Class 10 Non-Hindi (अहिन्दी ) पाठ – 22 सुदामा चरित
1. ‘ सुदामा चरित ‘ के लेखक कौन हैं ?
( क ) सूरदास
( ख ) तुलसीदास
( ग ) नरोत्तम दास
( घ ) सभी सही हैं।
उत्तर – ( ग )
2. सुदामा की आर्थिक स्थिति कैसी थी ?
( क ) अमीर
( ख ) गरीब
( ग ) अतिदीन
( घ ) सभी गलत हैं।
उत्तर- ( ग )
3. ‘ सुदामा चरित ‘ की भाषा क्या है ?
( क )अवधि
( ख ) मैथिली
( ग ) ब्रजभाषा
( घ ) राजस्थानी
उत्तर- ( ग )
4. सुदामा चरित्र गद्य की कौन – सी विधा है ?
( क ) संस्मरण
( ख ) कहानी
( ग ) कविता
( घ ) रेखाचित्र।
उत्तर- ( ग )
5. सुदामा अपने मित्र से मिलने कहाँ गए थे ?
( क ) मथुरा
( ख ) द्वारिका
( ग ) उज्जैन
( घ ) बृंदावन।
उत्तर- ( ख )
6. सुदामा को कृष्ण के पास जाने में संकोच क्यों हो रहा था ?
( क ) कृष्ण को उपहार देने के लिए उनके पास कुछ न था
( ख ) वे कृष्ण को अपनी दीन – दशा दिखाना नहीं चाहते थे
( ग ) बचपन में गुरु आश्रम के बाहर चना – चबेना कृष्ण से छुपाकर खा गए थे ।
( घ ) कृष्ण से कुछ माँगना अपनी शान के खिलाफ समझते थे ।
उत्तर – ( क )
7. सुदामा और कृष्ण क्या थे ?
( क ) बाल – सखा
( ख ) युवा दुश्मन
( ग ) भगवान
( घ ) दरिद्र जनता
उत्तर- ( क )
8. श्रीकृष्ण ने सुदामा को कुछ न देकर किसे वैभव संपन कर दिया ?
( क ) भाई को
( ख ) बेटे को
( ग ) नौकरों को
( घ ) उनकी पत्नी को।
उत्तर- ( घ )
9. बचपन में कृष्ण – सुदामा कहाँ पढ़े थे ?
( क ) संदीपन ऋषि के पास
( ख ) व्यास के पास
( ग ) अदिति के पास
( घ ) कौटिल्य मुनि के पास
उत्तर – ( क )
10. श्रीकृष्ण किनके पाँव को अपने अश्रुजल से धो दिये ?
( क ) राधिका के
( ख ) प्रेमिका के
( ग ) मित्र सुदामा के
( घ ) रुक्मिणी के
उत्तर- ( ग )
11. कृष्ण ने किससे कहा कि ” चोरी की बानि में हौजु प्रबीने ” ?
( क ) राधा से
( ख ) सुदामा से
( ग ) श्रीदामा से
( घ ) बलभद्र से
उत्तर- ( ख )
12. बात के लालच से राधा कृष्ण की कौन – सी वस्तु छुपा देती है ?
( क ) कपड़ा
( ख ) मोर पंख
( ग ) मुरली
( घ ) लाठी
उत्तर- ( ग )
13. नरोत्तमदास हैं
( क ) कवि
( ख ) कहानीकार
( ग ) उपन्यासकार
( घ ) निबंधकार
उत्तर- ( क )
14. इनमें कौन नरोत्तम दास की कृति है
( क ) सुदामा चरित
( ख ) राम चरित
( ग ) कृष्ण चरित
( घ ) सभी सही हैं
उत्तर- ( क )
15. ‘ उपानह ‘ का अर्थ होता है
( क ) उपग्रह
( ख ) जूता
( ग ) कुर्ता
( घ ) गंजी।
उत्तर- ( ख )
16. ‘ जदुवंश – मनि ‘ किन्हें कहा गया है ?
