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Class 9 Science Subjective Question Chapter - 2 क्या हमारे आसपास के प्रदार्थ शुद्ध है

Class 9 Science Subjective Question Chapter – 2 क्या हमारे आसपास के प्रदार्थ शुद्ध है

                                                                   

                                                                      -:   अविलघु उत्तरीय प्रश्न   :-

प्रश्न:1 क्या धातुयें तत्त्व होती हैं ?

उत्तर:-  हाँ, धातुएँ तत्व होती हैं।

 

प्रश्न:2 दो पदार्थों के रासायनिक संयोग से जो पदार्थ बनता है वह क्या कहलाता है ?

उत्तर:-  यौगिका

 

प्रश्न:3 वायु के मुख्य अवयव क्या हैं?

उत्तर:-  नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प आदि वायु के मुख्य अवयव हैं।

 

प्रश्न:4 भौतिक परिवर्तन अस्थायी क्यों होता है ?

उत्तर:-  क्योंकि इसके मूल संघटन और द्रव्यमान में कोई परिवर्तन नहीं होता है और इस परिवर्तन के फलस्वरूप कोई नया पदार्थ नहीं बनता है। इसलिये भौतिक परिवर्तन अस्थायी होता है।

 

प्रश्न:5 उस विधि का नाम बतायें जिसके द्वारा नमक और जल से बने विलयन में से अवयवों को पृथक किया जा सकता है?

उत्तर:-  वाष्पन विधि द्वारा।

 

प्रश्न:6  बारूद किन-किन पदार्थों का मिश्रण है?

उत्तर:-  बारूद शोरा (पोटैशियम नाइट्रेट), गंधक और कोयले का मिश्रण होता है।

 

प्रश्न:7 क्या हीरा एक तत्व है ?

उत्तर:-  हाँ, हीरा एक तत्व है।

 

प्रश्न:8 विलयन की परिभाषा दें।

उत्तर:-  दो या अधिक पदार्थों ( द्रव्यों ) का सम्मांग मिश्रण विलयन कहलाता है।

 

प्रश्न:9 क्या निलंबन में ठोस के कण दिखायी पड़ते हैं ?

उत्तर:-  हाँ।

 

प्रश्न:10 लोहे के चूर्ण में थोड़ा बालू के कण मिश्रित हो गये हैं। इस मिश्रण में से लोहे के चूर्ण को पृथक करने के लिये किसी एक तकनीक का नाम बतायें।

उत्तर:- चुम्बकीय पृथक्करण विधि द्वारा।

 

प्रश्न:11 तीन उर्ध्वपतित होनेवाले पदार्थों के नाम लिखें।

उत्तर:- 

(i) क्लोराइड (नौसादर)

(ii) आयोडीन

(iii) कपूर

 

प्रश्न:12 मिश्रणीय द्रव क्या है ? एक उदाहरण दें।

उत्तर:-  वे द्रव जो एक-दूसरे के साथ पूर्णतः मिश्रित हो जाते हैं, मिश्रणीय द्रव कहलाते हैं,

जैसे :- अल्कोहल

 

प्रश्न:13 क्या कोलॉइड के कणों का स्कंदन होता है ?

उत्तर:-  हाँ।

 

प्रश्न:14 जल में उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करनेवाले दो पदार्थों के नाम लिखा

उत्तर:- 

(i) पोटाश एलम ( फिटकरी )

(ii) क्लोरीन या विरंजक चूर्ण।

 

प्रश्न:15 दूध से मक्खन कैसे निकाला जाता है ?

उत्तर:-  अपकेंद्रीकरण या मंथन विधि द्वारा।

 

प्रश्न:16 आयोडीन में धातुई चमक होती है। क्या आयोडीन को धातु माना जा सकता है?

उत्तर:-  नहीं।

 

प्रश्न:17 ठोस-गैस के मिश्रण का एक उदाहरण दें।

उत्तर:-  मिट्टी

 

प्रश्न:18 नमक के एक जलीय विलयन को तनु बनाने में एक छात्र ने गलती से जल के स्थान पर उसमें ऐसीटोन ( क्वथनांक 56°C ) मिला दिया। उस प्रक्रिया का नाम बताएँ जिसमें ऐसीटीन को पुनः प्राप्त किया जा सकता है।

उत्तर:-  आश्वन प्रक्रिया के द्वारा।

 

प्रश्न:19 60°C ताप पर निर्मित पोटैशियम क्लोराइड के एक संतृप्त विलयन को कमरे के ताप तक ठंढा किया जाए तो क्या होगा?

