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Class 9 Science Subjective Question Chapter - 4 परमाणु की संरचना

Class 9 Science Subjective Question Chapter – 4 परमाणु की संरचना

           

                                                                  -:  अतिलघु उत्तरीय प्रश्न  :-

 

प्रश्न:1 परमाणु के मौलिक कणों के नाम लिखें।

उत्तर:- इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन।

 

प्रश्न:2 परमाणु के नाभिक में उपस्थित मौलिक कणों के नाम लिखें।

उत्तर:- प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन।

 

प्रश्न:3 परमाणु के नाभिक में कैसा विद्युत आवेश रहता है ?

उत्तर:-  धनावेश l

 

प्रश्न:4 परमाणु उदासीन क्यों होता है ?

उत्तर:- परमाणु में ऋण आवेशित इलेक्ट्रॉनों और धन आवेशित प्रोटॉनों की संख्यायें समान होने के कारण परमाणु विद्युतत: उदासीन होता है।

 

प्रश्न:5 इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन के आविष्कारकों के नाम बतायें।

उत्तर:- इलेक्ट्रॉन के आविष्कारक-जे-जे. टॉमसन

प्रोटॉन के आविष्कारक-गोल्डस्टीन

 

प्रश्न:6 नाभिक का आवेश उसके किस कण पर निर्भर करता है ?

उत्तर:- न्यूट्रॉन कण पर।

 

प्रश्न:7 परमाणु संख्या क्या है?

उत्तर:-परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की कुल संख्या को परमाणु संख्या कहते हैं। परमाणु संख्या को ‘Z’ द्वारा सूचित किया जाता है।

 

प्रश्न:8 परमाणु द्रव्यमान क्या है ?

उत्तर:-तत्व के परमाणु के नासभक में उपस्स्थत प्रोटॉन एवं न्यूटरॉन की संख्या का योग परमाणु द्रव्यमान कहलाता है ।

 

प्रश्न:9 हाइड्रोजन के तीन समस्थानिकों के नाम बतायें।

उत्तर:-

हादड्रोजन या प्रोटियम (¹H)

ड्यूटीरियम (²H),

ट्राइटियम (³H)।

 

प्रश्न:10  आयन कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर:-आयन दो प्रकार के होते हैं-

(i) धनायन

(ii) ऋणायन।

 

प्रश्न:11 समस्थानिकों के परमाणु द्रव्यमान में क्यों भिन्नता होती है ?

उत्तर:- तत्वों के कई समस्थानिक होते हैं जिनके परमाणु द्रव्यमान भिन्न-भिन्न होते हैं। चूंकि किसी तत्व के एक परमाणु का द्रव्यमान उस तत्व में उपस्थित सभी प्राकृतिक रूप से पाये जानेवाले समस्थानिकों के औसत द्रव्यमान के बराबर होता है।

 

प्रश्न:12 संयोजकता इलेक्ट्रॉन क्या है ?

उत्तर:-क्किसी भी परमाणु की बाह्यतम कक्षा के इलेक्ट्रॉन संयोजी इलेक्ट्रॉन कहलाते हैं।

 

प्रश्न:13  जिस तत्व का परमाणु संख्या 17 है, उसकी संयोजकता कितनी होगी?

उत्तर:-   1

 

प्रश्न:14 तत्वों की संयोजकता किस पर निर्भर करती है?

उत्तर:-तत्वों की संयोजकता उनके परमाणु की बाह्यतम कक्षा के इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर निर्भर करती है।

 

प्रश्न:15 विसर्ग नली में कैथोड किरणें कहाँ से निकलती हैं ?

उत्तर:-कैथोड से।

 

प्रश्न:16 उस तत्व का नाम बतायें जिसके परमाणु में सिर्फ दो मूल कण पाये जाते हैं।

उत्तर:- हाइड्रोजन।

 

प्रश्न:17  किसी परमाणु में 13 प्रोटॉन है। इसकी परमाणु संख्या क्या होगी।

उत्तर:-परमाणु संख्या = प्रोटॉन की संख्या

          परमाणु संख्या = 13 होती है।

 

प्रश्न:18 परमाणु संख्या 13 वाले तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखें।

उत्तर:- 1s22p63S23p1

 

प्रश्न:19 CI परमाणु तथा Cl आयन में प्रोटॉनों की संख्या बतायें।

उत्तर:-17

 

प्रश्न:20 परमाणु संरचना के किस भाग पर तत्व के रासायनिक गुण निर्भर करते हैं ?

