( 2 – MARKS QUESTIONS )
प्रश्न:1 भारतीय किसान यूनियन की मुख्य माँगें क्या थीं ?
उत्तर:- भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण से 1980 ई ० के दशक में नकदी फसलों के बाजार को संकट का सामना करना पड़ा । विदित हो कि हरित क्रान्ति ने 1960 ई . के उत्तरार्द्ध से ही हरियाणा , पंजाब , पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों के आर्थिक विकास में काफी योगदान दिया । इन इलाकों में इस क्रांति के बाद के वर्षों में गन्ना और गेहूँ मुख्य नकदी फसल बन गए । उदारीकरण और नकदी फसलों के अधिक उत्पादन के बावजूद दाम नहीं मिलने के मुद्दे को भारतीय किसान यूनियन ने गम्भीरता से लेते हुए सरकार से कई प्रमुख माँगें की । इन माँगों में गन्ने और गेहूँ के सरकारी खरीद मूल्य में बढ़ोत्तरी , कृषि उत्पादों के अन्तर्राज्यीय आवाजाही पर लगे पाबन्दी को हटाने , समुचित दर पर बिजली की गारण्टीयुक्त आपूर्ति , किसानों के बकाये की माफी तथा किसानों के लिए पेंशन योजना का प्रावधान आदि प्रमुख थीं । सरकार से अपनी माँगें मनवाने हेतु भारतीय किसान यूनियन ने रैली , धरना , प्रदर्शन और जेल भरो आन्दोलन आदि का सहारा लिया । किसानों ने धमकी दी यदि माँगें नहीं मानी गई तो परिणाम के लिए सरकार तैयार रहे ।
प्रश्न:2 सूचना के अधिकार आंदोलन के मुख्य उद्देश्य क्या थे ?
उत्तर:- सूचना के अधिकार आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य सत्ता में आंशिक साझेदारी करना , सरकारी कामकाज पर नियंत्रण रखना तथा सरकार एवं सरकारी मुलाजिमों के कार्यों का सार्वजनिकीकरण करना है । राजस्थान में सरकार ने 1994 ई . और 1996 ई ० में जन सुनवाई आयोजित की । इस आंदोलन के दबाव में सरकार को राजस्थान पंचायती राज अधिनियम में संशोधन कर पंचायत के दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतिलिपि जनता को उपलब्ध कराने का आदेश निर्गत करना पड़ा । 1996 ई ० में दिल्ली में सूचना के अधिकार आन्दोलन को लेकर एक राष्ट्रीय समिति का पटन हुआ । 2002 ई ० में सूचना की स्वतंत्रता नामक एक विधेयक पारित हुआ , लेकिन इसमें व्याप्त गड़बड़ियों के कारण इसे सार्वजनिक नहीं किया गया । 2004 ई . में सूचना के अधिकार से सम्बन्धित विधेयक संसद में लाया गया जिसे जून , 2005 ई ० में राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली और यह अधिनियम बन गया । इस अधिकार द्वारा जनता को जागरूक कर विकास को समझने परखने के कौशल में विकास लाने का उद्देश्य समाहित है ।
प्रश्न:3 ‘ चिपको आंदोलन ‘ का मुख्य उद्देश्य क्या था ?