उत्तर:-  रवा बनकर विलयन से अलग हो जाता है।

 

प्रश्न:20 धुआँ औ. कुहासा दोनों एरोसॉल हैं। बताएँ कि इन दोनों में क्या अन्तर है?

उत्तर:-  धुआँ में परिक्षेपित प्रावस्था ठोस है, जबकि कुहासो में परिक्षेपित प्रावस्था द्रव है।

                                                                                        -:   लघु उत्तरीय प्रश्न   :-

 

प्रश्न:1 निम्नलिखित पदार्थों का तत्व, यौगिक और मिश्रण में वर्गीकृत करें-

(a) जस्ता

(b) समुद्र का जल

(c) सोडियम बाइकार्बोनेट

(d) मिट्टी

(e) साबुन

(f) कोयला

(g) कागज

(h) ऐल्कोहल

(i) ग्रेफाइट

उत्तर:- 

तत्व – जस्ता, ग्रेफाइट।

यौगिक- सोडियम बाइकार्बोनेट।

मिश्रण- मिट्टी, कोयला, अलकोहल, समुद्र का जल, साबुन, कागज।

 

प्रश्न:2  निम्नलिखित में भौतिक और रासायनिक परिवर्तनों की पहचान करें।

(a) एक बच्चे का विकास (b) दूध का दही बनना (c) मोम का पिघलना (d) लकड़ी का जलना।

उत्तर:- 

भौतिक परिवर्तन– मोम का पिघलना।

रासायनिक परिवर्तन- दूध का दही बनना, लकड़ी का जलना, एक बच्चे का विकास।

 

प्रश्न:3 तत्व और यौगिक में कोई दो अन्तर बतायें।

उत्तर:- 

                                                                 -:  तत्व  :-

(i) यह वह पदार्थ है जिसे दो या अधिक विभिन्न पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता है।

(ii) यह एक ही प्रकार के परमाणुओं का बना होता है।

                                             

                                                        -:  यौगिक  :-

(i) इसे रासायनिक विधियों द्वारा दो या अधिक विभिन्न गुणवाले पदार्थों में विभक्त किया जा सकता है।

(ii) यह विभिन्न प्रकार के परमाणुओं का बना होता है

 

प्रश्न:4 मिश्रण के किन्हीं दो गुणों को लिखें।

उत्तर:-  मिश्रण के दो गुण निम्न हैं-

(i) मिश्रण के बनने में प्राय : ऊर्जा का न तो उत्सर्जन होता है न अवशोषण ही :- चीनी और बालू को एक साथ मिला देने पर कोई ऊर्जा परिवर्तन नहीं होता अर्थात् ऊर्जा का न तो उत्सर्जन होता है और न ही अवशोषण।

(ii) मिश्रण का संघटन निश्चित नहीं होता है :- मिश्रण के विभिन्न भागों में उसके अवयवों का अनुपात भिन्न-भिन्न होता है। मिश्रण में इसके अवयव किसी भी अनुपात में उपस्थित रह सकते हैं।

 

प्रश्न:5 विलेय और विलायक में क्या अन्तर है? स्पष्ट करें

उत्तर:-  जो पदार्थ द्रव में घुलकर विलयन बनाता है वह विलेय कहलाता है जबकि जिस द्रव में किसी पदार्थ को घुलाया जाता है, उस द्रव को विलायक कहते हैं।

 

प्रश्न:6 आप कैसे समझते हैं कि ऑक्सीजन एक तत्व है ?

उत्तर:-  ऑक्सीजन एक तत्व है, क्योंकि अबतक ऑक्सीजन में किसी भी अन्य तत्व की उपस्थिति नहीं पायी गयी है। जब शुद्ध ऑक्सीजन की अभिक्रिया शुद्ध हाइड्रोजन के साथ करायी जाती है तो सिर्फ जल बनता है। इन्हीं कारणों से ऑक्सीजन को एक तत्व माना जाता है।

 

प्रश्न:7  किहीं चार उपयोगी मिश्रणों का उल्लेख करें।

उत्तर:-  ऑक्सीजन, दूध, जल और मिट्टी उपयोगी मिश्रणों के कुछ उदाहरण हैं।

 

प्रश्न:8 जलीय विलयन और अजलीय विलयन से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर:- 

जलीय विलयन :- किसी पदार्थ को जल में घुलाकर जो विलयन बनता है उसे जलीय विलयन कहते हैं। उदाहरण के लिये; नमक, अमोनियम क्लोराइड और कॉपर सल्फेट के जल में बने विलयन इन पदार्थों के जलीय विलयन हैं।

