You are currently viewing Class 9 Science Subjective Question Chapter – 6 ऊतक
Class 9 Science Subjective Question Chapter - 6 ऊतक

Class 9 Science Subjective Question Chapter – 6 ऊतक

 

                                                                       -:  अतिलघु उत्तरीय प्रश्न  :-

 

प्रश्न:1 एक पादप ऊतक का नाम बताएँ।

उत्तर:-  जाइलम

 

प्रश्न:2 जड़ के शीर्ष पर कौन ऊतक पाया जाता है?

उत्तर:-  शीर्षस्थ विभाज्योतक ऊतक जड़ के शीर्ष पर पाया जाता है।

 

प्रश्न:3 सरल ऊतक के दो उदाहरण दें।

उत्तर:-  मृदूतक तथा स्थूलकोण दो सरल ऊतकों के उदाहरण हैं।

 

प्रश्न:4 किस ऊतक की कोशिकायें, विभाजित होती रहती हैं

उत्तर:-  विभाज्योतकी ऊतक की कोशिकाओं सदा विभाजित होती रहती हैं।

 

प्रश्न:5 विभाज्योत्की ऊतक को किस आधार पर विभाजित किया जाता हैं।

उत्तर:-  विभाज्योतक ऊतक को तीन आधार पर विभाजित किया जा सकता है

(i) शीर्षस्थ (Apical)

(ii) पार्श्वस्थ (Lateral)

(iii) अन्तर्वेशी (Intercalary)

 

प्रश्न:6  किस स्रल ऊतक में अन्तरकोशिकीय स्थान होता है?

उत्तर:-  मृदूतक सरल ऊतक में अन्तरकोशिकीय स्थान होता है।

 

प्रश्न:7 दो ऊतकों के नाम बतायें जो पौधे को बांविधा कहा यान्त्रिक सहायता प्रदान करते हैं।?

उत्तर:-  स्थूलकोण तथा दृढ़ ऊतक वे ऊतक हैं जो पौधों को यान्त्रिक सहायता प्रदान करते हैं।

 

प्रश्न:8 वैसे मूदूतक को क्या कहते हैं जिसमें क्लोरोफिल पाया जाता है ?

उत्तर:-  ह रित ऊतक क्लोरिनकाइमा में क्लोरोफिल पाया जाता है।

 

प्रश्न:9 किस ऊतक की कोशिकाओं में भित्ति अनियमित ढूंग से. कोनों पर मोटी होती है

उत्तर:-  स्थूलकोण ऊतक की कोशिकाओं में भित्ति अनियमित ढंग से कोनों पर मोटी होती है।

प्रश्न:10 नारियल का रेशा किस ऊतक का बना होता है ?

उत्तर:-  स्थूलकोण ऊतक का।

 

प्रश्न:11 मृदूतक कोशिकाओं की दो विशेषतायें लिखें।

उत्तर:-  मृदूतक कोशिकाओं की दो विशेषतायें इस प्रकार हैं-

(i) पौधों को सहारा देता है,

(ii) यह खाद्य का संचय करता है।

 

प्रश्न:12 दो स्थायी पादप कृतकों के नाम लिखें।

उत्तर:-  दो स्थायी पादप हैं—सरल स्थायी ऊतक और जटिल स्थायी ऊतक।

 

प्रश्न:13 जाइलम का निर्माण किन तत्वों से होता है?

उत्तर:-  जाइलम निम्न चार तत्वों से बना है-

(i) वाहिनिकायें या ट्रैकीड्स (Traceids),

(ii) वाहिकाएँ ( Vessels ),

(iii) जाइलम तंतु ( Xylem fibres )

(iv) जाइलम मृदूतक (Xylem parenchyma)

 

प्रश्न:14 जाइलम का मुख्य कार्य क्या है?

