( 2 – MARKS QUESTIONS )
प्रश्न:1 किन्हीं दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत को धर्म – निरपेक्ष देश बनाता है ?
उत्तर:- निम्न प्रावधान इस प्रकार हैं जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाता है
( i ) भारतीय संविधान की प्रस्तावना में संवैधानिक संशोधन द्वारा भारत को धर्म – निरपेक्ष राज्य घोषित किया गया है । भारत का कोई राष्ट्रीय धर्म नहीं है । धर्म को भारतीय संविधान में विशेष दर्जा नहीं दिया गया है ।
( ii ) हर नागरिक को कोई भी धर्म स्वीकारने , मानने का अधिकार भारतीय संविधान देता है । धर्म के आधार पर भारतीय संविधान किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करता है ।
प्रश्न:2 भारत की संसद में विधायिकाओं एवं महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है ?
उत्तर:- लोकसभा में महिला प्रतिनिधियों की संख्या बढ़कर आज 59 जरूर हो गयी , किन्तु यह अभी भी 11 % से कम है । विकसित राष्ट्रों के विधायिकाओं में महिला प्रतिनिधियों की संख्या अपर्याप्त है – ब्रिटेन में 19.3 % , अमेरिका में 16.3 % , इटली में 16.1 % , आयरलैण्ड में 16.2 % , तथा फ्रांस में 13.9 % | भारतीय संदर्भ में अधिकांश महिला सांसदों की पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनैतिक रही है या कुछ मामलों में आपराधिक भी । यह इस बात को प्रमाणित करती है कि सामान्य महिलाओं के लिए अभी भी विधायिका की दहलीज दूर है ।
( 5 – MARKS QUESTIONS )
प्रश्न:1 जातिवाद क्या है ? परिवारवाद और जातिवाद बिहार में किस तरह लोकतंत्र को प्रभावित ( हावी ) करता है ?
उत्तर:- बिहार में परिवार लोकतंत्र को प्रभावित करता है । परिवारवाद से बिहार के लोकतंत्र में कुशल व्यक्तियों की अनदेखी एवं अकुशल लोगों द्वारा सत्ता प्राप्ति देखा गया है । अकुशल लोग बिहार की समस्या की अनदेखी कर अपने परिवार को बढ़ाने में लग जाते हैं । जातिवाद का तात्पर्य राजनीतिक प्रक्रिया में जातिगत पहचान के आधार पर भागीदारी के महत्व प्राप्त होना है । भारतीय समाज में जाति व्यवस्था की जड़ें अत्यन्त गहरी हैं तथा व्यक्तियों की जातिगत पहचान उनकी नागरिकों के रूप में पहचान से अधिक मजबूत है । अतः जब नागरिक राजनीतिक प्रक्रिया के विभिन्न चरणों चुनाव , मतदान , सरकार का निर्माण , सरकारी लाभों का वितरण , महत्वपूर्ण नियुक्तियाँ , आदि में जातिगत पहचान को अधिक महत्व देते हैं , तो उसे जातिवाद कहा जाना है । बिहार की राजनीति भी अन्य राज्यों की तरह जातिवाद से प्रभावित है । बिहार में तीन प्रकार के जातिगत समूह – उच्च जातिवर्य , पिछड़ा जातिवर्ग तथा अनुसूचित जातिवर्ग सक्रिय है । प्रत्येक जाति का जाति समीकरण चनावों में सफलला तथा सरकार के कामकाज का आधार बन जाता है । 2010 के चुनाव में बिहार की राजनीति में जातिवाद का प्रभाव मतदाताओं ने बिल्कुल खारिज कर दिया ।