उत्तर:-नासाभिक पर।

 

प्रश्न:21 संकेत 7N14 में परमाणु संख्या और द्रव्यमान संख्या बताएँ।

उत्तर:-परमाणु संख्या-7, द्रव्यमान संख्या-14

 

प्रश्न:22 हाइड्रोजन परमाणु के नाभिक में प्रोटोन की संख्या कितनी होती है?

उत्तर:-( एक )

 

प्रश्न:23 किस कण में द्रव्यमान होता है परंतु आवेश नहीं?

उत्तर:- नयूट्रॉन

 

प्रश्न:24  α -कण क्या होते हैं?

उत्तर:-अल्फा (α) कण मुख्यत हीलियम-नाभिक होते हैं। इनकी संरचना दो प्रोटानो व दो न्यूट्रानों के द्वारा होती हैं

 

प्रश्न:25 किसी तत्त्व के परमाणु के नाभिक में 3 प्रोटॉन तथा 4 न्यूट्रान हैं। उस तत्त्व की द्रव्यमान संख्या क्या होगी?

उत्तर:-7( सात )

 

प्रश्न:26 L कक्ष में कितने इलेक्ट्रॉन उपस्थित हो सकते हैं ?

उत्तर:-8 ( आठ )

 

प्रश्न:27 सोडियम तथा क्लोरीन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखें।

उत्तर:-

सोडियम→ 2-8-1

क्लोरीन → 2-8-7

 

प्रश्न:28 Cl- में प्रोटॉन की संख्या बताएँ।

उत्तर:-17

 

प्रश्न:29 क्लोरीन की परमाणु संख्या 17 है। इस तत्त्व की संयोजकता बताएँ।

उत्तर:-1

 

प्रश्न:30 यदि तत्त्व का Z = 3 हो तो तत्त्व की संयोजकता क्या होगी?

उत्तर:-1(एक) लिथियम

 

प्रश्न:31  अगर किसी परमाणु का K तथा L कक्ष भरा है, तो उस परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या होगी?

उत्तर:-10 (दस)

 

प्रश्न:32 निम्नलिखित में समस्थानिक और समभारिक की पहचान करें।

(i) ¹⁴6C, ¹⁴7N

(ii) ¹²6C, ¹⁴6C

उत्तर:-    (i) समभारिक         (ii) समस्थानिक

 

प्रश्न:33 हीलियम का द्रव्यमान 4u है। इसके परमाणु में दो प्रोटॉन हैं। इसमें कितने न्यूट्रॉन होंगे?

उत्तर:-2(दो)

 

 

                                                                              -:  लघु उत्तरीय प्रश्न  :-

 

प्रश्न:1 परमाणु के मौलिक कणों के नाम तथा उनके आपेक्षिक आवेश और द्रव्यमान को लिखें।

उत्तर:-इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन।

इलेक्ट्रॉन- इलेक्ट्रॉन पर इकाई ऋणावेश (-1) रहता है। इसका द्रव्यमान 9.109×10-31kg.

या 0.0005486 amu होता है।

प्रोटॉन– प्रोटॉन पर इकाई धनावेश रहता है। इसका द्रव्यमान 1.6726 x 10-27 kg या 1.00753 amu होता है।

न्यूट्रॉन– न्यूट्रॉन आवेशहीन होता है। इसका द्रव्यमान 1.67495 x 10-27 kg या 1.00893 amu होता है। अत: यह प्रोटॉन के द्रव्यमान के बराबर होता है।

 

प्रश्न:2 न्यूट्रॉन के आविष्कारक कौन थे? परमाणु में ये कहाँ अवस्थित होते हैं ?

उत्तर:-न्यूट्रॉन के आविष्कारक सर जेम्स चैडविक थे। परमाणु में यह नाभिक में अवस्थित रहता है।

 

प्रश्न:3 परमाणु में इलेक्ट्रॉन की स्थिति बतायें।

उत्तर:-ऋणावेश युक्त कण जो सभी पदार्थों के परमाणुओं में उपस्थित रहते हैं, इलेक्ट्रॉन कहलाते हैं। एक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान का लगभग 1/1840 है। इसपर इकाई ऋणावेश (-1) रहता है जिसका निरपेक्ष मान 1.6 x 10-19 कूलॉम होता है। इलेक्ट्रॉन नाभिक से बाहर होते हैं और यह नाभिक के चारों तरफ चक्कर लगाते हैं।

 

प्रश्न:4 परमाणु आवेशित कण के बने होते हैं, फिर भी ये उदासीन होते हैं, क्यों?

