संस्थानों में होता है । बिहार में सिंचाई के लिए नहर प्रमुख साधन है । यहाँ वर्तमान में 95 प्रतिशत से अधिक जल संसाधन का उपयोग सिंचाई में होता है । बिहार में अनियमित एवं असमान वर्षा होती है । यहाँ कुछ फसलें शीत ऋतु में होती हैं । यह मौसम शुष्क रहता है । यहाँ मैदानी भागों में नहरों का विकास अधिक हुआ है , क्योंकि यहाँ पर समतल भूमि , मुलायम मिट्टी , विस्तृत कृषि क्षेत्र तथा सतत्वाहिनी नदियों द्वारा जल की आपूर्ति होती है । उत्तरी बिहार की अधिकतर नदियाँ हिमालय से निकलने के कारण सतत्वाहिनी हैं । किन्तु विगत पाँच वर्षों से पर्यावरणीय असंतुलन के कारण यहाँ की नहरों में पानी न आने की समस्या बनी हुई है । वहीं दक्षिण गंगा के मैदान की नहरें छोटानागपुर पठार से निकलने के कारण बरसाती हैं । इनमें वर्षभर पानी नहीं रहता । अत : जरूरत है कि इन नहरों में पानी की व्यवस्था सुचारू रूप से की जाए ।
प्रश्न:1 बिहार के किस भाग में सिंचाई की आवश्यकता है और क्यों ?
उत्तर:- बिहार की कृषि मॉनसून पर निर्भर है । बाढ़ और सुखाड़ यहाँ की नियति है । यहाँ सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं है । यहाँ सकल भूमि के मात्र 46 प्रतिशत पर ही सिंचाई हो पाती है , शेष भाग सिंचाई से वंचित रह जाता है । अत : बिहार में सभी भागों में सिंचाई की आवश्यकता है । यहाँ चार फसलें – भदई , अगहनी , रबी एवं गरमा लगाई जाती हैं । यहाँ की अधिकतर नदियाँ विनाशकारी बाढ़ के लिए प्रसिद्ध हैं । अत : यहाँ नहरों का जाल बिछाकर बाढ़ पर काबू पाया जा सकता है एवं साथ – साथ सिंचाई की भी व्यवस्था की जा सकती है । बिहार की बढ़ती जनसंख्या के लिए अन्नोत्पादन हेतु सिंचाई की आवश्यकता है ।
प्रश्न:3 बिहार में दलहन के उत्पादन एवं वितरण का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर:- बिहार के दलहन फसलों में चना , मसूर , खेसारी , मटर आदि दलहन की रबी फसलें हैं । अरहर और मूंग खरीफ दलहन की फसलें हैं । 2006-07 ई . में बिहार में रबी दलहन की खेती 519.6 हजार हेक्टेयर भूमि में की गई । खरीफ दलहन की खेती 87.26 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में किया गया । दलहन उत्पादन में पटना जिला का स्थान बिहार में सबसे आगे है , जबकि औरंगाबाद और कैमूर जिले क्रमश : दूसरे और तीसरे स्थान पर है ।
प्रश्न:4 नदी घाटी परियोजनाओं को बहुद्देशीय परियोजना क्यों कहा जाता | है ? इनके मुख्य उद्देश्यों को लिखें ।
उत्तर:- नदी घाटी परियोजनाओं के मुख्य उद्देश्य सिंचाई , बिजली उत्पादन , बाढ़ नियंत्रण , मत्स्य पालन , मृदा संरक्षण आदि हैं । अतः नदी घाटी परियोजनाओं को बहुउद्देशीय परियोजना कहते हैं । कुछ उद्देश्य इस प्रकार हैं
( i ) ऊर्जा का उत्पादन ये बहुउद्देशीय परियोजनाएँ हमें साफ , प्रदूषण मुक्त तथा सबसे सस्ती ऊर्जा प्रदान करती हैं जो उद्योग तथा कृषि के लिए रीढ़ की हड्डी है ।
( ii ) ये मृदा संरक्षण करती हैं क्योंकि ये जल के बहाव को धीमा कर देती हैं ।
( iii ) ये परियोजनाएँ सिंचाई के प्रमुख स्रोत हैं ।
( iv ) इसका उद्देश्य नदी बेसिन में वृक्षारोपण है ।
( v ) इसका उद्देश्य जल परिवहन की सुविधा का विकास करना है ।
( vi ) इसके माध्यम से वन्य जीव संरक्षण तथा मत्स्य पालन संभव है ।
( vii ) इसका उद्देश्य पीने के लिए पानी की सुविधा प्रदान करना है ।
प्रश्न:5 बिहार में धान की फसल के लिए उपयुक्त भौगोलिक दशाओं का उल्लेख करें ।
उत्तर:- धान बिहार की खाद्यान्न फसलों में महत्वपूर्ण हैं यह एक खरीफ फसल है । धान के लिए गर्म तथा आर्द्र जलवायु लाभकारी होता है । इसकी उपज के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएँ इस प्रकार हैं-
( i ) 25 ° C से अधिक तापमान ।