उत्तर:-  जाइलम के मुख्य कार्य इस प्रकार हैं-

(i) ये पौधों को यांत्रिक सहायता देती है जल को तने द्वारा जड़ से पत्ती तक पहुँचाती है।

(ii) ये मुख्यतः पौधों को यांत्रिक सहायता (Mechanical support) प्रदान करते हैं।

(iii) यह भोजन संग्रह करता है एवं किनारे की ओर पानी के पावीय संवहन में मदद करता है।

 

प्रश्न:15 फ्लोएम किन तत्वों से बनता है?

उत्तर:-  फ्लोएम निम्नलिखित चार तत्वों से बनता है—

(i) चालनी नलिकायें (Sieve tubes),

(ii) सहकोशिकायें (Companion cells),

(iii) फ्लोएम या बास्ट तंतु (Phloem or bast fibres) तथा

(iv) फ्लोएम मृदूतक (Phloem parenchyma) ।

 

प्रश्न:16 किस् ऊतक द्वारा पौधों में खाद्य पदार्थों का संवहन होता है?

उत्तर:-  फ्लोएम ऊतक द्वारा पौधों में खाद्य पदार्थों का संवहन होता है।

 

प्रश्न:17 किन्हीं दो प्रकार के एपिथीलियमी ऊतक का नाम लिखें।

उत्तर:-  दो प्रकार के एपिथीलियमी ऊतक का नाम इस प्रकार है—

(i) शल्की या शल्काय एपिथीलियम (Squamous epithelium)

(ii) स्तंभाकार एपिथीलियम (Columnar epithelium)।

 

प्रश्न:18 त्वचा की सतह पर किस प्रकार की एपिथीलियम ऊतक पायी जाती है ?

उत्तर:-  शल्काय एपिथीलियम नामक उत्तक त्वचा की सतह पर पायी जाती है।

 

प्रश्न:19 पक्ष्माभी एपिथीलियम की सिलिया में होनेवाली गति क्या कहलाती है ?

उत्तर:-  पक्ष्माभी एपिथीलियम की सिलिया में होनेवाली गति सिलिया सिलियरी गति कहलाती है।

 

प्रश्न:20 संयोजी ऊतक के दो उदाहरण दें।

उत्तर:-  दो संयोजी ऊतक ये हैं—

(i) एरियोलर ऊतक

(ii) एडिपोज ऊतक।

 

प्रश्न:21 संयोजी ऊतक कितने प्रकार की होती है? नाम लिखें।

उत्तर:-  संयोजी ऊतक तीन प्रकार की होती हैं-

(i) वास्तविक संयोजी ऊतक ( Connective tissue proper ),

(ii) कंकाल ऊतक ( Sketetal tissue )

(iii) तरल ऊतक या संवहन ऊतक ( Fluid tissue or vascular tissue )|

 

प्रश्न:22 एरियोलर ऊतक में पाये जानेवाली दो प्रकार की कोशिकाओं का नाम लिखें।

उत्तर:-  एरियोलर ऊतक में पाये जानेवाली दो प्रकार की कोशिकाओं के नाम ये हैं-

(i) फाइब्रोब्लास्ट

(ii) हिस्टोसाइट्स।

 

प्रश्न:23 एडिपोज ऊतक में पाये जानेवाला संचित भोज्य पदार्थ क्या है ?

उत्तर:-  वसा एडिपोज ऊतक में पाये जानेवाला संचित भोज्य पदार्थ है।

 

प्रश्न:24 अस्थियों को मांसपेशियों से जोड़नेवाला ऊतक क्या कहलाता है?

उत्तर:-  अस्थियों को मांसपेशियों से जोड़ने वाला ऊतक टेन्डन कहलाता है।

 

प्रश्न:25 अस्थि को अस्थि से जोड़नेवाला ऊतक क्या कहलाता है ?

उत्तर:-  मलिगामेंट अस्थि को अस्थि से जोड़ने वाला ऊतक कहलाता है।

 

प्रश्न:26 दो मुख्य प्रकार के कंकाल ऊतक का नाम लिखें।

उत्तर:-  दो मुख्य प्रकार के कंकाल ऊतक ये हैं-

(i) उपास्थि ऊतक

(ii) अस्थि।

 

प्रश्न:27 उपास्थि के मैट्रिक्स में पाये जानेवाली कोशिकायें क्या कहलाती हैं ?