अजलीय विलयन :— कुछ ऐसे भी पदार्थ हैं जो जल के अतिरिक्त अन्य द्रवों में घुलकर विलयन बनाते हैं। ऐसे द्रवों में अल्कोहल ऐसीटोन, कार्बन टेट्राक्लोराइड और कार्बन डाइसल्फाइड मुख्य हैं। इन द्रवों से बने विलयन अजलीय विलयन कहलाते हैं।

 

प्रश्न:9 वास्तविक विलयन की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख करें।

उत्तर:-  वास्तविक विलयन की दो विशेषतायें इस प्रकार हैं-

(i) विलयन स्वच्छ एवं पारदर्शी होता है।

उदाहरण के लिये – नमक का जल में विलयन स्वच्छ एवं पारदर्शी होता है।

(ii) विलयन को कुछ समय तक स्थिर छोड़ देने पर भी घुल्य के कण नीचे नहीं बैठते हैं।

 

प्रश्न:10 असंतृप्त विलयन से क्या समझते हैं ?

उत्तर:-  किसी निश्चित ताप पर बना वह विलयन जिसमें घुल्य की और अधिक मात्रा उस ताप पर घुलायी जा सकती है, असंतृप्त विलयन कहलाता है।

 

प्रश्न:11 असंतृप्त विलयन और संतृप्त विलयन में क्या अन्तर है ? स्पष्ट करें।

उत्तर:-  किसी निश्चित ताप पर बना वह विलयन जिसमें घुल्य की अधिकतम मात्रा घुली हो, संतृप्त विलयन कहलाती है जबकि असंतृप्त विलयन में घुल्य की और अधिक मात्रा उस ताप पर घुलायी जा सकती है।

 

प्रश्न:12 अतिसंतृप्त विलयन क्या है?

उत्तर:-  वह संतृप्त विलयन जिसमें घुल्य की मात्रा उस विलयन को संतृप्त करने के लिये आवश्यक घुल्य की मात्रा से अधिक घुली हुयी हो, अतिसंतृप्त विलयन कहलाता है।

 

प्रश्न:13 किसी पदार्थ की विलयेता की परिभाषा दें। विलेयता पर ताप और दाब का क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर:-  एक निश्चित ताप पर 100 g विलायक को संतृप्त करने के लिये किसी पदार्थ की जितनी मात्रा (ग्राम में) की आवश्यकता होती है, उसे उस ताप पर उस पदार्थ की विलेयता कहते हैं।

विलेयता पर ताप का प्रभाव-साधारणत: ठोस पदार्थ की जल में विलेयता ताप बढ़ने से बढ़ती है। जैसे—पोटैशियम नाइट्रेट, अमोनियम ब्रोमाइड आदि। कुछ ऐसे भी ठोस पदार्थ हैं जिनकी विलेयता ताप बढ़ने से घटती है। जैसे—सोडियम सल्फेट, कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड आदि।

विलेयता पर दाब का प्रभाव :–किसी द्रव में ठोस पदार्थ की विलेयता पर दाब का प्रभाव बहुत ही कम पड़ता है। उदाहरण के लिये, दाब बढ़ाने पर जल में सोडियम क्लोराइड की विलेयता में बहुत ही कम वृद्धि होती है। किन्तु द्रव में किसी गैस की विलेयता पर दाब का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। दाब बढ़ाने पर विलेयता बढ़ती है और दाब कम करने पर विलेयता घटती है। उदाहरण के लिये, सामान्य दाब पर कार्बन डाइऑक्साइड गैस जल में अधिक विलेय नहीं है, किन्तु उच्च दाब पर यह अत्यन्त विलेय हो जाती है। सोडावाटर की बोतल में उच्च दाब पर कार्बन डाइऑक्साइड गैस जल में घुली रहती है। इसीलिये इसके बोतल का मुँह खोल देने पर तीव्र फदफदाहट के साथ कार्बन डाइऑक्साइड गैस बाहर निकलने लगती है।

 

प्रश्न:14 दो अलग-अलग परखनलियों में से एक में नमक का जल में असंतृप्त विलयन और दूसरे में संतृप्त विलयन रखा गया है। उनकी पहचान आप कैसे करेंगे?

उत्तर:-  यह जाँच करने के लिये कि विलयन संतृप्त है या असंतृप्त। इसके लिये उस विलयन में थोड़ा घुल्य डालकर काँच की छड़ से अच्छी तरह मिलायें। यदि घुल्य घुल जाता है तब विलयन असंतृप्त माना जाता है, अन्यथा संतृप्त।

 

प्रश्न:15  कोलॉइडी विलयन क्या है?