उत्तर:-परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या ग्रहीय इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर होती है। प्रत्येक प्रोटॉन का आवेश + 1 और प्रत्येक इलेक्ट्रॉन का आवेश -1 होता है। अत: परमाणु का कुल धनावेश कुल ऋणावेश के बराबर होता है। इसलिये परमाणु उदासीन होता है।

 

प्रश्न:5  रदरफोर्ड के उस प्रयोग का संक्षिप्त वर्णन करें जिससे किसी परमाणु के नाभिक का पता चलता है।

उत्तर:-रदरफोर्ड ने अपने प्रयोग में रेडियोसक्रिय पदार्थ रेडियम द्वारा तीव्र गति से निकले अल्फा कणों को सोने के पत्तर (Foil) पर प्रहार कराया है।

α -कण का आवेश +2 और द्रव्यमान 4 इकाई होता है। यह वस्तुत: He+2 आयन है। चूंकि

α -कणों का द्रव्यमान 4 amu होता है। इस प्रयोग से रदरफोर्ड को निम्नलिखित सूचनायें मिली.

(i) अधिकांश α -कण अपने मार्ग से बिना विचलित हुये स्वर्ण पत्तर को पार करके सीधे निकल जाते हैं।

(ii) कुछ α -कण अपने मार्ग से थोड़ा विचलित हो जाते हैं।

(iii) बहुत ही कम α -कण (10000 में से एक कण) टकराकर अपने मार्ग पर पुन: वापस आ जाते हैं।

 

इस प्रयोग द्वारा रदरफोर्ड ने निम्नलिखित निष्कर्ष निकाले-

(i) परमाणु में अधिकतर स्थान रिक्त हैं जिसके कारण अधिकतर -कण उसमें से सीधे निकल जाते हैं।

(ii) धन आवेशित α -कणों का सभी दिशाओं में विचलित होना यह दर्शाता है कि परमाणु के मध्य स्थान पर कोई समान आवेश (धनावेश) उपस्थित है।

(iii) चूँकि स्वर्ण-पत्तर से टकराकर वापस लौटनेवाले α -कणों की संख्या बहुत कम होती है, अत: परमाणु के अंदर उपस्थित धन आवेशित वस्तु का आयन अत्यन्त ही कम होता है। अत: परमाणु का केंद्र धनावेशित होता है जिसे नाभिक कहा जाता है। उपर्युक्त निष्कर्ष और सूचनाओं के आधार पर रदरफोर्ड ने प्रयोग के दौरान नाभिक का पता लगाया।

 

प्रश्न:6 परमाणु की कक्षाओं को ऊर्जा कक्षा क्यों कहते हैं ?

उत्तर:- परमाणु की कक्षाओं को ऊर्जा कक्षा इसलिये कहा जाता है कि परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर कुछ निश्चित ऊर्जा वाले वृत्ताकार कक्षाओं में घूमते हैं। साथ ही इलेक्ट्रॉन किसी निश्चित कक्षा में रहकर नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते हैं तो उनकी ऊर्जा में हास नहीं होता है और वह चारों तरफ घूमकर ऊर्जा शेल का निर्माण करते हैं।

 

प्रश्न:7  समस्थानिक क्या है?

उत्तर:-एक ही तत्व के परमाणु जिनकी परमाणु संख्यायें समान, किन्तु द्रव्यमान संख्यायें भिन्न-भिन्न होती है, समस्थानिक कहलाते हैं। तत्वों के समस्थानिकों की परमाणु संख्या समान होने का कारण यह है कि उनके नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या समान होती है, किन्तु न्यूट्रॉनों की संख्या भिन्न होने के कारण उनकी द्रव्यमान संख्यायें भिन्न-भिन्न होती हैं।

 

प्रश्न:8 हाइड्रोजन के किन्हीं तीन समस्थानिकों के नाम बतायें और उनके संकेत लिखें।

उत्तर:- हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक ये हैं

(i) प्रोटियम (Protium)

(ii) ड्यूटीरियम (Deuterium)

(iii) ट्राइटियम (Tritium)

 

प्रश्न:9 समस्थानिकों के परमाणु द्रव्यमान भिन-भिन्न होते हैं, फिर भी रासायनिक गुण समान होते हैं, क्यों?

