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Class 10 Science NCERT Solutions in Hindi Chapter – 15 हमारा पर्यावरण
पाठ्य-पुस्तक प्रश्न
पृष्ठ 289
प्रश्न 1. क्या कारण है कि कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं और कुछ अजैव निम्नीकरणीय?
उत्तर :- जैव निम्नीकरणीय पदार्थ जैविक प्रक्रमों से अपघटित हो जाते हैं। वे जीवाणुओं तथा अन्य प्राणियों के द्वारा उत्पन्न एंजाइमों की सहायता से समय के साथ अपने आप अपघटित हो कर पर्यावरण का हिस्सा बन जाते हैं। लेकिन अजैव निम्नीकरण
पदार्थ जैविक प्रक्रमों से अपघटित नहीं होते। अपनी संश्लिष्ट रचना के कारण उनके बंध दृढ़तापूर्वक आपस में जुड़े रहते हैं और एंजाइम उन पर अपना प्रभाव नहीं डाल पाते।
प्रश्न 2. ऐसे दो तरीके सुझाइए जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर :- (i) जैव निम्नीकरणीय पदार्थ बड़ी मात्रा में पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। इनसे दुर्गंध और गंदगी फैलती है।
(ii) जैव निम्नीकरणीय पदार्थ तरह-तरह की बीमारियों को फैलाने के कारक बनते हैं। उनसे पर्यावरण में हानिकारक जीवाणु बढ़ते हैं।
प्रश्न 3. ऐसे दो तरीके बताइए जिनमें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर :- (i) अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों का अपघटन नहीं हो पाता। वे उद्योगों में तरह-तरह के रासायनिक पदार्थों से तैयार हो कर बाद में मिट्टी में अति सूक्ष्म कणों के रूप में मिल कर पर्यावरण को क्षति पहुँचाते हैं।
(ii) वे खाट्य श्रृंखला में मिलकर जैव आवर्धन करते हैं और मानवों को तरह- तरह की हानि पहुंचाते हैं।
पृष्ठ 294
प्रश्न 1. पोषी स्तर क्या है? एक आहार श्रृंखला का उदाहरण दीजिए तथा इसमें विभिन्न पोषी स्तर बनाइए।
उत्तर :- आहार श्रृंखला में उत्पादक और उपभोक्ता का स्थान ग्रहण करने वाले जीव जीवमंडल को कोई निश्चित संरचना प्रदान करते हैं, जिसे पोषी स्तर कहते हैं। आहार श्रृंखला में उत्पादक का पहला स्थान होता है। यदि हम पौधों का सेवन करें तो श्रृंखला में केवल उत्पादक तथा उपभोक्ता स्तर होते हैं। मांसाहारियों की आहार श्रृंखला में अधिक उपभोक्ता होते हैं। आहार श्रृंखला का उदाहरण
प्रश्न 2. पारितंत्र में अपमार्जकों का क्या महल्व/भूमिका है ?
उत्तर :- पात्र में अपमार्जक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । जीवाणु मृतोपजीवी, कवक
जैसे अति सूक्ष्म जी मृत जैव अवशेषों का अपमार्जन करते हैं। ये मृत शरीरों का अपने भोजन के लिए उपयोग करते हैं। वे जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल पदार्थों में बदल देते हैं। फलों सब्कियों के छिलके, गले-सड़े फल, जैविक कचरा, गाय-भैसों का गोबर, पेड़-पौधों के गले-सड़े भाग आदि अपमार्जकों के दूवागा बिघटित कर दिए जाते हैं और वे आसानी से प्रकृति में पुन: मिल जाते हैं। अपमार्जक जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल अकार्बनिक पदार्थों में बदल देते हैं जो मिट्टी में मिलकर पौधों दूवारा पुन: उपयोग में लाए जाते हैं।
पृष्ठ 296
प्रश्न 1. ओज़ञोन क्या है तथा यह किसी पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है?