उत्तर:- उत्तराखण्ड के दो – तीन गाँवों से प्रारम्भ हुए इस आन्दोलन की शुरुआत ‘ अंगू ‘ के पेड़ काटने के मुद्दे पर हुआ । ग्रामीणों को खेती भूमि में विकास के लिए अंगू वृक्ष काटने की अनुमति को राज्य सरकार ने खारिज कर दिया । वहीं सरकार ने खेल का सामान बनाने वाली कम्पनी को अंगू वृक्षों को काटने का ठेका दे दिया । इसी मुद्दे ने ‘ चिपको आन्दोलन ‘ को जन्म दिया । इस आन्दोलन ने आर्थिक शोषण से जुड़े अन्य मुद्दों को भी अपने उद्देश्यों में शामिल कर लिया । आन्दोलन का उद्देश्य था जल , जंगल और जमीन पर एकमात्र नियंत्रण स्थानीय लोगों का हो । स्थानीय भूमिहीन वनकर्मियों ने आर्थिक मुद्दा उठाया एवं न्यूनतम मजदूरी की गारन्टी माँगी । बाहरी ठेकेदारों द्वारा स्थानीय निवासियों को दिए जाने वाले शराब के कारण शराबी बन रहे लोगों की शराबखोरी पर महिलाओं ने आवाज उठाई । परिणामस्वरूप आन्दोलन के कारण अगले 15 वर्ष तक वनों की कटाई पर सरकार ने रोक लगा दी ।
प्रश्न:4 राजनीतिक दलों को प्रभावशाली बनाने के तीन उपायों को संक्षेप में लिखें ।
उत्तर:- राजनीतिक दलों को प्रभावशाली बनाने के तीन उपाय निम्नलिखित
( i ) दल – बदल कानून होना चाहिए :- विधायकों और सांसदों के दलबदल को रोकने के लिए संविधान में संशोधन लाकर कानून बनाया गया है । इन कानूनों को पूर्णरूप से बिना किसी लाभ के लागू होना चाहिए ।
( ii ) राजनीतिक दलों में आन्तरिक लोकतंत्र बहाल होना चाहिए :- राजनीतिक दलों को प्रभावशाली बनाने के लिए यह आवश्यक है कि सभी राजनीतिक दल अपने – अपने संविधान का पालन करें , समय – समय पर सांगठनिक चुनाव हों और दल के सभी सदस्यों को विभिन्न पदों पर बैठने का समान अवसर मिले ।
( iii ) न्यायपालिका के आदेश का पालन होना चाहिए :- उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक दलों के काले धन के दुरूपयोग को रोकने और अपराधियों को चुनाव लड़ने की पाबंदी सम्बन्धी आदेश दिए हैं । इन आदेशों का सख्ती से पालन होना चाहिए ।
प्रश्न:5 दल – बदल कानून क्या है ?
उत्तर:- भारत एक बहुदलीय लोकतांत्रिक राष्ट्र है । निर्वाचित प्रतिनिधि अपने हित या अन्य किसी कारण से अपने दल को छोड़कर अन्य दल में मिल जाता है , तो यह क्रिया उस निर्वाचित सदस्य के संदर्भ में दल – बदल कहलाएगा । दल – बदल शक्ति संतुलन को बिगाड़ता है , सरकार को अस्थायी एवं भयभीत बनाए रखता है । 1985 ई ० में राजीव गाँधी के नेतृत्व वाली सरकार ने दल – बदल विरोधी अधिनियम संसद में लाया । पारित अधिनियम दल विरोधी कानून बना । यदि किसी पार्टी से निर्वाचित सदस्यों का एक – तिहाई भाग अलग होता है तो यह दल – बदल नहीं कहलाएगा । एक नये दल का गठन माना जाएगा । यदि दल – बदल की घटना में एक – तिहाई से कम निर्वाचित सदस्य हैं तो यह दल – बदल माना जाएगा । दल बदलने वाले निर्वाचित प्रतिनिधि की सदस्यता विधायिका से समाप्त कर दी जाती है ।
प्रश्न:6 जनता दल यूनाइटेड का परिचय दें ।
उत्तर:- जनता दल यूनाइटेड जिसका संक्षिप्त नाम जदयू है । इसके अध्यक्ष श्री नीतिश कुमार हैं । बिहार में नीतिश सरकार जदयू एवं बी जे० पी० ( BJP )की गठबंधन सरकार है ।
प्रश्न:7 हमारे देश को ‘ भारत गणतंत्र ‘ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:- हमारे देश ने 26 जनवरी , 1950 ई . को स्वनिर्मित गणतांत्रिक संविधान अंगीकार एवं स्वीकार किया था इसीलिए इसे ‘ भारत गणतंत्र ‘ कहा जाता है ।
प्रश्न:8 राष्ट्रीय राजनीतिक दल किसे कहते हैं ?