उत्तर:-  म्काँड्रियोब्लास्ट उपास्थि के मैट्रिक्स में पाये जानेवाली कोशिकायें हैंl

 

प्रश्न:28 दो प्रकार के तरल संयोजी ऊतक का नाम बतायें।

उत्तर:-  दो प्रकार के तरल संयोजी ऊतक रुधिर और प्लाज्मा हैं।

 

प्रश्न:29 रक्त के प्लाज्मा में पाये जानेवाली तीन प्रकार की रुधिर कणिकायें कौन-कौन-सी हैं?

उत्तर:-  रक्त के प्लाज्मा पाये जाने वाली तीन प्रकार की रुधिर कणिकायें इस प्रकार हैं-

(i) लाल रुधिर कणिकायें (Red blood cells or RBC or erythrocytes)

(ii) श्वेत रुधिर कणिकायें (White blood cells or WBC or lecocytes)

(iii) प्लेटलेट्स (Platelets)

 

प्रश्न:30  शारीरिक अंगों में गति किस प्रकार के ऊतक के कारण होता है

उत्तर:-  पेशी ऊतक के कारण शारीरिक अंगों में गति होती है।

 

प्रश्न:31 जन्तुओं का मस्तिष्क किस प्रकार के ऊतक का बना होता है ?

उत्तर:-  तंत्रिका ऊतक से जन्तुओं का मस्तिष्क बना होता है।

 

प्रश्न:32 तंत्रिका ऊतक की इकाई क्या कहलाता है ?

उत्तर:-  न्यूरॉन या तंत्रिका कोशिका तंत्रिका ऊतक की इकाई कहलाती है।

 

प्रश्न:33 बहुकोशिकीय जीवों में कार्यों के दक्षतापूर्वक संचालन के लिए क्या व्यवस्था रहती है?

उत्तर:-  बहुकोशिकीय जीवों में कार्यों के दक्षतापूर्वक संचालन के लिए कोशिकाओं के भिन्न-भिन्न समूह होते हैं। कोशिकाओं के इस समूह को उत्तक कहते हैं।

 

प्रश्न:34 समान उत्पत्ति तथा समान कार्यों को संपादित करने वाली कोशिकाओं के समूह को क्या कहते है?

उत्तर:-  उत्तका

 

प्रश्न:35 तने की चौड़ाई में वृद्धि किन उत्तकों के निर्माण से होती है?

उत्तर:-  पार्श्वस्थ विभज्योत्तकी उत्तक के निर्माण सेl

 

प्रश्न:36 पत्तियों के आधार पर या टहनी के पर्व के दोनों ओर पाए जानेवाले उत्तक को क्या कहते हैं?

उत्तर:-  अंतर्वेशी या अंतर्विष्ट उत्तक।

 

प्रश्न:37 स्थायी उत्तक का निर्माण किस उत्तक की वृद्धि के फलस्वरूप होता है?

उत्तर:-  अंतर्वेशी या अंतविष्ट उत्तक के वृद्धि से होता है।

 

प्रश्न:38 सरल स्थायी उत्तक किस प्रकार की कोशिकाओं का बना होता है?

उत्तर:-  समरूप कोशिकाओं का बना होता है।

 

प्रश्न:39 जलीय पौधों में मुख्यतः किस प्रकार का उत्तक पाया जाता है।

उत्तर:-  वायुत्तक या ऐरेनेकाइमा।.

प्रश्न:40  किस उत्तक की कोशिकाएँ मृत, लंबी, संकरी तथा दोनों सिरों पर नुकीली होती है?