उत्तर :- ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बनी ओज्ञोन का बायुमंडल के ऊपरी स्तर. (स्टैटोस्फीयर) में लगभग 16 किलोमीटर ऊपर एक आवरण है जो सूर्य से आने बाली पराबैंगनी विकिरणों से पृथ्वी की सुरक्षा करता है। पराबैंगनी विकिरण जीवों के लिए अत्यंत हानिकारक है। यह त्वचा कैंसर करती है। पृथ्वी के चारों ओर ओज़ोन परत समाप्त हो जाने से सूर्य के प्रकाश से आने वाली पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर बिना रोक-टोक पहुँचने लगेंगी और पात्र को दुष्प्रभावित करने ‘लगेंगी। सन् 1980 से बायुमंडल में ओज्ोन की मात्रा में तेज़ी से गिरावट आने लगी है।
अभ्यास प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. निम्न में से कौन-से समूहों में केवल जैव निम्नकरणीय पदार्थ हैं?
(a) घास, पुष्प तथा चमड़ा
(b) घास, लकड़ी तथा प्लास्टिक
(c) फलों के छिलके, केक एवं नींबू का रस
(d) केक, लकड़ी एवं घास।
उत्तर :- (a), (C) तथा (d)
प्रश्न 2. निम्न से कौन आहार श्रृंखला का निर्माण करते हैं ?
(a) घास, गेहूँ तथा आम
(b) घास, बकरी तथा मानव
(c) बकरी, गाय तथा हाथी
(d) घास, मछली तथा बकरी।
उत्तर :- (b) घास, बकरी तथा मानव।
प्रश्न 3. निम्न में से कौन पर्यावरण-मित्र व्यवहार कहलाते हैं ?
(a) बाज़ार जाते समय सामान के लिए कपड़े का थैला ले जाना।
(b) कार्य समाप्त हो जाने पर लाइट (बल्ब) तथा पंखे का स्विच बंद करना।
(c) मां द्वारा स्कूटर विद्यालय छोड़ने की बजाय तुम्हारा विद्यालय तक पैदल जाना
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर :- (d) उपरोक्त सभी।
प्रश्न 4. क्या होगा यदि हम एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें (मार डालें)?
उत्तर :- यदि एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें तो पारिस्थितिक संतुलन बुरी तरह प्रभावित हो जाएगा। प्रकृति की सभी खाद्य श्रृंखलाएं एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। जब किसी एक कड़ी को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए तो उस आहार श्रृंखला का संबंध किसी दूसरी श्रृंखला से जुड़ जाता है। यदि आहार श्रृंखला से शेरों को मार दिया जाए तो घास चरने वाले हिरणों की वृद्धि अनियंत्रित हो जाएगी। उनकी संख्या बहुत अधिक बढ़ जाएगी। उनकी बढ़ी हुई संख्या घास और वनस्पतियों को खत्म कर देगी कि वह क्षेत्र रेगिस्तान बन जाएगा। सहारा का रेगिस्तान इसी प्रकार के पारिस्थितिक परिवर्तन का उदाहरण है।
प्रश्न 5. क्या किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तरों के लिए अलग-अलग होगा ? क्या किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव है?
उत्तर :- किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तरों पर अलग-अलग होगा।
(i) उत्पादकों को हटाने का प्रभाव-यदि उत्पादकों को पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया तो सारा पारितंत्र ही नष्ट हो जाएगा। तब किसी प्रकार का जीवन नहीं रहेगा।
(ii) शाकाहारियों को हटाने का प्रभाव-शाकाहारियों को नष्ट करने से उत्पादकों (पेड़-पौधों वनस्पतियों) के जनन और वृद्धि पर रोक-टोक समाप्त हो जाएगी और मांसाहारी भूख से मर जाएंगे।
(iii) मांसाहारियों को हटाने का प्रभाव-मांसाहारियों को हटा देने से शाकाहारियों की संख्या इतनी अधिक तेजी से बढ़ जाएगी कि क्षेत्र की सभी वनस्पतियाँ समाप्त हो जाएंगी।
(iv) अपघटकों को हटाने का प्रभाव-अपघटकों को हटा देने से मृतक जीव-जंतुओं के ढेर लग जाएंगे। उन के सड़े हुए शरीरों में तरह-तरह के जीवाणुओं के उत्पन्न हो जाने से बीमारियां फैलेंगी। मिट्टी में उत्पादकों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाएगी। किसी पोषो स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव नहीं है। उत्पादकों को हटाने से शाकाहारी जीवित नहीं रह सकते हैं और शाकाहारियों के न रहने से मांसाहारी नहीं रह सकते। अपघटकों को हटा देने से उत्पादकों को अपनी वृद्धि के लिए पोषक तत्व प्राप्त नहीं हो पाएंगे।
प्रश्न 6. जैविक आवर्धन (Biological magnification) क्या है? क्या पारितंत्र के विभिन्न स्तरों पर जैव आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न होगा?
