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Class 10 Geography V.V.I Subjective Questions & Answer Chapter - 6 मानचित्र अध्ययन

Class 10 Geography V.V.I Subjective Questions & Answer Chapter – 6 मानचित्र अध्ययन

                                                               

 

                                                                  (  2 – MARKS QUESTIONS  )

 

प्रश्न:1 समोच्च रेखाओं द्वारा शंक्वाकर पहाड़ी का प्रदर्शन किस प्रकार किया जाता है ?

उत्तर:- शंक्वाकार पहाड़ी का प्रदर्शन वृत्ताकार या बन्द रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है । पहाड़ी के शिखर की ऊँचाई मध्य में बिन्दु या त्रिकोण बना कर किया जाता है । ऊँचाई प्रकट करने वाली रेखाएँ अन्दर तथा निचाई प्रकट करने वाली रेखाएँ बाहर होती हैं ।

 

प्रश्न:2 हैच्यूर विधि का विकास किसने किया था ?

उत्तर:-  हैच्यूर विधि का विकास ऑस्ट्रिया के एक सैन्य अधिकारी लेहमान ने किया था ।

 

प्रश्न:3  समोच्च रेखा से आप क्या समझते हैं ? इसकी दो विशेषताएँ कौन – कौन – सी है ?

उत्तर:- समोच्च रेखाओं की सहायता से उच्चावच प्रदर्शन की विधि को सर्वश्रेष्ठ माना गया हैं यह एक मानक विधि है । वस्तुतः किसी धरातल पर समुद्र तल से समान ऊँचाई वाले स्थानों को मिलाने वाली काल्पनिक रेखाओं को समोच्च रेखा कहते हैं । इन रेखाओं को क्षेत्र में सम्पन्न किए गए वास्तविक सर्वेक्षण के आधार पर खींचा जाता है । मानचित्र में प्रत्येक समोच्च रेखा के साथ उसकी ऊँचाई का मान लिख दिया जाता है । मानचित्र पर इन रेखाओं को बादामी रंग से दिखाया जाता है ।

दो विशेषताएँ

( i ) समोच्च रेखा सदैव से प्रारम्भ होती है और इसके मध्य का अन्तर सदैव समान होता है ।

( ii ) अगर समोच्च रेखाएँ पास – पास हैं , तो धरातल पर ढाल तीव्र होगा और अगर समोच्च रेखाएँ दूर – दूर हैं तो धरातल पर ढाल मंद होगा ।

 

प्रश्न:4  पर्वतीय छायाकरण विधि में भू – आकृतियों पर किस दिशा से प्रकाश पड़ने की कल्पना की जाती है ?

उत्तर:-  पर्वतीय छायाकरण विधि के अन्तर्गत उच्चावच प्रदर्शन के लिए भू – आकृतियों पर उत्तर – पश्चिम कोने पर ऊपर से प्रकाश पड़ने की कल्पना की जाती है ।

 

प्रश्न:5  तल चिन्ह और स्थानिक ऊँचाई क्या है ?

उत्तर:-  तल चिन्ह ( Bench mark ) :- तल चिन्ह स्थलाकृतियों को प्रदर्शित करने की एक गणितीय विधि है जिसके द्वारा भवनों , फुलों , खंभों , पत्थरों जैसे स्थायी वस्तुओं की समुद्र तल से ऊँचाई मापी जाती है । अर्थात् वास्तविक सर्वेक्षण के द्वारा भवनों , फुलों , खंभों , पत्थरों जैसे स्थाई वस्तुओं पर समुद्र तल से मापी गई ऊँचाई को प्रदर्शित करने वाले चिन्ह को तल चिन्ह ( Bench Mark ) कहा जाता है । मानचित्र पर BM अक्षर के साथ ऊँचाई लिखकर ऊँचाई को प्रकट किया जाता है । स्थानिक ऊँचाई स्थानिक ऊँचाई विधि भी स्थलाकृतियों को प्रदर्शन करने की एक गणितीय विधि है । तल चिह्न की सहायता से किसी स्थान विशेष की मापी गई ऊँचाई को स्थानिक ऊँचाई ( Spot Height ) कहा जाता है । इस विधि में सर्वेक्षण द्वारा प्राप्त की गई समुद्र तल से किसी स्थान की वास्तविक ऊँचाई प्रकट की जाती है । इसमें उस क्षेत्र के ढाल को नहीं पढ़ा जा सकता है । इस विधि में बिंदुओं के द्वारा मानचित्र में विभिन्न स्थानों की ऊँचाई संख्या में लिख दिया जाता है ।

                

 

                                                                 (  5 – MARKS QUESTIONS  )

 

प्रश्न:1  उच्चावच प्रदर्शन की प्रमुख विधियों का वर्णन करें ।

उत्तर:- उच्चावच प्रदर्शन की प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित हैं