( ii ) 100 सेमी ० से अधिक वर्षा ।
( iii ) दोमट मिट्टी की उपलब्धता ।
( iv ) सस्ते श्रमिक एवं वैज्ञानिक उपकरण की उपलब्धता ,
( v ) विस्तृत बाजार ।
प्रश्न:6 बिहार की जनसंख्या सभी जगह एक समान नहीं है , स्पष्ट करें ।
उत्तर:- बिहार की जनसंख्या सभी जगह समान नहीं है । बिहार में कहीं जनसंख्या बहुत अधिक है तो कहीं बहुत ही कम । इसका मुख्य कारण यहाँ की आर्थिक , सामाजिक परिवेश और भौतिक विविधता है । जहाँ धरातल समतल , जलोढ़ एवं मैदानी हैं , वहाँ घनी आबादी है । जहाँ सिंचाई की सुविधा , कृषि में नये तकनीक का उपयोग प्रतिव्यक्ति आय एवं नगरीकरण अधिक है , वहाँ अधिक आबादी है । पटना , नालन्दा , मुजफ्फरपुर और भोजपुर जिलों में इन्हीं कारणों से जनसंख्या अधिक है ।
प्रश्न:7 कृषि आधारित उद्योग और खनिज आधारित उद्योग में अन्तर स्पष्ट करें ।
उत्तर:- कृषि आधारित उद्योग कृषि उत्पाद से सम्बन्धित होते हैं । खनिजआधारित उद्योग खनिज सम्पदा से सम्बन्धित होते हैं । उर्वरक संयंत्र , आटा उद्योग , कपास उद्योग कृषि आधारित हैं जबकि सीमेंट उद्योग , इस्पात उद्योग खनिज आधारित उद्योग हैं ।
प्रश्न:8 बिहार में जूट उद्योग पर टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर:- जूट बिहार का नहीं बल्कि पूर्वी भारत का एक महत्वपूर्ण उद्योग है । आजादी के पूर्व भारत में 110 जूट के कारखाने थे । आजादी के बाद जूट पैदा करने वाले अधिकतर भाग बंगलादेश में चला गया । फलतः इस उद्योग को भारी झटका लगा । जूट का उत्पादन बिहार के उत्तर – पूर्वी जिलों में होता है । बिहार में जूट के तीन बड़े कारखाने कटिहार , पूर्णिया और दरभंगा में हैं । वर्तमान में सिर्फ कटिहार का कारखाना कार्यरत है ।
प्रश्न:9 सोन नदी घाटी परियोजना से उत्पादित जल विद्युत का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:- सोन नदी घाटी बहुद्देशीय परियोजना के अन्तर्गत जल विद्युत उत्पादन के लिए शक्ति गृहों की स्थापना की गई है । पश्चिमी नहर पर | डेहरी के पास 6.6 मेगावाट उत्पादन क्षमता का शक्ति गृह स्थापित है । पूर्वी नहर शाखा पर वारुण नामक स्थान पर 3.3 मेगावाट क्षमता का शक्ति गृह है । सोन नदी पर इन्द्रपुरी के पास एक बाँध के निर्माण का प्रस्ताव भी है इससे 450 मेगावाट पनबिजली उत्पादन का लक्ष्य है ।
प्रश्न:10 भारत में प्राप्त कोयला के कौन – कौन प्रकार हैं ?
उत्तर:- कोयले के चार प्रकारों के नाम इस प्रकार हैं
( i ) एन्थ्रासाइट कोयला ( Anthracite Coal ) :- यह सर्वोत्तम कोटि का कोयला है । इसमें कार्बन की मात्रा 90-95 % तक पाई जाती है ।
( ii ) बिटूमिनस कोयला ( Bituminous Coal ) :- इसमें कार्बन की मात्रा 170-80 % तक होती है । इससे कोक बनाया जाता है ।
( iii ) लिगनाइट कोयला ( Lignite Coal ) :- यह निम्न कोटि का कोयला है । इसमें कोयला की प्रतिशत मात्रा 35-50 तक होती है ।
( iv ) पीट कोयला ( Peat Coal ) :- इसमें कार्बन की मात्रा 50 प्रतिशत ऑक्सीजन 30 तथा हाइड्रोजन 10 प्रतिशत पाई जाती है । एक अन्य कोयला केनल ( Cannel ) है जिसमें कार्बन की मात्रा 40 प्रतिशत होती है । इसका उपयोग गैस बनाने में होता है ।
प्रश्न:11 नई औद्योगिक नीति के मुख्य बिन्दुओं का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:- नई औद्योगिक नीति 2006 के आने के बाद बिहार सरकार द्वारा नये निवेशों को प्रोत्साहित करने के लिए उठाए गए कदम के बाद इस प्रक्षेत्र में काफी उत्साह बढ़ा है । बिआडा द्वारा उस प्रक्षेत्र में साहसिक कदम एवं औद्योगिक विकास हेतु प्रयास किए जा रहे हैं । 2006-07 में 172.45 करोड़ रु ० परियोजना लागत वाली 15 इकाइयों को जमीन दी गई है । भागलपुर में हथकरघा जो कि निर्माण , पटना हवाई अड्डे में कारगो कम्पलेक्स की स्थापना और फतुहा में अंतर्देशीय कंटेनर डीपो की स्थापना इसी के तहत किया जाने वाला प्रयास है ।