उत्तर :- विभिन्न साधनों द्वारा हानिप्रद रसायनों का हमारी आहार श्रृंखला में प्रवेश करना तथा उनका हमारे शरीर में सांद्रित होने की प्रक्रिया को जैव आवर्धन कहते हैं। इन रसायनों का हमारे शरीर में प्रवेश विभिन्न विधियों द्वारा हो सकता है। हम फसलों को रोगों से बचाने के लिए कीटनाशक, पीड़कनाशक आदि रसायनों का छिड़काव करते हैं। इनका कुछ भाग मिट्टी द्वारा भूमि में रिस जाता है जिसे पौधे जड़ों द्वारा खनिजों के साथ ग्रहण कर लेते हैं। इन्हीं पौधों के उपयोग से वे रसायन हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं तथा पौधों के लगातार सेवन से उनकी सांद्रता बढ़ती जाती है जिसके परिणामस्वरूप जैव आवर्धन का विस्तार होता है। मनुष्य सर्वभक्षी है। वह पौधों तथा जंतुओं दोनों का उपयोग करता है तथा अनेक आहार श्रृंखलाओं में स्थान ग्रहण कर सकता है। इस कारण मानव में रसायन पदार्थों का प्रवेश तथा सांद्र शीघ्रता से होता है और जैव आवर्धन का विस्तार होता है।
उदाहरण- उत्तरी अमेरिका में मिशीगन झील के आसपास मच्छरों को मारने के लिए बहुत अधिक डी० डी० टी० का छिड़काव किया गया जिससे पेलिकन नामक पक्षियों की संख्या बहुत कम हो गई। पर्यावरण विशेषज्ञों द्वारा यह पाया गया कि पानी । में प्रति दस लाख कण में 0.2 कण डी० डी० टी० ( 1ppm = 1 / 1000000 है। डी० डी०टी० के उच्च स्तर के कारण पेलिकन पक्षियों के अंडों का आवरण पतला हो गया जिससे बच्चों के निकलने से पहले ही अंडे टूट जाते थे।
प्रश्न 7. हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से कौन-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं?
उत्तर :- हमारे द्वारा उत्पादित प्लास्टिक, डी० डी० टी० आदि से युक्त अजैव निम्नीकरणीय कचरे से अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं-
(a) नाले-नालियों में अवरोध।
(b) मृदा प्रदूषण।
(c) प्लास्टिक जैसे पदार्थों को निगल लेने से शाकाहारी जंतुओं की मृत्यु।
(d) मानव शरीर में जैव आवर्धन।
(e) पारिस्थितिक संतुलन में अवरोध।
(f) जल, वायु और मृदा प्रदूषण।
(g) सौंदर्य बोध की दृष्टि से हानिकारक और बुरा ।
प्रश्न 8. यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो, तो क्या इनका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा?
उत्तर :- यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो और उसका निपटान ठीक प्रकार से कर दिया जाए तो हमारे पर्यावरण पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।
प्रश्न 9. ओजोन परत की क्षति हमारे लिए चिंता का विषय क्यों है ? इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं ?