उत्तर:-  कोलाइडी किसी वास्तविक विलयन एवं निलंबन के बीच की स्थिति होती है। न तो यह वास्तविक विलयन होता है और न निलंबन अर्थात न तो इसमें विलेय के कण द्रव में पूरी तरह घुलते हैं और न इस प्रकार निलंबित रहते हैं कि न हिलाने पर तली में बैठ जाएँ। कोलाइड में ठोस कणों का आकार 10-9 मीटर से 10-6 मीटर के बीच होता है। कोलाइड में द्रव माध्यम, परिक्षेपण माध्यम कहलाता है तथा घुले हुए कण परिक्षिप्त प्रावस्था कहलाते हैं।

उदाहरण- दूध, रक्त, लिखने वाली स्याही तथा साबुन के झाग।

 

प्रश्न:16 निम्नलिखित में प्रत्येक का एक उदाहरण दें- पायस, जेल, एरोसॉल, झाग।

उत्तर:- 

पायस – दूध

जेल – मक्खन

एरोसॉल – कुहासा

झाग – साबुन।

 

 

                                                                                 -:  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न  :-

 

प्रश्न:1 तत्व, यौगिक और मिश्रण की परिभाषा लिखें।

उत्तर:- 

तत्व :- तत्व पदार्थ का एक शुद्ध और सरलतम द्रव्य है जो किसी भी भौतिक या रासायनिक विधि द्वारा दो या दो से अधिक सरल द्रव्यों में विभाजित नहीं किया जा सकता है।

यौगिक :– यौगिक वह शुद्ध पदार्थ है जो दो या अधिक तत्वों के भार के विचार से एक निश्चित अनुपात में रासायनिक संयोग के फलस्वरूप बनता है।

मिश्रण :– मिश्रण वह पदार्थ है जो दो या अधिक तत्वों या यौगिकों को किसी भी अनुपात में परस्पर मिला देने से बनता है और इसके अवयवों को सरल यांत्रिक विधियों द्वारा पृथक किया जा सकता है।

 

प्रश्न:2  यौगिक की प्रमुख विशेषतायें लिखें।

उत्तर:-  यौगिकी की प्रमुख विशेषतायें निम्नलिखित हैं-

(i) यौगिक के अवयवी तत्वों को किसी भी यांत्रिक या भौतिक विधि द्वारा अलग-अलग नहीं किया जा सकता है।

(ii) किसी यौगिक के गुण उसके अवयवी तत्वों के गुणों से नितांत भिन्न होते हैं।

(iii) किसी यौगिक के बनने में ऊष्मा या प्रकाश के रूप में ऊर्जा का प्रायः उत्सर्जन या अवशोषण होता है।

(iv) यौगिक में उसके अवयवी तत्व भार के विचार से एक निश्चित अनुपात में रहते हैं।

(v) यौगिक के द्रवणांक और क्वथनांक निश्चित होते हैं।

(vi) यौगिक एक समांग पदार्थ है अर्थात् यौगिक के संघटन और गुण हमेशा एक समान रहते हैं।

 

प्रश्न:3 तत्व और यौगिक में मुख्य है?

उत्तर:-  तत्व और यौगिक में मुख्य अन्तर निम्न हैं-

                                    

                                           -:  तत्व  :-

(i) ‘ये वे पदार्थ हैं जिसे दो या अधिक विभिन्न पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता है।

(ii) ये एक ही प्रकार के परमाणुओं का बना होता है।

(iii) ये सिर्फ एक ही पदार्थ का बना होता है।

(iv) इनमें भौतिक और रासायनिक गुण यौगिकों से भिन्न होते हैं।

(v) इसका सूक्ष्मतम कण परमाणु कहलाता है।

                           

                                        -:  यौगिक  :-

(i) इसे रासायनिक विधियों द्वारा दो या अधिक विभिन्न गुण वाले पदार्थों में विभक्त किया सकता है।

(ii) ये विभिन्न प्रकार के परमाणुओं का बना होता है।

(iii)ये दो या अधिक विभिन्न पदार्थों से बना होता है।

(iv) इसमें भौतिक और रासायनिक गुण तत्वों से भिन्न होते हैं।

(v) इसका सूक्ष्मतम कण अणु कहलाता है।

 