उत्तर:-तत्वों के समस्थानिकों की परमाणु संख्या समान होने का कारण यह है कि उनके नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या समान होती है, किन्तु न्यूट्रॉनों की संख्या भिन्न होने के कारण उनकी द्रव्यमान संख्यायें भिन्न-भिन्न होती हैं।

 

प्रश्न:10 अधिकतर तत्वों के परमाणु द्रव्यमान भिन्नांक क्यों होते हैं ?

उत्तर:-तत्वों के कई समस्थानिक होते हैं, जिनके परमाणु द्रव्यमान भिन्न-भिन्न होते हैं। चूंकि किसी तत्व के एक परमाणु का द्रव्यमान उस तत्व में उपस्थित सभी प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले समस्थानिकों के औसत द्रव्यमान के बराबर होता है। अतः अधिकतर तत्वों के परमाणु द्रव्यमान पूर्णांक न होकर भिन्नांक होते हैं।

 

प्रश्न:11  अष्टक नियम क्या है ?

उत्तर:-परमाणुओं के बाहरी कक्षा में जितने भी इलेक्ट्रॉन होते हैं। उनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास आखिरी कक्षा में 8 होना चाहिये। यानी 8 इलेक्ट्रॉन बाहरी कक्षा में रहना अनिवार्य है। अगर 8 से कम है तो इसे प्राप्त करने के लिये इलेक्ट्रॉन ग्रहण करेगा। यदि 8 से ज्यादा है तो इलेक्ट्रॉन का त्याग करेगा। इसे ही अष्टक नियम कहते हैं।

 

प्रश्न:12 आयन क्या हैं और ये कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर:-विद्युत आवेश से युक्त परमाणु या परमाणुओं के समूह को आयन कहते हैं।

ये दो प्रकार के होते हैं-  (i) धनायन (ii) ऋणायन।

जिस आयन पर धन आवेश रहता है वह धनायन और जिसपर ऋण आवेश रहता है, ऋणायन कहलाता है।

 

प्रश्न:13 परमाणु में अष्टक (Octet) को प्राप्त करने की प्रवृति क्यों होती है ?

उत्तर:- इलेक्ट्रॉन त्याग करने की अपेक्षा एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त करना अधिक आसान होता है।

 

प्रश्न:14 7C35 क्या सूचना देता है ?

उत्तर:-क्लोरीन का द्रव्यमान संख्या 35 तथा परमाणु संख्या 17 होगा।

 

प्रश्न:15 संकेत ¹²6C, ¹46C, क्या सूचनायें मिलती हैं ?

उत्तर:-¹²6C इसका द्रव्यमान संख्या 12, परमाणु संख्या 6 है। ¹46C इसका द्रव्यमान संख्या 14, परमाणु संख्या 6 होगा।

 

प्रश्न:16 C-14 और Co-60 के एक उपयोग को लिखें।

उत्तर:-C-14 का उपयोग- इसका उपयोग जीवाश्म की उम्र जानने के लिये किया जाता है।

Co-60 का उपयोग– इसका उपयोग कैंसर के उपचार में होता है।

           

 

                                                                          -:  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न  :-

 

प्रश्न:1 निम्नलिखित के आविष्कारों द्वारा कैसे निर्देशित होता है कि डाल्टन का परमाणु नियम अपर्याप्त है-

(i) कैथोड किरण (ii) नाभिक (ii) एनोड किरण (iv) समस्थानिक

उत्तर:- डाल्टन के अनुसार पदार्थ का सूक्ष्मतम कण परमाणु होता है जिसे खण्डित नहीं किया जा सकता है, लेकिन अनेक प्रयोगों द्वारा प्रमाणित हो चुका है कि परमाणु अतिसूक्ष्म कणों के संयोग है से बने होते हैं जिनमें इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन प्रमुख हैं। इन तीनों को मौलिक कण कहा जाता है। अब हम निम्नलिखित आविष्कारों द्वारा डाल्टन के परमाणु नियम को अपर्याप्त बता सकते हैं-