उत्तर :- विभिन्न रासायनिक कारणों से ओजोन परत को क्षति बहुत तेजी से हो रही है। क्लोरोफ्लोरो कार्बनों की वृद्धि के कारण ओज़ोन परत में छिद्र उत्पन्न हो गए हैं जिनसे सूर्य के प्रकाश में विद्यमान पराबैंगनी विकिरणें सीधे पृथ्वी पर आने लगी हैं जो कैंसर, मोतिया बिंद और त्वचा रोगों के कारण बन रहे हैं। ओजोन परत पराबैंगनी (UV) विकिरणों का अवशोषण कर लेती है। इस अति को सीमित करने के लिए 1987 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम
(UHEP) में सर्वसम्मति यही बनी है कि क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFCs) के उत्पादन को 1986 के स्तर पर सीमित रखा जाए। मांट्रियल प्रोटोकोल में 1987 में सन् 1998 तक क्लोरोफ्लोरो कार्बन के प्रयोग में 50% की कमी करने की बीत कही गई। सन् 1992 में मांट्रियल प्रोटोकॉल की मीटिंग में 1996 तथा CFCs पर धीरे-धीरे रोक लगाने को स्वीकार किया गया। अब क्लोरोफ्लोरो कार्बन की जगह हाइड्रोफ्लोरो कार्बनों का प्रयोग आरंभ किया गया है जिसमें ओजोन परत को क्षति पहुँचाने वाले क्लोरीन या ब्रोमीन नहीं हैं। जनसामान्य में इसके प्रति भी सजगता लगभग नहीं है। सजगता को बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। विश्वभर की सरकारों को निम्नलिखित कार्य तत्परता से करने चाहिए-
1. सुपर सॉनिक विमानों का कम-से-कम प्रयोग।
2. नाभिकीय विस्फोटों पर नियंत्रण।
3. क्लोरोफ्लओरो कार्बन के प्रयोग को सीमित करना।
4.CFCs के विकल्प की तलाश।
लघुउत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. अपशिष्ट पदार्थ का अनुपयुक्त निपटान पर्यावरण के लिए एक अभिशाप है।
उत्तर :- अपशिष्ट पदार्थों का अनुपयुक्त निपटान पर्यावरण के लिए एक अभिशाप इसलिए समझा जाता है, क्योंकि ये अपशिष्ट हमारे पर्यावरण, जल वायु एवं मिट्टी को प्रदूषित कर मानव व पादप दोनों को बुरी तरह प्रभावित करता है।
प्रश्न 2. तालाब की सामान्य आहार-श्रृंखला लिखिए।
उत्तर :- शैवाल या काई → सूक्ष्म जन्तु → छोटी मछली → बड़ी मछली
प्रश्न 3. बाजार में खरीददारी करते समय प्लास्टिक की थैलियों की अपेक्षा कपड़े के थैले क्यों लाभप्रद हैं?
उत्तर :- प्लास्टिक की थैलियाँ जैव निम्नीकरणीय नहीं होते और वे पर्यावरण प्रदूषण को फैलाता है परन्तु कपड़े की थैलियों जैव निम्नीकरणीय होते हैं और वे बार-बार उपयोग में लाए जा सकते हैं।
प्रश्न 4. खेतों को कृत्रिम पारितंत्र क्यों कहते हैं ?
उत्तर :- खेत एक कृत्रिम पारितंत्र-मानव द्वारा खेतों को तैयार किया जाता है जिसमें जैव व अजैव दोनों अवयव विद्यमान होते हैं। अत: खेतों को कृत्रिम पारितंत्र कहा जाता है।
प्रश्न 5. जैवनिम्नीकरणीय और गैर-जैवनिम्नीकरणीय पदार्थों के बीच अंतर बताइए। इनके उदाहरण दीजिए।
उत्तर :- उत्तर के लिए पाठ्यपुस्तक प्रश्नोत्तर पृष्ठ 289 प्रश्न 1 देखें।
प्रश्न 6. निम्नलिखित कथनों/परिभाषाओं में से प्रत्येक के लिए एक शब्द का सुझाव दीजिए:
(a) वह भौतिक और जैविक संसार जहाँ हम रहते हैं
(b) आहार-श्रृंखला का वह प्रत्येक स्तर जहाँ ऊर्जा का स्थानांतरण होता है
(c) पारितंत्र के भौतिक कारक जैसे तापमान, वर्षा, पवन और मृदा
(d) वे जीव जो अपने भोजन के लिए उत्पादकों पर प्रत्यक्ष रूप से अथवा अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर होते हैं
उत्तर :- (a) पर्यावरण
(b) पोषी स्तर
(c) अजैव घटक
(d) उपभोक्ता
प्रश्न 7. पर्यावरण में अपघटकों की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :- उत्तर के लिए पाठ्यपुस्तक प्रश्नोत्तर पृष्ठ 294 प्रश्न 2 देखें।
प्रश्न 8. निम्नलिखित युग्मों में से गलत युग्म को चूनिए और उसे सही करके लिखिए:
(a) जैव आवर्धन भोजन-श्रृंखला के उत्तरोत्तर पोषी स्तरों पर रसायनों का एकत्रीकरण
(b) पारितंत्र पर्यावरण के जैविक संघटक
(c) जलजीवशाला मानव-निर्मित एक पारितंत्र
(d) परजीवी वे जीव जो अन्य जीवों (परपोषी) पर रहते हैं और उससे अपना भोजन प्राप्त करते हैं
उत्तर :- (b) पारितंत्र – पर्यावरण के जैविक व अजैविक घटक।
प्रश्न 9. हम तालाबों और झीलों की सफाई नहीं करते, किंतु जलशीवशाला की सफाई करना आवश्यक होता है। क्यों?