प्रश्न:4  उपयुक्त उदाहरण देकर यौगिक और मिश्रण में अन्तर स्पष्ट करो

उत्तर:-  यौगिक और मिश्रण में निम्नलिखित अन्तर है-

                                     

                                                     -:  यौगिक  :-

( i ) यह दो या अधिक शुद्ध पदार्थों को किसी भी अनुपात में सिर्फ मिला देने से बनता है।

उदाहरणा – जल (H2O), अमेनिया ( NH3 ) कार्बन डाइऑक्साइड ( CO2 ), चूना- पत्थर (CaCO3), हाइड्रोजन क्लोराइड (HCl), अमोनियम क्लोराइड (NH4CI) आदि।

(ii) इसके अवयवों को सरल यात्रिक विधियों द्वारा अलग-अलग किया जा सकता है।

(iii) इसमें अवयवों के अपने-अपने मौलिक गुण कायम रहते हैं। अत: मिश्रण के गुण इसके अवयवों के गुणों से औसत होते हैं।

(iv) यह समांग या विषमांग हो सकता है।

(v) इसके बनने में कोई नया पदार्थ नहीं बनता है।

(vi) इसके बनने में ऊर्जा परिवर्तन नहीं होता है।

(vii) इसके द्रवणांक, क्वथनांक आदि गुण निश्चित नहीं होते हैं।

(viii) इसमें दो या अधिक प्रकार के अणु विद्यमान होते हैं।

(ix) मिश्रण का घनत्व अवयवी पदार्थों के घनत्वों का औसत होता है।

                                        

                                                       -:  मिश्रण  :-

( i ) यह एक शुद्ध पदार्थ है जो दो या अधिक तत्वों के एक निश्चित अनुपात में संयोग होने से बनता है।

उदाहरण– वायु,बारूद, इस्पात, समुद्र का जल, कागज, कोयला, कुहासा इत्यादि।

(ii) इसके अवयवों को सरल यांत्रिक विधियों से अलग-अलग नहीं किया जा सकता है।

(iii) इसके गुण अवयवों के गुणों से हमेशा भिन्न होते हैं।

(iv) यह हमेशा समांग होता है।

(v) अपने अवयवों से भिन्न यह एक नया पदार्थ है।

(vi) इसके बनने में ऊर्जा-परिवर्तन अवश्यंभावी है।

(vii) इसके द्रवणांक, क्वथनांक आदि गुण निश्चित होते हैं।

(viii) यह एक ही प्रकार के अणु का बना होता है।

(ix) यौगिक का घनत्व अवयवी पदार्थों के घनत्वों से भिन्न होता है।

 

प्रश्न:5 समांग और विषमांग मिश्रण से आप क्या समझते हैं ? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दें।

उत्तर:- 

समांग मिश्रण :– इसका संघटन सम्पूर्ण मिश्रण में एक रूप रहता है। इसके अवयवों के बीच कोई सुस्पष्ट विभाजक सीमायें नहीं होती हैं।

उदाहरण – जल में चीनी का विलयन एक मिश्रण है। यह समांग होता है। इस विलयन के किसी भी भाग में चीनी और जल का अनुपात एक समान रहता है। इसमें चीनी और जल के कण पृथक-पृथक नहीं दिखायी देते हैं।

विषमांग मिश्रण :– इसका संघटन सम्पूर्ण मिश्रण के अन्तर्गत एकरूप नहीं रहता है। इस मिश्रण के विभिन्न अवयवों के मध्य सुस्पष्ट विभाजक सीमायें होती हैं।

उदाहरण– बालू और साधारण नमक का मिश्रण विषमांग होता है। इस मिश्रण के विभिन्न भागों में इसके अवयवों का अनुपात भिन्न-भिन्न होता है। एक आवर्धक काँच से देखने पर बालू और नमक के कण अलग-अलग तथा स्पष्ट दिखते हैं?

 

प्रश्न:6 अमोनियम क्लोराइड को बालू से उर्ध्वपातन विधि की सहायता से आप कैसे पृथक करेंगे? सचित्र वर्णन करें।

उत्तर:-  उर्ध्वपातन विधि द्वारा बालू और अमोनियम क्लोराइड के मिश्रण से अमोनियम क्लोराइड को पृथक किया जा सकता है।

चित्र : उर्ध्वपातन विधि से बालू तथा अमोनियम क्लोराइड को उनके मिश्रण से पृथक करना।