उत्तर:-  दृढ़ उत्तक या स्कलेरेनकाईमा।

 

प्रश्न:41 शुष्क स्थानों पर पाए जानेवाले पौधों में एपिडर्मिस की कोशिकाओं के उपर किसकी एक परत रहती है।

उत्तर:-  क्यूटिकल की।

 

प्रश्न:42 क्या कॉर्क कोशिकाओं में जीवद्रव्य पाया जाता है?

उत्तर:-  नहीं।

 

प्रश्न:43 दो या दो से अधिक प्रकार की कोशिकाओं से बने उत्तक क्या कहलाते हैं।

उत्तर:-  जटिल स्थायी उत्तक।

 

प्रश्न:44 जाइलम एवं फ्लोएम मिलकर किसका निर्माण करते हैं?

उत्तर:-  संवहन बंडल का।

 

प्रश्न:45 सहकोशिकाएँ चालनी नलिका के किस भाग में अवस्थित रहती है।

उत्तर:-  पार्श्वभाग

 

प्रश्न:46 किस जंतु उत्तक की कोशिकाएँ फर्श या दीवार पर लगी चपटी ईंटों की तरह दिखती है?

उत्तर:-  शल्की या शल्काभ एपिथिलियम।

 

प्रश्न:47 किस उत्तक के मुक्त सिरे पर सूक्ष्म रसांकुर विद्धमान होते है।

उत्तर:-  स्तंभाकार एपिभिलियम

 

प्रश्न:48 छोटी आँत के भीतरी स्तर का निर्माण किस उत्तक से होता है?

उत्तर:-  स्तंभाकार एपिथिलियम।

 

प्रश्न:49 घनाकार कोशिकाओं वाले उत्तक को क्या कहते हैं?

उत्तर:-  क्यूबॉइडल एपिथिलियम।

 

प्रश्न:50 अंडवाहिनी में अंडाणु को एक ही दिशा में जाने देने के लिए किस उत्तक की कोशिकाएं मदद करती है?

उत्तर:-  पक्ष्माभी या पक्ष्मल एपीथिलियम।

 

प्रश्न:51 एंटीबॉडी का निर्माण किन कोशिकाओं द्वारा होता है?

उत्तर:-  प्लाज्मा कोशिकाओं द्वारा।

 

प्रश्न:52 किस उत्तक में तारे जैसी कोशिकाएँ पायी जाती है?

उत्तर:-  जालवत संयोजी उत्तक।

 

प्रश्न:53 बाह्यकर्ण में किस प्रकार का उत्तक पाया जाता है?

उत्तर:-  कंकाल उत्तक।

 

प्रश्न:54 हैवर्सियन नलिकाएँ कहाँ पायी जाती है?

उत्तर:-  मैमोलियम आस्थ की अनुप्रस्थ काट में।

 

प्रश्न:55 आयतन के हिसाब से प्लाज्मा रूधिर का कितना प्रतिशत भाग है?

उत्तर:-  55 प्रतिशत।

 

प्रश्न:56 किस प्रकार की रूधिर कोशिकाओं में केन्द्रक नहीं पाया जाता है।

उत्तर:-  लाल रूधिर कोशिकाएँ।

 

प्रश्न:57 लाल रूधिर कनिकाओं में पाये जानेवाले प्रोटीन रंजक को क्या कहते हैं?

उत्तर:-  हीमोग्लोबीन।

 

प्रश्न:58 एक न्यूरॉन के एक्सॉन के अंतिम छोर की शाखाएँ दूसरे न्यूरॉन के डेंड्राइट्स से जुड़कर क्या बनाती है?

उत्तर:-  सिनैप्स बनाती है।

  

 

                                                                   -:  लघु उत्तरीय प्रश्न  :-

 

प्रश्न:1  ऊतक क्या है?

उत्तर:-  कुछ ऊतकों में विभिन्न आकार एवं बनावट की कोशिकायें होती हैं, लेकिन इन सभी की उत्पत्ति (origin) तथा कार्य समान होते हैं। अतः समान उत्पत्ति तथा समान कार्यों को संपादित करनेवाली कोशिकाओं के समूह को ऊतक कहते हैं।

 

प्रश्न:2 बहुकोशिकीय जीवों में ऊतकों की क्या उपयोगिता है ?