(i) कैथोड किरण-जब नली के अन्दर वाधु का काब घटकर 0.001 mm हो जाता है तब कैथोड से अदृश्य किरणें निकलने लगती हैं। ये किरणें उच्च वेग के साथ सीधी रेखाओं में गमन करती हुयी ऐनोड की ओर जाती हैं। गोल्डस्टीन ने इन किरणों का नाम कैथोड किरणें रखा, क्योंकि ये कैथोड से निकलती हैं।

कैथोड किरणें के गुण–

(a) कैथोड किरणें कैथोड की सतह से अभिलंब की दिशा में निकलकर अत्यन्त तीव्र वेग से सीधी रेखाओं में गमन करती हैं।

(b) कैथोड किरणे अत्यन्त सूक्ष्म पार्थिव कणों के प्रवाह हैं।

(c) कैथोड किरणें ऋण आवेशयुक्त कणों की बनी होती हैं।

(d) प्रकाश की भाँति ये किरणें भी फोटोग्राफी में प्रयुक्त होनेवाली प्लेट को प्रभावित करती हैं।

(ii) नाभिक– यह परमाणु का केंद्रीय भाग है जिसका आयतन कुल परमाणु की तुलना में बहुत कम (लगभग 10-5 वाँ भाग) होता है। परमाणु में उपस्थित सभी प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन नाभिक में स्थित होते हैं अर्थात् परमाणु का सारा धन आवेश तथा सारा द्रव्यमान नाभिक या केंद्र में होता है।

नाभिक के गुण–

(a) नाभिक का आयतन परमाणु के आयतन की तुलना में काफी कम (नगण्य) होता है।

(b) इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वृत्तीय पथों पर चक्कर लगाते हैं। इन वृत्तीय पथों को कक्षायें कहते हैं, परमाणु सौरमंडल की तरह होता है। इसके केंद्र में सूर्य की तरह नाभिक या केंद्रक वर्तमान होता है। जिसमें परमाणु का पूर्ण धन आवेश उपस्थित रहता है, इसके चारों ओर नक्षत्र की तरह इलेक्ट्रॉन चक्कर लगाते रहते हैं।

(iii) ऐनोद किरण– हम जानते हैं कि इलेक्ट्रॉन सभी परमाणुओं में उपस्थित होता है। चूंकि परमाणु उदासीन होता है। अतः इन इलेक्ट्रॉन के आवेश के विपरीत आवेश वाले अन्य कण भी के परमाणु में उपस्थित रहने चाहिये। परमाणु में धनावेश से युक्त कणों के अस्तित्व का प्रमाण गोल्डस्टीन ने दिया। गोल्डस्टीन ने बताया कि यदि विसर्ग नली के कैथोड में बारीक छिद्र कर दिया जाये और निम्न दाब (0.01 mm) तथा अधिक विभवांतर (10,000 V) पर विद्युत धारा प्रवाहित की जाये तो कुछ विशेष प्रकार की किरणें ऐनोड से कैथोड की ओर गमन करती हैं, जिन्हें ऐनोड किरण कहते हैं। चूँकि ये किरणें धनावेश से युक्त होती हैं, अतः इन्हें धन किरणें भी कहते हैं। इन किरणों को कैनाल किरणें भी कहा जाता है, क्योंकि इन किरणों का गमन कैथोड के छेद या कैनाल होकर होता है।

ऐनोड किरणें के गुण–

(a) ऐनोड किरणें सीधी रेखा में, परंतु कैथोड किरणे विपरीत दिशा में गमन करती हैं, इसके मार्ग में अपारदर्शक वस्तु के रखने पर वस्तु की छाया बनती है।

(b) इन किरणों के मार्ग में हल्का पाद-चक्र रखने पर यह अपने धुरी पर नाचने लगता है। इससे यह सिद्ध होता है कि ये किरणे अत्यंत छोटे-छोटे द्रव्यकणों से बनी होती हैं।

(c) इन किरणों की प्रकृति विसर्ग नली में प्रयुक्त गैस की प्रकृति पर निर्भर करती है। विभिन्न गैसों के लिये आवेश (e) और द्रव्यमान (m) का अनुपात भिन्न-भिन्न होता है। विसर्ग नली में हाइड्रोजन गैस का प्रयोग करने पर इस अनुपात (e/m) का मान अधिकतम होता है। हाइड्रोजन से प्राप्त धन किरणें एक ही प्रकार के धनात्मक कणों की बनी होती हैं। इन्हीं कणों को प्रोटॉन कहते हैl