उत्तर:- राष्ट्रीय राजनीतिक दल की श्रेणी में कोई भी दल तभी आता है जब
( i ) लोकसभा व विधानसभा के चुनावों में चार या अधिक राज्यों में डाले कुल वैध मतों का 6 % प्राप्त किया हो
( ii ) किसी राज्य या राज्यों से लोकसभा के कम – से – कम 4 स्थानों पर उस दल का उम्मीदवार विजयी रहा हो
( iii ) या लोकसभा में कम से कम 2 % सीट अर्थात् 11 स्थानों पर उसका उम्मीदवार विजयी रहा हो । ये सीटें उसे कम से कम तीन राज्यों में मिली हों । राष्ट्रीय राजनैतिक दल का अस्तित्व पूरे देश में होता है । इनके कार्यक्रम एवं नीतियाँ राष्ट्रीय स्तर की होती हैं । दल विशेष के सम्बन्ध में उसके राष्ट्रीय अथवा क्षेत्रीय होने की घोषणा भारत का चुनाव आयोग करता है । प्रमुख राष्ट्रीय दलों में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस , भारतीय जनता पार्टी , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ( सीपीआई ) , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी ( सीपीआईएम ) , बहुजन समाज पार्टी ( बसपा ) , राष्ट्रीय काँग्रेस पार्टी ( राकांपा ) , राष्ट्रीय जनता दल ( राजद ) आदि हैं ।
( 5 – MARKS QUESTIONS )
प्रश्न:1 राजनीतिक दलों के प्रमुख कार्यों ( छ 🙂 की विवेचना करें ।
उत्तर:- राजनैतिक दल के प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं
( i ) नीतियों एवं कार्यक्रमों का निर्धारण :- राजनैतिक दल जनता से सीधे सम्पर्क में होते हैं । जनता की आवश्यकताओं के अनुरूप कार्यक्रम एवं नीतियों के आधार पर पुनः जनता के बीच जाते हैं एवं चुनाव लड़ते हैं । जनता भी राजनैतिक दलों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रमों के आलोक में दल – विशेष को मतदान कर उन्हें विजेता बनाती है ।
( ii ) विपक्ष के रूप हिस्सेदारी :- राजनैतिक दल चुनाव के उपरान्त अल्पमत की स्थिति में विपक्ष में बैठकर विरोधी दल की भूमिका का निर्वाह करते हैं । वे गठित सरकार के कार्यों पर आलोचना एवं विरोध द्वारा नियंत्रण रखते हैं ।
( iii ) आम चुनावों का संचालन :- चुने गये प्रतिनिधियों में से ज्यादातर किसी दल – विशेष से होते हैं जिनका चयन राजनैतिक दल करते हैं । इन्हें खड़ा करवाकर जीत दिलवाने का प्रयास करते हैं । चुनावी घोषणा – पत्र तैयार करते हैं । अर्थात् राजनैतिक दल चुनाव का संचालन करते हैं ।
( iv ) जनमत का निर्माण :- राजनैतिक दल जनसभाओं , रैलियों , समाचार – पत्रों , रेडियो , टेलीविजन आदि के द्वारा लोकमत बनाने का कार्य करती हैं । राजनैतिक दल सरकार की नीतियाँ , कार्यक्रम एवं कार्य पद्धति के पक्ष एवं विपक्ष में जनमत का निर्माण करने का प्रयास करती हैं ताकि चुनावों में इसके प्रभाव को लाया जा सके ।
( v ) मध्यस्थता ( जनता एवं सरकार के बीच ) का कार्य । कार्य ।
( vi ) राजनीतिक प्रशिक्षण ( मतदाताओं को ) कह सकते हैं कि बिहार से शुरू हुआ
प्रश्न:2 किस आधार पर आ छात्र आंदोलन ‘ का स्वरूप राीय हो गया ?
उत्तर:- 1970 ई ० के दशक में फैले राष्ट्रीय असंतोष से बिहार भी अछूता नहीं था । मार्च 1974 ई . में बिहार में छात्र – आंदोलन ने जन्म लिया । मुद्दा था प्रदेश में बेरोजगारी , भ्रष्टाचार एवं खाद्यान्न की कमी और वस्तुओं की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि । छात्रों ने जयप्रकाश नारायण से इस आन्दोलन के नेतृत्व का आग्रह किया । जयप्रकाश के अहिंसक आन्दोलन की शर्त को मानते हुए छात्रों ने इस आन्दोलन की कमान जे ० पी ० (जयप्रकाश नारायण ) के हाथों में सौंप दी । जयप्रकाश जी ने आन्दोलन का नेतृत्व सम्भालते ही सभी क्षेत्रों के लोगों से इस आन्दोलन में शामिल होने का आग्रह किया । सभी क्षेत्रों से लोग शामिल भी हुए । भारत में सच्चे मायने में लोकतंत्र स्थापित हो इसके