प्रश्न:1 पर – परागण क्या है (self pollination) ?
उत्तर:- एक पुष्प के पराग कणों का दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुंचने की क्रिया को पर – परागण कहते हैं ।
प्रश्न:2 परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर:-निषेचन पूर्वपरागकणों के स्त्रीकेशर पर पहुँचना परागण है जबकि नर एवं मादा युग्मक का संलयन निषेचन है , अत : दोनों भिन्न हैं ।
प्रश्न:3 परागण किसे कहते हैं ? वर्षा होने पर परागण पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर:-पराग कणों को पुंकेसर से वर्तिकाग्र तक स्थानान्तरण की क्रिया परागण कहलाती है । यदि पराग कण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित होते हैं तो यह स्वपरागण कहलाता है । यदि एक पुष्प का पराग कण दूसरे पुष्य पर स्थानान्तरित होते हैं तो उसे परपरागण कहते हैं । वर्षा होने पर पराग कण धुलकर मिटटी से चिपक जाएँगै अत : परागण नहीं हो पाएगा ।
प्रश्न:4 HIV और AIDS का पूर्ण रूप दें ।
उत्तर:- HIV – Human Immuno deficiency Virus
AIDS – Acquired Immuno Deficiency Syndrome .
प्रश्न:5 निषेचन को परिभाषित कीजिए ।
अथवा ,
निषेचन किसे कहते हैं ?
उत्तर:- नर युग्मक नाभिक का मादा बीजाण्ड नाभिक के साथ परस्पर संलयन की प्रक्रिया को निषेचन कहते हैं ।
प्रश्न:6 परागण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:- निषेचन क्रिया के पूर्व पराग कणों का स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र तक पहुँचने की क्रिया को परागण कहते हैं ।
प्रश्न:7 द्विखंडन बहुखंडन से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर:- द्विखंडन से कोई एक कोशिका दो छोटे और लगभग समान भागों में बँट जाती है । द्विखंडन एक निर्धारित प्रक्रम में होता है । लेकिन बहुखंडन में एक – कोशिका जीव एक साथ अनेक संतति कोशिकाओं में विभाजित हो जाते हैं । काला – जार के रोगाणु लेसमानियाँ डोनोवानी में द्विखंडन होता है लेकिन मलेरिया परजीवी प्लाज्मोडियम में बहुखंडन होता है ।
प्रश्न:8 ऋतुस्राव (menstrual cycle) क्यों होता
उत्तर:- यदि अंडे का नारी शरीर में निषेचन नहीं हो , तो अंड – कोशिका लगभग एक दिन तक जीवित रहती है । अंडाशय हर महीने एक अंड का मोचन करता है और निषेचित अंड की प्राप्ति हेतु गर्भाशय भी हर महीने तैयारी करता है । इसलिए इसकी अंत : भित्ति मांसल एवं स्पंजी हो जाती है । यह अंडे के निषेचन में उसके पोषण के लिए आवश्यक है । निषेचन न होने की अवस्था में इस परत की आवश्यकता नहीं रहती । इसलिए यह परत धीरे – धीरे टूट कर योनि मार्ग से रुधिर एवं म्यूकस के रूप में बाहर निकल जाती है । इस चक्र में लगभग एक महीने का समय लगता है । इसे ऋतुस्राव अथवा रजोधर्म कहते हैं । इसकी अवधि लगभग 2 से 8 दिनों की होती है ।
प्रश्न:9 एक कोशिकीय एवं बहुकोशिकीय जीवों की जनन पद्धति में क्या अतर है ?
उत्तर:- एक कोशिकीय जीव प्रायः विखंडन , मुकुलन , पुनरुद्भवन ,बहुखंडन आदि विधियों से जनन करते हैं । उनमें केवल एक ही कोशिका होती है । वे सरलता से कोशिका विभाजन के द्वारा तेजी से जनन कर सकते हैं ।
बहुकोशिकीय जीवों में जनन क्रिया जटिल होती है और यह मुख्य रूप से लैंगिक जनन द्वारा होती है ।
प्रश्न:10 एकलिंगी ( Asexual ) तथा द्विलिंगी ( Bisexual ) की परिभाषा एक – एक उदाहरण देकर कीजिए ।
उत्तर:- एकलिंगी :- वे जीव जिनमें नर और मादा स्पष्ट रूप से अलग – अलग हों उन्हें एकलिंगी जीव कहते हैं ।
उदाहरण – मनुष्य ।
द्विलिंगी :- जिन जीवों में नर और मादा लिंग एक साथ उपस्थित होते हैं उन्हें द्विलिंगी कहते हैं ।
उदाहरण- केंचुआ ।
प्रश्न:11 द्विखण्डन और बहुखण्डन में अन्तर लिखिए । अथवा , द्विखण्डन बहुखण्डन से किस प्रकार भिन्न हैं ।
उत्तर:-
द्विखण्डन | बहुखण्डन | |
1. | इसमें एक जीव से दो जीव बन जाते हैं | इसमें एक जीव से दो या दो से अधिक जीव बन जाते हैं । |
2. | यह अनुकूल परिस्थितियों में पूर्ण होता है । | यह प्रतिकूल परिस्थितियों में पूर्ण होता है । |
प्रश्न:12 लैंगिक तथा अलैंगिक जनन में पाँच अंतर बताएँ ।
उत्तर:-
लैंगिक जनन | अलैंगिक जनन | |
1. | इस क्रिया में नर और मादा दोनों युग्मकों की आवश्यकता पड़ती है । | इस क्रिया में नर और मादा दोनों की आवश्यकता नहीं पड़ती । |
2. | इस प्रकार का जनन उच्च श्रेणी के जीवों में होता है । | यह निम्न श्रेणी के जीवों में होता है । |
3. | लैंगिक जनन में निषेचन क्रिया के बाद जीव निर्मित होता है । | अलैंगिक जनन में निषेचन क्रिया नहीं होती । |
4. | इस जनन द्वारा उत्पन्न संतान में नये गुण विकसित हो सकते हैं । | इस जनन द्वारा उत्पन्न संतान में। नये गुण नहीं आ सकते हैं । |
5. | इस क्रिया में बीजाणु उत्पन्न नहीं होते हैं । | इस क्रिया में एककोशिकीय बीजाणु उत्पन्न हो सकते हैं । |