व्याख्या :– उक्त मिश्रण को एक पोर्सिलेन बेसिन में लेकर इसके ऊपर एक कोणीय फनेल (शंकुकीप) उलटकर रख देते हैं। फनेल सिरे को कपास की रुई से बंद कर देते हैं। बेसिन को गर्म करने पर मिश्रण में उपस्थित अमोनियम क्लोराइड बिना पिछले ही वाष्प में परिवर्तित होकर ऊपर उठता है जो फनेल के अन्दर ठण्डे भागों में ठोस के रूप में परिणत होकर एकत्र हो जाता है। फलस्वरूप बालू से अमोनियम क्लोराइड अलग हो जाता है।

 

प्रश्न:7 प्रभाजी स्रवण का वर्णन करें।

उत्तर:-  प्रभाजी म्रवण यह विधि दो या अधिक मिश्रणीय द्रवों के मिश्रण के अवयवों को पृथक करने में अपनायी जाती है उन अवयवी द्रवों के क्वथनांक का अन्तर 10°C या कम हो। उदाहरण के लिये, मेथिल अल्कोहल (क्वथनांक 65°C) को एसीटोन (क्वथनांक 56°C) से इस विधि द्वारा पृथक किया जा सकता है। मिश्रण को एक गोल पेंदी वाले फ्लास्क में लेकर बालू ऊष्मक पर गर्म करते हैं। यह फ्लास्क एक प्रभाजक स्तंभ से जुड़ा रहता है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। चित्र: प्रभाजी स्रवण प्रभाजक स्तंभ में कई फंदे होते हैं, जिनमें उच्च क्वथनांक वाले या कम वाष्पशील द्रव संघनित होते हैं। निम्न क्वथनांक या अधिक वाष्पशील द्रव के वाष्प संघनक में जाकर संघनित हो जाता है। इस द्रव को एक अलग ग्राहक में एकत्र कर लिया जाता है। इस द्रव के क्वथनांक पर ताप तबतक स्थिर रहता है जबतक कि यह द्रव पूर्णत: वाष्पित होकर निकल नहीं जाता। इसके पश्चात ताप बढ़ने लगता है और अगले उच्च क्वथनांक वाले द्रव के क्वथनांक पर पुनः स्थिर हो जाता है। यह द्रव भी पूर्णत: वाष्पित होकर संघनक में द्रवीभूत होता है जिसे एक दूसरे ग्राहक में एकत्र कर लिया जाता है। इस प्रकार से मिश्रण के सभी अवयवों को अलग-अलग प्राप्त किया जा सकता है। पेट्रोलियम के विभिन्न अवयवों को पृथक करने में प्रभावी प्रवण विधि अपनाई जाती है।

 

प्रश्न:8 लोहा को.गंधक से पृथक करने की किन्हीं दो विधियों का उल्लेख करें।

उत्तर:-  लोहा को गंधक से निम्नलिखित विधियों द्वारा पृथक किया जा सकता है-

(i) पृथक्करण विधि :- लौह-चूर्ण और गंधक के मिश्रण से लौह-चूर्ण को चुम्बकीय पृथक्करण विधि द्वारा पृथक किया जा सकता है। इस मिश्रण के ठीक ऊपर एक चुम्बक लाने पर लोहे के बारीक कण चुम्बक की ओर आकर्षित होकर उससे चिपक जाते हैं। गंधक अचुम्बकीय होने के कारण चुम्बक की ओर आकर्षित नहीं होता है।

(ii) छनना विधि :– लोहे के चूर्ण और गंधक के मिश्रण में कार्बन डाइसल्फाइड डालने पर गंधक उनमें घुल जाती है, किन्तु लोहे के कणों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। प्राप्त द्रव को छानने पर लोहा पृथक हो जाता है।

 

प्रश्न:9 विलेय, विलायक और विलयन की व्याख्या करें।

उत्तर:-

विलेय :– जो पदार्थ द्रव में घुलकर विलयन बनाता है, वह विलेय कहलाता है।

उदाहरण — नमक, अमोनियम क्लोराइड और कॉपर सल्फेट आदि।

विलायक :– जिस द्रव में किसी पदार्थ को घुलाया जाता है, उस द्रव को विलायक कहते हैं।

उदाहरण—  जल

विलयन :– दो या अधिक पदार्थों समांग मिश्रण विलयन कहलाता है। समांग का अर्थ है- विलयन के सभी भागों में एकरूपता।

अत: विलयन का संघटन एकरूप होता है।

 

प्रश्न:10  विलेयता क्या है ? कमरे के ताप पर जल में शोरा (पोटैशियम नाइट्रेट) की विलेयता ज्ञात करने की विधि का उल्लेख करें।