लिए उन्होंने सम्पूर्ण क्रान्ति का आह्वान किया । बिहार में काँग्रेसी सरकार को उखाड़ फेंकने हेतु उन्होंने सम्पूर्ण सामाजिक पक्षों , आर्थिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में बदलाव का आह्वान किया । सरकार पर इस्तीफा के लिए दबाव डाला जाने लगा । इस क्रम में घेराव , हड़ताल , संघर्ष शुरू किए गए । सरकार इन दबावों के आगे झुकी नहीं , इस्तीफा नहीं दिया । बिहार में जिस समय यह आन्दोलन चल रहा था , उसी समय रेलवे कर्मचारियों ने भी राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा की । यह हड़ताल केन्द्रीय सरकार के विरुद्ध था जिसका व्यापक प्रभाव पड़ा । जयप्रकाश नारायण की घोषणा के आलोक में दिल्ली में ऐतिहासिक संसद मार्च का आयोजन हुआ जिसमें देश के लाखों लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा । धीरे – धीरे यह आन्दोलन अन्य राज्यों में भी पसरा । इस प्रकार , यह राष्ट्रीय आन्दोलन बन गया ।
प्रश्न:3 विभिन्न जनान्दोलनों में महिलाओं की भूमिका की समीक्षा करें ।
उत्तर:- महिलाओं के जनान्दोलनों से भारतीय लोकतंत्र काफी मजबूत हुआ है । महिलाओं की सक्रिय भागीदारी चिपको आन्दोल , नर्मदा बचाओ आन्दोलन तथा ताड़ी विरोधी आन्दोलन में रही । चिपको आन्दोलन के तहत महिलाएँ वृक्षों से खुद चिपक जाती थीं । इन्होंने जंगल के ठीकेदारों द्वारा पुरुषों को शराब का अभ्यस्त बनाने के प्रयास का भी जमकर विरोध किया । महिलाओं ने शराबखोरी के विरुद्ध आवाज उठाकर आन्दोलन का दायरा और अधिक विस्तृत बना दिया । ताड़ी विरोधी आन्दोलन में महिलाओं ने सक्रिय भूमिका निभायी । आन्ध्रप्रदेश के इस आन्दोलन में महिलाओं ने अपने आस – पड़ोस में शराब या ताड़ी की बिक्री पर पाबन्दी की माँग की । 1992 ई . के सितम्बर – अक्टूबर में वहाँ की महिलाएं शराब के विरुद्ध आन्दोलन छेड़कर अपनी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार लाना चाह रही थीं । महिलाओं के बीच चले प्रौढ़ साक्षरता कार्यक्रम ने महिलाओं को और जागरूक बना दिया । आन्ध्रप्रदेश के लगभग 5000 गाँवों की महिलाओं ने आन्दोलन का हिस्सा बनना कबूल कर लिया । ” ताड़ी की बिक्री बन्द करो ” नारे का व्यापक प्रभाव पड़ा तथा अन्तत : ताड़ी बिक्री पर रोक लगा । नर्मदा बचाओ आन्दोलन का सम्बन्ध कृषि क्षेत्र की अनदेखी तथा पुनर्वास से है । बड़ी संख्या में भाग ले रही महिलाओं ने सरकार से पुनर्वास के मुद्दे पर विचार करने को कहा तथा सरकार के विरुद्ध आंदोलन खड़ा किया । इस दौरान विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों ने भी महिलाओं का साथ दिया ।
प्रश्न:4 राजनीतिक दल राष्ट्रीय विकास में किस प्रकार योगदान करते हैं ?
उत्तर:- राजनैतिक स्थायित्व राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण योगदान करता है । लोकतांत्रिक सरकार के निर्णयों में सबकी सहमति तथा भागेदारी होती है । इसके लिए राजनैतिक दल सरकार की राजनैतिक आलोचना करते हैं । संकट की स्थिति में सभी राजनैतिक दल राहत एवं बचाव कार्यों को बिना किसी मतभेद के करते हैं । जैसे प्राकृतिक आपदा के समय राहत की व्यवस्था एवं वितरण के कार्य आदि । आधुनिक लोकतांत्रिक देशों में नीतियाँ एवं कार्यक्रम विधानमंडल से पारित होते हैं । ऐसे कार्य सत्तारूढ़ दल तथा विपक्षी दलों के विधानमंडल में विचारमंथन के उपरान्त ही हो पाता है । अत : हम कह सकते हैं कि किसी देश के राजनैतिक दलों का चरित्र , विचार , सिद्धान्त एवं दृष्टिकोण जितना व्यापक होगा उस देश का विकास भी उसी अनुपात में होगा ।
प्रश्न:5 भारत में लोकतंत्र के लिए हुए आन्दोलन में महिलाओं की भूमिका नगण्य है । अपने पक्ष में उत्तर दें । अथवा , राष्ट्र की प्रगति में महिलाओं का क्या योगदान है ?