(iv) समस्थानिक– एक ही तत्व के परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान किन्तु द्रव्यमान संख्या भिन्न-भिन्न होती हैं, समस्थानिक कहलाते हैं।

‘समस्थानिक के गुण–

(a) किसी तूत्व के सभी समस्थानिकों के परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती हैं। अत: उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास भी सदृश होते हैं तथा संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या भी समान होती है। इसी कारण उनके रासायनिक गुण एक जैसे होते हैं।

(b) किसी तत्व के समस्थानिकों के भौतिक गुण भिन्न-भिन्न होते हैं। इसका कारण यह है कि तत्व के समस्थानिकों के नाभिकों में न्यूट्रॉनों की संख्यायें भिन्न-भिन्न होती हैं जिससे किसी तत्व के समस्थानिकों के परमाणु द्रव्यमान, घनत्व तथा अन्य भौतिक गुणों में भिननता आ जाती है। अत: उपर्युक्त आविष्कारों द्वारा यह साबित होता है कि डाल्टन का परमाणु नियम अपर्याप्त है।

 

प्रश्न:2 टॉमसन द्वारा इलेक्ट्रॉन का e/m निर्धारण कैसे बहुत अर्थपूर्ण साबित हुआ? यद्यपि उन्होंने द्रव्यमान तथा आवेश का निर्धारण नहीं किया था?

उत्तर:- टॉमसन ने इन कणों के आवेश (e) और द्रव्यमान (m) का अनुपात (e/m) प्रयोगों द्वारा ज्ञात किया। इन्होंने विभिन्न विसर्ग नलियों का उपयोग किया, विभिन्न धातुओं के इलेक्ट्रोडों को काम में लाया तथा विसर्ग नली में विभिन्न गैसों का प्रयोग किया। हर हालत में e/m का मान ( 1.76 x 108 ) कूलॉम/ग्राम ही पाया गया। इससे सिद्ध होता है कि ये कण सभी परमाणुओं के अनिवार्य अवयव हैं। इन्हीं कणों का नाम इलेक्ट्रॉन रखा गया। इस प्रकार टॉमसन ने इलेक्ट्रॉन का e/m का निर्धारण कर इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान को ज्ञात करने में सराहनीय कार्य किया। अत: यह आगे के प्रयोगों में अर्थपूर्ण साबित हुआ।

 

प्रश्न:3 बोर-ब्यूरी योजना का संक्षिप्त विवरण दें। इस योजना से Na(11) तथा CI(17) का विन्यास लिखें।

उत्तर:-भिन्न कक्षाओं में चक्कर लगानेवाले इलेक्ट्रॉनों का वितरण बोर-ब्यूरी योजना के अनुसार होता है।

इसके अनुसार,

(i) किसी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या को सूत्र 2n से प्राप्त किया जाता है जहाँ n कक्षा की संख्या है, अतः

प्रथम (K) कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या =2×1²=2

द्वितीय (L) कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या =2×2²=8

तृतीय (M) कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या = 2×3² = 18

चतुर्थ (N) कक्षा में इलेक्ट्रॉनों अधिकतम संख्या =2×4² = 32

(ii) सबसे बाहरी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या 8 हो सकती है।

(iii) जब बाहरी कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या पूर्ण हो जाती है तब इलेक्ट्रॉन नये कक्षा में प्रवेश करने लगता है। प्रारंभ के अट्ठारह तत्वों का परमाण्विक संरचना को इस बोर-ब्यूरी योजना द्वारा समझा जा सकता है। बाद वाले तत्वों में यह व्यवस्था पूर्ण रूप से लागू नहीं होती।

Na (11) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – 1s² 2s² 2p² 3s¹

C1 (17) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास -1s² 2s² 2p⁶ 3s² 3p⁵

 

प्रश्न:4 किसी तत्व के परमाणु संख्या से आप क्या समझते हैं ? परमाणु संख्या ही परमाणु की मौलिक विशेषता है, इसकी पुष्टि करें।

उत्तर:-परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की कुल संख्या को परमाणु संख्या कहते हैं। परमाणु संख्या को Z द्वारा सूचित किया जाता है।

परमाणु संख्या (Z) = प्रोटॉनों की संख्या = इकाई धन आवेशों की संख्या  = इलेक्ट्रॉनों की संख्या।

परमाणु संख्या प्रोटॉन की संख्या या इलेक्ट्रॉन की संख्या के बराबर होते हैं, प्रोटॉन नाभिक में पाया जाता है जबकि इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाता है जिससे पदार्थ की मौलिक अवस्था बरकरार रहती है। यही कारण है कि परमाणु संख्या ही परमाणु की मौलिक विशेषता है।

 

प्रश्न:5 रदरफोर्ड के परमाणु प्रतिरूप क्या हैं तथा इस प्रतिरूप की त्रुटियाँ क्या हैं ?