उत्तर:-  विलेयता- एक निश्चित ताप पर 100g विलायक को संतृप्त करने के लिये किसी पदार्थ की जितनी मात्रा (ग्राम में) की आवश्यकता होती है, उसे उस ताप पर उस पदार्थ की विलेयता कहते हैं। मान लें, कमरे के ताप पर हमें पोटैशियम नाइट्रेट की जल में विलेयता ज्ञात करनी है। इसके लिये जल में सोडियम क्लोराइड का संतृप्त विलयन तैयार करते हैं। इस विलयन का लगभग 10 mL पहले से तौले (वजन) हुए एक पोर्सिलेन बेसिन में लेते हैं। विलयन के साथ बेसिन को पुनः तौल लेते हैं। अब बेसिन को बालू-ऊष्मक पर रखकर धीरे-धीरे गर्म करते हैं। जब पूरा जल वाष्पित हो जाता है और बेसिन में सिर्फ ठोस अवशेष (पोटैशियम नाइट्रेट) बच जाता है तब बेसिन को एक शुष्ककारक में रखकर ठण्डा करते हैं। इसके पश्चात ठोस अवशेष (पोटैशियम नाइट्रेट) के साथ बेसिन को तौल लेते हैं। गर्म करने, ठण्डा करने तथा तौलने का काम तबतक किया जाता तबतक की दो तौल एक समान न हो जाये।

अब गणना निम्न प्रकार से की जाती है-

मान लिया कि बेसिन तथा छड़ का द्रव्यमान = w1 ग्राम बेसिन,

छड़ तथा विलयन का द्रव्यमान = w2 ग्राम

विलयन का द्रव्यमान = (w2-w1) ग्राम

विलयन को गर्म करने के बाद स्थिर भार बेसिन,

छड़ तथा विलेय पदार्थ का द्रव्यमान = w3 ग्राम

विलेय का द्रव्यमान = (w3-w1) ग्राम

अतः विलायक (जल) का द्रव्यमान = (w2-w1) – (w3 – w1) = ( w2 – w3 ) ग्राम

अर्थात् कमरे के ताप पर (w2 – w3) ग्राम जल में (w3 – w1) ग्राम विलेय घुलकर संतृप्त विलयन बनाता है।

 

प्रश्न:11 वास्तविक विलयन, कोलॉइडी विलयन और निलंबन में अन्तर स्पष्ट करें।

उत्तर:-  वास्तविक  विलयन, कोलॉइडी विलयन तथा निलंबन में अन्तर-

                          

                        -:  वास्तविक विलयन  :-

( i ) यह दो या अधिक पदार्थों का सजातीय मिश्रण होता है ।

( ii ) विलेय के अणु दिखाई नहीं दे सकते हैं ।

( iii ) अणु का आकार 109 मी ० से कम होता है ।

( iv ) छानकर संघटकों को पृथक नहीं किया जा सकता है ।

( v ) उदाहरण : चीनी का जलीय विलयन

   

                         -:  कोलॉइडी विलयन  :-

( i ) कोलॉइडी विलयन दुग्ध , यह सजातीय दिखने वाला , लेकिन विषमजातीय मिश्रण होता है ।

( ii ) विलेय के अणु सूक्ष्मदर्शी से दिखाई दे सकते हैं ।

( iii ) अणु का आकार 10-6 ‘ से 10-9 ‘ मी ० के बीच होता है ।

( iv ) संघटकों को केवल अपकेंद्रीकरण द्वारा ही पृथक किया जा सकता

( v ) उदाहरण : दूध

 

                                -:  निलंबन  :-

( i ) यह किसी ठोस का विषमजातीय मिश्रण है । जो द्रव या गैस में विक्षेपित रहता

( ii ) ठोस अवस्था के अणु नंगी आँखों से दिखाई दे सकते हैं ।

(iii) अणु का आकार 100 मी ० से अधिक होता है ।

( iv) घटकों को साधारणतया छानकर पृथक किया जा सकता

( v ) उदाहरण : गंदला पानी

 

प्रश्न:12 कोलॉइडी विलयन के प्रमुख गुण क्या हैं ?