उत्तर:-  बहुकोशिकीय जीवों में अनगिनत कोशिकाओं का समूह रहता है जिसमें अलग-अलग कार्यों के निष्पादन हेतु अलग-अलग कोशिकायें रहती हैं। चूँकि विभिन्न कार्यों के लिए खास प्रकार की कोशिकायें होती हैं। इसलिये कार्यों का संपादन अच्छे एवं सही तरीके से होता है, जैसे -मनुष्य में गति प्रदान करने के लिये मांसपेशियों की कोशिकाओं में संकुचन तथा शिथिलीकरण होना, रक्त कोशिकाओं के द्वारा ऑक्सीजन, खाद्य पदार्थों, हार्मोन्स तथा अपशिष्ट पदार्थों का संवहन, तंत्रिका कोशिकाओं द्वारा संदेशों का वाहन आदि। इसी प्रकार पौधों में भी विभिन्न कार्यों के लिये अलग एवं विशिष्ट प्रकार की कोशिकायें रहती हैं, जैसे संवहन बण्डल (Vascular bundle) की कोशिकायें जल एवं खाद्य पदार्थों को एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक ले जाने का कार्य करती हैं। अत: बहुकोशिकीय जीवों में कार्यों के दक्षतापूर्वक संचालन के लिये श्रम विभाजन होता है।

 

प्रश्न:3 विभज्योतकी ऊतक एवं स्थायी ऊतक में क्या अन्तर है?

उत्तर:- 

                 -:  विभज्योतकी ऊतक  :-

1. रसधानी अनुपस्थित होती है।

2. इसमें उपापचय की उच्च दर होती है।

3. इसमें कोशिकाभित्तियाँ पतली होती हैं।

4. इसकी कोशिकायें बारम्बार विभाजित होती हैं।

5. यह एक सरल ऊतक है।

 
                     -:  स्थायी ऊतक  :-

1. परिपक्व कोशिकाओं में बड़ी रसधानी उपस्थित होती है।

2. इसमें उपापचय की निम्न दर होती है।

3. इसमें कोशिका भित्तियाँ पतली अथवा मोटी होती हैं।

4. इसकी कोशिकाओं की व्युत्पत्ति विभज्योतक से होती है और सामान्यतः वे विभाजित नहीं होती हैं।

5. यह एक सरल या जटिल ऊतक हो सकता है।

 

प्रश्न:4 मृदूतक कहाँ पाया जाता है?

उत्तर:-  मृदूतक नये तने, मूल एवं पत्तियों के एपिडर्मिस (epidermis) और कॉर्टेक्स में पाया जाता है।

 

प्रश्न:5 स्थूलकोण ऊतक के दो कार्यों को लिखें।

उत्तर:-  स्थूलकोण ऊतक के दो कार्य इस प्रकार हैं-

(i) यह पौधों को यांत्रिक सहायता (Mechanical Support) प्रदान करता है।

(ii) जब इनमें हरितलवक या क्लोरोप्लास्ट पाया जाता है तब यह भोजन का निर्माण करता है।

 

प्रश्न:6 सरल स्थायी ऊतक कितने प्रकार के होते हैं ?

उत्तर:-  पौधे में निम्नलिखित तीन प्रकार के ऊतक पाये जाते हैं। सजीव, पतली दीवार की तथा अंडाकार, बहुभुजी या दीर्घ होती हैं। इनमें जगह हो भी सकती है

(i) मृदु ऊत्तक :-मृदु ऊत्तक पौधे में व्यापक रूप से वितरित होते हैं। इसकी कोशिकाएँ और नहीं भी। मृदु ऊतक की प्रत्येक कोशिका में बहुत सारे केन्द्रीय रिक्तीकरण होते हैं। ऊतक में पर्णहरित होता है जिसे मृदु ऊतक कहते हैं। इसका मुख्य कार्य भोजन बनाना तथा संग्रह करना है।