उत्तर:-

(i) परमाणु का अधिकतर भाग खाली है, क्योंकि अधिकतर अल्फा कण स्वर्ण परत से होकर पार चले जाते हैं। यदि परमाणु ठोस होते तो अल्फा कण बिना मुड़े सीधे पार न जा पाते।

(ii) कुछ अल्फा कणों का मुड़ना परमाणु में धन आवेशयुक्त भाग की उपस्थिति बताता है, क्योंकि अल्फा कण भी धन आवेशित होते हैं।

(iii) अल्फा कणों की बहुत ही कम संख्या (लगभग 100000 कणों में से 1 कण) का स्वर्ण परत से टकराकर वापस आना यह प्रदर्शित करता है कि-

(a) परमाणु का केंद्रीय भाग ठोस है तथा धन आवेशित है।

(b) परमाणु के इस केंद्रीय भाग का आकार परमाणु की तुलना में बहुत कम है। रदरफोर्ड ने इस केंद्रीय भाग को नाभिक (केंद्रक) का नाम दिया।

(iv) इलेक्ट्रॉन केंद्रक के चारों ओर स्थित कक्षाओं में उसी प्रकार घूमते रहते हैं जैसे सूर्य के चारों ओर ग्रह।

रदरफोर्ड के परमाणु प्रतिरूप की त्रुटियाँ- ई- रदरफोर्ड द्वारा प्रतिपादित मॉडल के अनुसार इलेक्ट्रॉन नाभिक या केंद्र के चारों ओर उसी प्रकार परिक्रमा करते हैं जैसे सूर्य के चारों ओर ग्रह। किन्तु इलेक्ट्रॉन की कक्षीय परिक्रमा तथा गति स्थायी नहीं हो सकती। जब कोई आवेशित कण त्वरित होता है तो उससे ऊर्जा के उत्सर्जन की अपेक्षा की जाती है। इलेक्ट्रॉन को चक्रीय कक्षा में बने रहने के लिये त्वरित होना आवश्यक है। अत: यह ऊर्जा विकिरित करेगा। ऊर्जा की हानि से कक्षा का आकार सिकुड़ कर छोटा होता जायेगा तथा कुछ ही समय में इलेक्ट्रॉन नाभिक में आ गिरेगा तथा परमाणु अस्थायी होगा।

 

प्रश्न:6 कैथोड किरण की नली का प्रायोगिक उपयोग क्या है ?

उत्तर:-कैथोड किरण की नली से होकर किरणें अति तीव्र वेग से सीधी रेखा में गमन करती हैं। इस नली के मार्ग में पारदर्शक वस्तु के रखने पर वस्तु की छाया कैथोड के दूसरी तरफ बनती है। कैथोड की नली का प्रयोग करने पर हर हाल में एक ही प्रकार के कण निकलते हैं।

 

प्रश्न:7  समस्थानिक क्या है? कोई दो उदाहरण देकर समझायें।

उत्तर:- एक ही तत्व के परमाणु जिनकी परमाणु संख्यायें समान, किंतु द्रव्यमान संख्यायें भिन्न-भिन्न होती हैं, समस्थानिक कहलाते हैं। तत्वों के समस्थानिकों की परमाणु संख्या समान होने का कारण यह है कि उनके नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या समान होती है, किन्तु न्यूट्रॉनों की संख्या भिन्न होने के कारण उनकी द्रव्यमान संख्यायें भिन्न-भिन्न होती हैं।

उदाहरण-

(i) क्लोरीन के सभी परमाणुओं के नाभिक में 17 प्रोटॉन होते हैं, अत: क्लोरीन की परमाणु संख्या 17 होती है, लेकिन क्लोरीन के कुछ परमाणुओं के नाभिक में 18 न्यूट्रॉन और कुछ परमाणुओं के नाभिक में 20 न्यूटॉन रहते हैं। अत: क्लोरीन के कुछ परमाणुओं की द्रव्यमान संख्या 17 + 18 = 35 और कुछ परमाणुओं की द्रव्यमान संख्या 17+20 = 37 होती है, इस प्रकार क्लोरीन के दो समस्थानिक होते हैं-

(ii) हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक होते हैं, जिनकी परमाणु संख्या 1, किन्तु उनकी द्रव्यमान संख्यायें 1,2 और 3 होती हैं।

 

प्रश्न:8 समस्थानिक और समभारिक में क्या अन्तर है?