उत्तर:- लोकतंत्र की स्थापना में महिलाओं ने प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष भूमिकाओं से अपनी भागीदारी दी । प्रमुख महिलाओं में भीखा जी कामा , जिन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन में तिरंगा झंडा लहराने वाली प्रथम महिला थीं , नलिनी सेन गुप्ता 1933 ई . में काँग्रेस पार्टी महिला अध्यक्ष बनीं और स्वतंत्रता आन्दोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया । कल्पना दत्त चटगाँव विद्रोह समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए स्वतंत्रता संग्राम को गति दी । रानी लक्ष्मीबाई के योगदान को सारा विश्व जानता है । प्रीतिलता वादेदार – सूर्यसेन के नेतृत्व में चटगाँव विद्रोह में अपनी जान की बलि दे दी और भारतीय महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गयीं । एनी बेसेन्ट 1917 ई ० में काँग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष बनीं और काँग्रेस की नीतियों एवं स्वतंत्रता आन्दोलन को नेतृत्वकारी बनाया । सरोजनी नायडू ने 1925 ई . में काँग्रेस की महिला अध्यक्ष बनीं और स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया । पं . जवाहर लाल नेहरू की बहन विजया लक्ष्मी पंडित ने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के नेतृत्व में चल रहे स्वतंत्रता संग्राम में अर्पित कर दिया । सुचेता कृपलानी ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान को स्मारित करने के लिए ही उत्तर प्रदेश की जनता ने उन्हें अपने राज्य का प्रथम मुख्यमंत्री बनाया । स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं के सक्रिय योगदान के लिए श्रीमती इंदिरा गाँधी ने महिला ब्रिगेड की स्थापना की । इंदिरा जी ने स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की अधिकाधिक भागीदारी सुनिश्चित करवायी । उपर्युक्त तथ्य इस बात को प्रमाणित करते हैं कि महिलाओं ने स्वतंत्रता संग्राम में काफी योगदान दिया ।
प्रश्न:6 राजनीतिक दल को ‘ लोकतंत्र का प्राण ‘ क्यों कहा जाता है ? अथवा , लोकतंत्र के लिए राजनीतिक दल क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:- राजनीतिक दल आवाम से मिलकर बनते हैं । इसकी इकाइयाँ राष्ट्र के निचले हिस्से तक होती है । राजनैतिक दल की पकड़ जनता की भावनाओं एवं विचारों तक होती है । ये जनता की नब्ज बखूबी पहचानते हैं । परिणामत : सत्ता अपना निर्णय राजनैतिक दलों के विचारों को जानकर करती है ताकि नीतियाँ कहीं जनविरोधी न बन जाएँ और परिणामस्वरूप उसे सत्ता से बेदखल होना पड़ जाय । राजनैतिक दलों का आधार जाति , धर्म , क्षेत्र या लिंग विशेष नहीं होता । इसलिए दलों की नीतियाँ एवं कार्यक्रम समग्र एवं व्यापक होता है , किसी क्षेत्र विशेष या हित के लिए नहीं । राजनैतिक दलों का प्रयास होता है कि निर्णय समग्रता से लिया जाए जिसमें समाज का कोई भी तबका असंतुष्ट न हो । इस प्रकार राजनैतिक दलों के सहयोग से ही लोकतांत्रिक व्यवस्था चलायी जा सकती है । लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में राजनैतिक दलों की अपरिहार्यता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है । तभी तो राजनैतिक दल ” लोकतंत्र का प्राण ” हैं ।
प्रश्न:7 बिहार के छात्र आन्दोलन के क्या कारण थे ?