उत्तर :- जलजीवशाला एक मानव निर्मित पारितंत्र है जो अपूर्ण होता है। इसमें प्रदूषण होने से जल जीवों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है और वे मर सकते हैं। अतः समय-समय पर इसकी सफाई करना आवश्यक है। तालाब एवं झील प्राकृतिक पारितंत्र हैं जो पूर्ण होते हैं तथा इनकी सफाई प्राकृतिक रूप से होती रहती है।
दीर्घउत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 10. एक पारितंत्र में ऊर्जा प्रवाह दर्शाइए। यह एकदिशिक क्यों होता है ? इसका औचित्य बताइए।
उत्तर :- उत्तर के लिए दीर्घउत्तरीय महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 16 देखें।
प्रश्न 11. अपघटक क्या होते हैं ? किसी पारितंत्र में इनके न होने का क्या परिणाम हो सकता है?
उत्तर :- उत्तर के लिए अभ्यास प्रश्नोत्तर 5 देखें।
प्रश्न 12. अपने दैनिक जीवन में किन्हीं चार क्रियाकलापों का सुझाव दीजिए जो पारिहितैषी हों।
उत्तर :- उत्तर के लिए पाठ्यपुस्तक प्रश्नोत्तर पृष्ठ 296 प्रश्न 2 देखें।
प्रश्न 13. आहार-श्रृंखला और आहार-जाल के बीच दो अंतर बताइए।
उत्तर :- उत्तर के लिए दीर्घउत्तरीय महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 2 देखें।
प्रश्न 14. आपके घर में उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट पदार्थों के नाम लिखिए। उनके निपटान के लिए आप क्या कार्यवाही करेंगे?
उत्तर :- उत्तर के लिए दीर्घउत्तरीय महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 8 देखें।
प्रश्न 15. उर्वरक उद्योगों में बनने वाले अपशिष्ट पदार्थों के प्रबंधन के लिए उपयुक्त विधि/विधियों का सुझाव दीजिए।
उत्तर :- उर्वरक फैक्ट्रियों से उत्पन्न अपशिष्ट का प्रबंधन-
(a) वैज्ञानिक तटीकों का उपयोग कर वायु प्रदूषण को रोकना।
(b) अपशिष्ट को जलाशयों, नदियों व खुले मैदान मे छोड़ने से पहले प्रदूषण मुक्त करना।
प्रश्न 16. उर्वरक उद्योगों के उपोत्पाद कौन-से होते हैं? पर्यावरण पर वे क्या प्रभाव डालते हैं?
उत्तर :- उर्वरक के हानिकारक उपोत्पाद- हानिकारक जो So2 NO वायु प्रदूषण के मुख्य घटक है तथा अम्लवर्षा करते हैं। ये गैसे जल में धुलकर सल्फ्यूरिक अम्ल तथा नाइट्रिक अम्ल बनाते हैं जो मानव एवं पादप दोनों के लिए नुकसानदेह है। मानव में ये प्रदूषक श्वसन संबंधी रोग उत्पन्न करते हैं तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता का हास होता है।
प्रश्न 17. पर्यावरण पर पड़ने वाले उन कुछ हानिकारक प्रभावों की व्याख्या कीजिए जो कृषि की विभिन्न पद्धतियों के कारण होते हैं।
उत्तर :- कृषि की विभिन्न पद्धतियों के कारण पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव-
(i) अजैव निम्नीकरणी रासायनिक उर्वरकों वकीटनाशिकों के अत्यधिक प्रयोग जैव आवर्धन का कारण बनता है।
(ii) उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग से मृदा की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है एवं सूक्ष्म जीवाणुओं की मृत्यु हो जाती है।
(iii) अत्यधिक उर्वरक एवं कीटनाशी के उपयोग से जल वा मृदा दोनों बुरी तरह प्रदूषित हो जाते हैं।