( क ) जरासंध को
( ख ) कंस को
( ग ) कृष्ण को
( घ ) शिशुपाल को
उत्तर- ( ग )
v.v.i Subjective Question ( 5marks )
1. गुरु के यहाँ किस बात की याद श्रीकृष्ण ने सुदामा को दिलाई ?
उत्तर – ऐसी कथा है कि श्रीकृष्ण तथा सुदामा ने बचपन में संदीपनि के आश्रम में रहकर एक साथ शिक्षा पाई थी । दोनों में काफी प्रेम था । एक दिन गुरुमाता ने दोनों को जंगल से जलावन की लकड़ी लाने भेजा तथा खाने के लिए कुछ चने दिए , ताकि भूख लगने पर दोनों खा लें । सुदामा ने गुरुमाता द्वारा दी गई चने की पोटली को अपने पास रख लिया । जंगल पहुँचकर श्रीकृष्ण एक पेड़ पर चढ़ गए और लकड़ियाँ तोड़ने लगे तथा नीचे खड़े सुदामा उन लकड़ियों को एकत्र करने लगे । संयोगवश वर्षा होने लगी । तेज हवा चलने के कारण ठंडक बढ़ गई । श्रीकृष्ण पेड़ पर ही थे और पेड़ के तने के पास खड़े सुदामा गुरुमाता द्वारा दिए गए चने चबाने लगे । चने चबाने से होनेवाली आवाज सुनकर श्रीकृष्ण ने मित्र से पूछा – ‘ मित्र ! क्या खा रहे हो ? ‘ सुदामा ने कहा — ‘ कुछ भी नहीं । ‘ सर्दी के कारण दाँत किटकिटा रहे हैं । सुदामा श्रीकृष्ण से चोरी – चोरी सब चने खा गए । इसी प्रकार सुदामा अपनी पत्नी द्वारा दिए गए चावलों की पोटली को छुपाने का प्रयास कर रहे थे । यह देखकर बचपन की घटना की याद दिलाते हुए श्रीकृष्ण ने कहा कि ‘ चोरी के काम में तुम बचपन से ही निपुण हो ।
2. अपने गाँव वापस आने पर सुदामा को क्यों भ्रम हुआ ?
उत्तर – द्वारका से लौटने पर जब सुदामा अपने गाँव आए तो अपनी झोपड़ी खोजने लगे । लाख प्रयास के बावजूद उन्हें अपनी झोपड़ी नहीं मिली , क्योंकि झोपड़ी की जगह प्रभु , श्रीकृष्ण की कृपा से महल तैयार हो गया था । उस चमचमाते महल को देखकर उनके मन में विचार आया कि कहीं वे रास्ता तो नहीं भूल गए और वापस पुनः द्वारका श्रीकृष्ण के राजमहल के पास आ गए । क्योंकि वह महल भी द्वारका जैसा ही था । अतः उनके मन पर संदेह का बादल छाया हुआ था । श्रीकृष्ण ने उन्हें जो कुछ दिया , वह परोक्ष रूप में दिया था । स्वयं तो खाली हाथ आए थे । इसीलिए झोपड़ी की जगह महल देखकर उन्हें भ्रम हो गया ।
3. सुदामा की दीन – दशा देखकर श्रीकृष्ण किस प्रकार भाव – विह्वल हो गये ?
उत्तर – सुदामा की दीन – दशा देखकर करुणा के सागर , प्रभु , श्रीकृष्ण का मन करुणा से भर गया , क्योंकि सुदामा उनके बाल सखा थे । दोनों ने गुरु संदीपनि के यहाँ शिक्षा पाई थी । जब श्रीकृष्ण सुदामा का पैर धोने लगे तो पैर में बिवाइयाँ तथा चुभे हुए काँटे देखकर इतना द्रवित हो उठे कि परात का पानी छुए बिना अपने अश्रुजल से ही उनके पैर धो डाले । उन्होंने मित्र की ऐसी दयनीय दशा पर उनसे कहा — मित्र ! तुम इधर क्यों नहीं आए । तुम इतने तक कष्टमय जीवन क्यों बिताते रहे ?