( 5 – MARKS QUESTIONS )
प्रश्न:1 बिहार की मुख्य नदी घाटी परियोजनाओं का नाम बताएँ एवं सोन अथवा कोसी परियोजना के महत्व पर प्रश्न डालें ।
उत्तर:- बिहार में अपार जल संसाधन उपयोग के लिए एवं बाढ़ की विभीषिका , सूखे की प्रचण्डता को देखते हुए बिहार में बहुउद्देश्यीय नदी घाटी योजनाओं का विकास किया गया है जिससे जल – विद्युत उत्पादन , सिंचाई , मछली पालन , पेय जल , औद्योगिक उपयोग एवं यातायात का विकास हो सके । इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए कई परियोजनाएँ बनाई गई हैं । इनमें तीन प्रमुख हैं-
( i ) सोन नदी घाटी परियोजना ,
( ii ) गण्डक नदी घाटी परियोजना तथा
( iii ) कोसी नदी घाटी परियोजना ।
कोसी नदी घाटी परियोजना कोसी नदी गंगा की सहायक नदी है । यह नदी उत्तरी बिहार में अपनी भयानक बाढ़ों के कारण ‘ बिहार का शोक ‘ कही जाती थी । यह परियोजना नेपाल सरकार , भारत सरकार तथा बिहार राज्य की सामूहिक प्रयास का फल है । इसका मुख्य उद्देश्य नदी के बदलते मार्गों को रोकना , उपजाऊ भूमि की बर्बादी पर नियंत्रण , भयानक बाढ़ से उत्पन्न क्षति पर रोक , जल से सिंचाई का विकास , जल विद्युत उत्पादन , मत्स्य पालन , नौका रोहण एवं पर्यावरण पर नियंत्रण आदि है । इस परियोजना की कल्पना 1896 ई ० में किया गया था किन्तु वास्तविक रूप से 1955 ई . में कार्य प्रारंभ हुआ । इस परियोजना को कई चरणों में पूरा किया गया है । पहले चरण में नदी के मार्ग परिवर्तन पर नियंत्रण , बिहार , नेपाल सीमा -पर स्थित हनुमाननगर स्थान पर बैराज का निर्माण , बाढ़ नियंत्रण के लिए दोनों ओर तटबंध का निर्माण , पूर्वी एवं पश्चिमी कोसी नहर एवं उसकी शाखाओं का निर्माण किया गया । इसी सिलसिले में नदी के दोनों ओर 240 किमी . लम्बे बाढ़ नियंत्रक बाँध का निर्माण हुआ । दूसरे चरण में इस परियोजना द्वारा जल विद्युत संबंधी कार्य सम्पन्न हुए । पूर्वी कोसी नहर पर 20,000 किलोवाट क्षमता वाला जल विद्युत शक्ति गृह निर्माणाधीन है । इससे बिहार में जल विद्युत उत्पादन होता है । इस परियोजना से बिहार राज्य तथा नेपाल देश दोनों को लाभ है ।
प्रश्न:2 बिहार में प्रमुख ऊर्जा स्रोतों का वर्णन कीजिए और किसी एक स्रोत का विस्तार से चर्चा कीजिए ।
उत्तर:- बिहार में प्रमुख ऊर्जा स्रोत दो प्रकार के हैं
( i ) परम्परागत ऊर्जा के स्रोत
( ii ) गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोत
गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोत ( Non conventional source of Energy ) :- बिहार में गैर परम्परागत एवं नवीकरणीय ऊर्जा की भारी संभावनाएँ मौजूद है । बहुत हद तक जल ऊर्जा , बायोगैस , सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति हो सकती है । बिहार में नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण ( वियाडा ) का राज्य में ऊर्जा के गैर पारम्परिक स्रोतों के जरिए दूरस्थ गाँवों के विद्युतीलयकरण तथा नवीकरण ऊर्जा कार्यक्रमों के विकास के लिए नोडल ऐजेंसी बनाया गया है । बिहार में 92 सम्भावित स्थलों की पहचान की गई है जहाँ लघु जल विद्युत परियोजनाओं को विकसित किया जा सके । इनकी कुल क्षमता 46.1 मेगावाट है । बिहार में सह उत्पादन योजना समेत बायोमास आधारित विद्युत परियोजनाओं की स्थापना के द्वारा 200 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है । पवन ऊर्जा आधारित विद्युत परियोजनाओं की स्थापना उपयुक्त संभावित स्थलों की पहचान के लिए राज्य की नोडल एजेंसी चेन्नई के सहयोग से पवन संसाधन आकलन कार्यक्रम पर कार्य शुरू है । धान की भूसी से