उत्तर:-

                 -:  समस्थानिक (Isotopes)  :-

(i) परमाणु संख्या समान तथा परमाणु द्रव्यमान भिन्न-भिन्न होता है।

(ii) नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या समान किन्तु न्यूट्रॉनों की संख्या भिन्न होती है।

(iii) भौतिक गुण भिन्न होते हैं।

(iv) रासायनिक गुणधर्म समान होते हैं।

(v) नाभिक के बाहर इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है।

                -:  समभारिक (Isobars)  :-

(i) परमाणु द्रव्यमान समान तथा परमाणु संख्या भिन्न-भिन्न होती हैं।

(ii) नाभिक में प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों दोनों की संख्यायें भिन्न होती हैं।

(iii) केवल परमाणु द्रव्यमान समान होते हैं।

(iv) रासायनिक गुणधर्म असमान होते हैं।

(v) नाभिक के बाहर इलेक्ट्रॉनों की संख्या असमान होती है।

 

प्रश्न:9 कैथोड तथा ऐनोड किरणों के अध्ययन से इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन की खोज किस प्रकार की गयी थी?

उत्तर:- विसर्ग नली में भिन्न-भिन्न गैसों तथा भिन्न-भिन्न धातुओं के कैथोडों का प्रयोग करने पर पता चलता है कि हर हालत में एक ही प्रकार के कण निकलते हैं, अतः ऋण आवेशित ये कण प्रत्येक तत्व के प्रत्येक परमाणु के मौलिक अंग हैं। टॉमसन ने इन कणों के आवेश (e) और द्रव्यमान (m) का अनुपात (e/m) प्रयोगों द्वारा ज्ञात किया। इन्होंने विभिन्न विसर्ग नलियों का उपयोग किया। विभिन्न धातुओं के इलेक्ट्रॉडों को काम में लाया तथा विसर्ग नली में विभिन्न गैसों का प्रयोग किया। हर हालत में e/m का मान (1.76 x 108) कूलॉम/ग्राम ही पाया गया। इससे सिद्ध होता है कि ये कण सभी परमाणुओं के अनिवार्य अवयव हैं, इन्हीं कणों का नाम इलेक्ट्रॉन रखा गया। गोल्डस्टीन ने बताया कि यदि विसर्ग नली के कैथोड में बारीक छिद्र कर दिया जाये और निम्न दाब (0.01 mm) तथा अधिक विभवांतर (10,000V) पर विद्युत धारा प्रवाहित की जाये तो कुछ विशेष प्रकार की किरणें ऐनोड से कैथोड की ओर गमन करती हैं, जिन्हें ऐनोड किरण कहते हैं। चूँकि ये किरणें धन आवेश से युक्त होती हैं, अत: इन्हें धन किरणें भी कहते हैं। इन किरणों को कैनाल किरणें भी कहा जाता है, क्योंकि इन किरणों का गमन कैथोड के छेद या कैनाल होकर होता है। इन किरणों के मार्ग में हल्का पाद-चक्र रखने पर यह अपने धूरी पर नाचने लगता है। इससे यह सिद्ध होता है कि ये किरणे अत्यंत छोटे-छोटे द्रव्य कणों से बनी होती हैं। इन किरणों की प्रकृति विसर्ग नली में प्रयुक्त गैस की प्रकृति पर निर्भर करती है, विभिन्न गैसों के लिये आवेश (e) और द्रव्यमान (m) का अनुपात भिन्न-भिन्न होता है, विसर्ग नली में हाइड्रोजन गैस का प्रयोग करने पर इस अनुपात (e/m) का मान अधिकतम होता है। हाइड्रोजन से प्राप्त धन किरणें एक ही प्रकार के धनात्मक कणों की बनी होती हैं। इन्हीं कणों को प्रोटॉन कहते हैं।

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