उत्तर:- 1971 के आम चुनाव में सत्तारूढ़ काँग्रेस ने गरीबी हटाओ ‘ का नारा देकर लोकसभा में बहुमत प्राप्त कर केन्द्र में सरकार का निर्माण किया था । लेकिन 1971-72 के बाद के वर्षों में देश की सामाजिक आर्थिक दशा में कोई सुधार नहीं हुआ । बांग्लादेश से आये शरणार्थियों के चलते अर्थव्यवस्था और लड़खड़ा गयी । अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी बांग्लादेश की स्थापना के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत को हर तरह की सहायता पर पाबंदी लगा दिया । अन्तरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि ने भारत की आर्थिक स्थिति को असन्तुलित कर दिया । 1972-73 में मॉनसून की असफलता के चलते पूरे देश में कृषि की पैदावार में काफी कमी आयी । परिणामस्वरूप , पूरे देश में असन्तोष का माहौल था । मार्च 1974 में प्रदेश में बेरोजगारी और भ्रष्टाचार एवं खाद्यान्न की कमी और कीमतों में हुई अप्रत्याशित वृद्धि के चलते बिहार के छात्रों ने सरकार के विरुद्ध आन्दोलन छेड़ दिया । बिहार के छात्रों ने अपने आन्दोलन की अगुआई के लिए जयप्रकाश नारायण को आमंत्रित किया । जयप्रकाश नारायण ने छात्रों का निमंत्रण इस शर्त पर स्वीकार किया कि आन्दोलन अहिंसक रहेगा जो बिहार तक अपने को सीमित नहीं रखेगा । इस दृष्टि से बिहार के छात्र – आन्दोलन ने एक राजनीतिक स्वरूप ग्रहण किया । जयप्रकाश नारायण के निवेदन पर जीवन के हर क्षेत्र से सम्बन्धित लोग आन्दोलन में कूद पड़े । जयप्रकाश नारायण ने बिहार की काँग्रेस सरकार को बर्खास्त करने की माँग कर सामाजिक , आर्थिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में ‘ सम्पूर्ण क्रांति ‘ का आह्वान किया । जयप्रकाश नारायण की ‘ सम्पूर्ण क्रांति ‘ का उद्देश्य भारत में सच्चे लोकतंत्र की स्थापना करना था । बिहार सरकार के विरुद्ध सरकार की इस्तीफा के लिए घेराव , हड़ताल और संघर्ष का सिलसिला प्रारम्भ हुआ । इसके बावजूद सरकार ने इस्तीफा नहीं दिया । जयप्रकाश नारायण की इच्छा थी कि बिहार का यह आन्दोलन देश के अन्य भागों में भी फैले । उल्लेखनीय है कि जब बिहार में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में आन्दोलन चल रहे थे तो उसी समय रेलवे कर्मचारियों ने भी केन्द्रीय सरकार के विरुद्ध एक राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया । उस हड़ताल का व्यापक प्रभाव पड़ा । जयप्रकाश नारायण ने 1975 में दिल्ली में आयोजित संसद मार्च का नेतृत्व किया । राजधानी दिल्ली में अब तक इतनी बड़ी रैली का आयोजन कभी नहीं हुआ था । इस प्रकार , गुजरात और बिहार दोनों राज्यों के आन्दोलनों को काँग्रेस – विरोधी आन्दोलन माना गया ।
प्रश्न:8 राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों की मान्यता कौन प्रदान करता है और इसको मापदंड क्या है ?
उत्तर:- भारत में निर्वाचन आयोग का गठन किया गया है । यह स्वतंत्र , निष्पक्ष एवं स्वायत्त संस्था है । यह भारत में राजनैतिक दलों को मान्यता .चुनाव – चिह्न का आवंटन , उम्मीदवारों के उम्मीदवारी की वैधता , चुनाव क्षेत्र से जुड़े सभी मुद्दों पर कार्य करता है । भारत का निर्वाचन आयोग
निम्नांकित शर्तों पर राष्ट्रीय राजनैतिक दल के रूप में किसी भी दल को मान्यता प्रदान करती है-
( i ) लोकसभा या विधान सभा के चुनावों में 4 या अधिक राज्यों में डाले गए कुल वैध मत का 6 प्रतिशत प्राप्त करने की स्थिति में ।
( ii ) किसी राज्य या राज्यों से लोकसभा की कम- -से- -कम 4 स्थानों पर उस दल विशेष का प्रतिनिधि विजयी होने की स्थिति में ।
( iii ) लोकसभा के लिए उसके उम्मीदवार कम – से – कम 4 स्थानों पर निश्चित । तौर पर विजयी रहे हों
( iv ) जो कम से कम तीन राज्यों से जरूर हो । तब वह दल राष्ट्रीय दल कहलाएगा । इसके विपरीत क्षेत्रीय या राज्य स्तरीय दल कहलाएगा । कुछ राष्ट्रीय दल हैं भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस , भारतीय जनता पार्टी , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी ) , राष्ट्रीय जनता दल , बहुजन समाज पार्टी एवं राष्ट्रीय काँग्रेस पार्टी आदि । क्षेत्रीय या राज्य स्तरीय दलों में जनता दल यूनाइटेड , लोक जनशक्ति पार्टी , समाजवादी पार्टी एवं झारखण्ड मुक्ति मोर्चा आदि ।