उत्तर:-  कोलॉइडी विलयन के प्रमुख गुण निम्न हैं-

(i) विषमाग मिश्रण :– कोलॉइडी विलयन विषमांग होता है। इसमें परिक्षेपित कणों को उच्च क्षमता वाले माइक्रोस्कोप की सहायता से देखा जा सकता है।

(ii) छानना क्रिया :– कोलॉइड के कण छान्ना-पत्र के आर-पार आ-जा सकते हैं।

(ii) स्थायित्व :– कोलॉइड के कण बहुत स्थायी होते हैं। कोलॉइड को स्थिर छोड़ देने पर उसके कण नीचे नहीं बैठते हैं।

(iv) कणों का अकार :-कोलॉइड के कणों का आकार (व्यास) 10-7 cm और 10-5 cm के बीच होता है।

(v) ब्राऊनी गति :- कोलॉइडी विलयन के अन्तर्गत कोलॉइड के कण टेढ़े-मेढ़े मार्ग से होकर अनवरत गमन करते रहते हैं। इसे ब्राऊनी गति कहा जाता है। कोलॉइड के कणों का विलायक के कणों के साथ टक्कर होते रहने से ब्राऊनी गति उत्पन्न होती है।

(vi) टिंडल प्रभाव :– किसी प्रकाशपुंज को एक कोलॉइडी विलयन से होकर प्रभावित करने पर किरण-पथ पारभासित हो जाता है। इसका कारण यह है कि कोलॉइड के कण प्रकाश का प्रकीर्णन कर देते हैं। ये कण सूक्ष्म प्रकाश-बिंदु के रूप में अनियमित रूप से गमन करते हुए दिखायी पड़ते हैं। यह घटना टिंडल प्रभाव कहलाती है। इस प्रभाव के फलस्वरूप हम कोलॉइड के कणों को नहीं देखते, बल्कि उनके द्वारा प्रकीर्ण प्रकाश को ही देख पाते हैं। इन कणों की गिनती भी की जा सकती है तथा उनके आकार भी निर्धारित किये जा सकते हैं। टिंडल प्रभाव उस समय भी दिखायी पड़ता है जब कोई प्रकाशपुंज एक छेद से होकर कमरे में आता है। कमरे में उपस्थित धूल-कण जो पहले दिखायी नहीं पड़ते थे, प्रकाश के प्रकीर्णन होने से दिखायी पड़ने लगते हैं।

(vii) वैद्युतकण संचलन :– अनेक कोलॉइडी का विद्युततः आवेशित होते हैं। इनपर धन या ऋण आवेश उपस्थित रह सकते हैं। अत: कोलॉइडी विलयन से होकर विद्युत धारा प्रवाहित करने पर ये कण विपरीत आवेश वाले इलेक्ट्रोडों की ओर गमन करने लगते हैं। इलेक्ट्रोडों पर पहुंचकर ये कण आवेशहीन होकर अवक्षेप के रूप में पृथक हो जाते हैं।

 

प्रश्न:13 विलयन के सांद्रण से आप क्या समझते हैं ? विलयन का सांद्रण व्यक्त करने की एक विधि का वर्णन करें।

उत्तर:-  विलयन के इकाई परिमाण (आयतन या द्रव्यमान) में घुले हुये घुल्य की मात्रा को विलयन का सांद्रण या सामर्थ्य कहते हैं। किसी विलयन का सांद्रण या सामर्थ्य इस बात पर निर्भर करता है कि उस विलयन में कितना घुल्य घुला है। विचलन का सांद्रण व्यक्त करने की एक विधि ये है-

प्रतिशत द्रव्यमान के रूप में :– यदि x ग्राम द्रव में y ग्राम पदार्थ विलीन हो तो सान्द्रण = ( 100y/x )%

 

प्रश्न:14 स्याही में उपस्थित रंगों को कैसे पृथंक किया जाता है?

उत्तर:-  क्रोमेटोग्राफी तकनीक की सहायता से स्याही के अवयव पृथक किये जा सकते हैं। छन्ना-पत्र की एक पतली पट्टी लेते हैं। इस पट्टी के आधार पर लगभग 2cm ऊपर नीली स्याही की एक बूंद रख लेते हैं। अब पट्टी के निचले भाग को काँच के एक बरतन में रखे जल में डुबो देते हैं। बरतन के अन्दर छनना-पत्र लटकता रहता है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। कुछ समय के पश्चात आप पायेंगे कि-

(i) छन्ना-पत्र के ऊपर विभिन्न रंग वाले निशाल ऊपर उठते हैं।

(ii) विलायक में अधिक घुलनेवाला अवयव तीव्रता से ऊपर चढ़ता है, जबकि कम घुलनेवाला अवयव उसके पीछे-पीछे चलता है। अतः रंग के जो घटक जल में अधिक घुलनशील होते हैं, वे तेजी से निकलते हैं और इस प्रकार रंग पृथक हो जाता है।

चित्र : क्रोमेटोग्राफी

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