( i ) हैश्यूर विधि :- उच्चावच निरूपण के लिए यह स्थलाकृतियों को प्रदर्शन करने की एक विधि है जिसके द्वारा छोटी , बड़ी , मोटी , पतली तथा खंडित रेखाओं द्वारा धरातल की ऊँचाई से निचाई के ढाल को प्रदर्शित किया जाता है । इस विधि द्वारा किसी स्थान की वास्तविक ऊँचाई नहीं दिखाई जा सकती है । इसमें केवल ढाल प्रवणता को दिखाया जा सकता है । ऊँचे भाग को घनी रेखाओं तथा कम ढाल को दूर – दूर रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है ।

( ii ) पर्वतीय छायाकरण विधि :- यह विधि ढाल प्रदर्शन की विधि है । इसके द्वारा लम्बवत तथा तिर्यक प्रकाश की किरणों की सहायता से ढाल की तीव्रता एवं मन्दता का प्रदर्शन होता है । खड़े ढाल का प्रदर्शन हल्की छाया द्वारा किया जाता है । इस विधि में ढाल की प्रवणता एवं ऊँचाई का कोई ज्ञान नहीं होता है ।

( iii ) तल चिह्न विधि :- वास्तविक सर्वेक्षणों द्वारा भवनों , पुलों , खंभों , पत्थरों जैसे स्थाई वस्तुओं पर समुद्र तल से मापी गई ऊँचाई को प्रदर्शित करने वाले चिह्न को तल चिह्न ( Bench Mark ) कहा जाता है । मानचित्र पर BM अक्षर लिखकर ऊँचाई को प्रकट किया जाता है ।

( iv ) स्थानिक ऊँचाई विधि :- तल चिन्ह की सहायता से किसी स्थान विशेष की मापी गई ऊँचाई को स्थानिक ऊँचाई ( Spot Height ) कहा जाता है । इस विधि में बिन्दुओं के द्वारा मानचित्र में विभिन्न स्थानों की ऊँचाई को लिख दिया जाता है ।

( v ) त्रिकोणमितीय स्टेशन विधि :- इस विधि का सम्बन्ध उन बिन्दुओं से है जिनका उपयोग सर्वेक्षण करते समय स्टेशन के रूप में हुआ था । इसमें मानचित्र पर त्रिभुज बनाकर समुद्रतल से ऊँचाई लिख दी जाती है ।

( vi ) स्तर रंजन विधि :- यह स्थलाकृतियों को प्रदर्शन करने की एक विधि है जिसमें धरातलीय ऊँचाई एवं निचाई को विभिन्न छात्राओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है । इनमें समुद्र या जलीय भाग को नीले रंग से दिखाया जाता है । मैदान को हरा रंग से तथा पर्वतों को बादामी हल्का कत्थई रंग से दिखाया जाता है . जबकि बर्फीले क्षेत्र को सफेद रंग से दिखाया जाता है ।

( vii ) समोच्च रेखा विधि :- समोच्च रेखाओं की सहायता से उच्चावच प्रदर्शन की विधि को सर्वश्रेष्ठ माना गया है । यह एक मानक विधि है । वस्तुतः समोच्च रेखाएँ भूतल पर समुद्र तल में एक समान ऊँचाई वाले बिन्दुओं अथवा स्थानों को मिलाकर मानचित्र पर खींची जानेवाली काल्पनिक रेखाएँ हैं ।

 

प्रश्न:2  समोच्च रेखा क्या है ? इसके द्वारा विभिन्न प्रकार के ढालों का प्रदर्शन किस प्रकार किया जाता है ?

उत्तर:-  किसी धरातल पर समुद्र तल से समान ऊँचाई वाले स्थानों को मिलने वाली काल्पनिक रेखाओं को समोच्च रेखा कहते हैं । समोच्च रेखाओं की सहायता से उच्चावच प्रदर्शन की विधि को सर्वश्रेष्ठ माना गया है । वस्तुत : समोच्च रेखाएँ भूतल पर समुद्र तल से एक समान ऊँचाई वाले बिन्दुओं अथवा स्थानों को मिलाकर मानचित्र पर खींची जानेवाली काल्पनिक सर्वेक्षण के आधार पर खींची जाती हैं । मानचित्र में प्रत्येक समोच्च रेखा के साथ ऊँचाई लिख दिया जाता है । मानचित्र पर इन समोच्च रेखाओं को बादामी रंग से दिखाया जाता है । विभिन्न प्रकार की ढालों को प्रदर्शित करने के लिए समोच्च रेखाओं को खींचकर या बनाने का प्रारूप अलग – अलग होता है । एक समान ढाल को दिखाने के लिए समोच्च रेखाओं को समा दूरी पर खींचा जाता है । खड़ी ढाल को दिखाने के लिए समोच्च रेखा पास – पास बनाई जाती हैं ।

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