(ii) स्थूल ऊतक :– यह एक सजीव ऊतक है जो पौधे के कठोर भाग में पाया जाता है। इसकी कोशिकाएँ पतली दीवार की परन्तु कोनों पर मोटी होती हैं जहाँ पर कई संख्या में कोशिकाएँ जुड़ती हैं। यहाँ सेलुलोज और पेक्टिन के जमाव के कारण कोने मोटे होते हैं।

(iii) दृढ़ ऊतक :–दृढ़ ऊतक मृत कोशिकाओं से मिलकर बनता है जिसमें जीवद्रव्य नहीं होता है। दृढ़ ऊतक की लंबाई 1 मिमी से होकर 550 मिमी तक निर्भर करती है। यह पौधे को यांत्रिक शक्ति प्रदान करता है। इन कोशिकाओं की आकृति गोलाकार, अंडाकार, बेलनाकार या डम्बल की तरह होती है। यह लम्बी पत्तियों को स्थिरता प्रदान करता है।

 

प्रश्न:7 दृढ़ ऊतक की कोशिकायें क्यों मृत कहलाती हैं ?

उत्तर:-  क्योंकि दृढ़ ऊतक में जीव द्रव्य नहीं होता है एवं इनकी भित्ति लिग्नित के जमाव के कारण मोटी होती है। लिग्निन एक रासायनिक पदार्थ हैं जो कोशिकाओं को सीमेंट की तरह दृढ़ता प्रदान करता है। ये भित्तियाँ इतनी मोटी हो जाती हैं कि कोशिका के भीतर कोई आन्तरिक स्थान नहीं रहता है। इसी कारण दृढ़ ऊतक की कोशिकायें मृत कहलाती हैं।

 

प्रश्न:8 पौधों में दृढ़ ऊतक का क्या महत्व है ?

उत्तर:-  पौधों में दृढ़ ऊतक का महत्व यह पौधों को यांत्रिक शक्ति प्रदान करता है एवं आन्तरिक भागों की रक्षा करता है। पौधे के बाहरी परतों में यह रक्षात्मक ऊतक के रूप में कार्य करता है। यह पौधे को सामर्थ्य, दृढ़ता एवं लचीलापन (flexibility) प्रदान करता है। अतः पौधों में दृढ़ ऊतक का अत्यधिक महत्व है।

 

प्रश्न:9 कॉर्क कोशिका का निर्माण कब होता है?

उत्तर:-  स्समय के साथ-साथ जड़ तथा तना जैसे-जैसे पुराने होते जाते हैं, इनके बहारी ऊतक विजित होकर कॉर्क कोशिका या छाल का निर्माण करते हैंl

 

प्रश्न:10 जाइलम एवं फूलोएम को जटिल ऊतक क्यों कहा जाता है?

उत्तर:-  जाइलम एवं फ्लोएम दो या दो से अधिक प्रकार की कोशिकाओं से बना होता है। इसीलिये इसे जटिल ऊतक कहा जाता है।

 

प्रश्न:11 जाइलम के प्रत्येक अवयव का एक-एक कार्य लिखें।

उत्तर:-  जाइलम के चार अवयवों के एक-एक कार्य इस प्रकार हैं-

(i) वाहिनिकाओं के कार्य– ये पौधों को यांत्रिक सहायता देती है एवं जल को तने द्वारा जड़ से पत्ती तक पहुंचाती है।

(ii) वाहिनिकाओं के कार्य– ये भी जड़ से जल एवं खनिज लवण को पत्ती तक पहुँचाती है।

(iii) जाइलम मृदूतक के कार्य– यह भोजन संग्रह करता है एवं किनारे की ओर पानी के पावीय संवहन में मदद करता है।

(iv) जाइलम तंतु के कार्य – ये मुख्यतः पौधों को यांत्रिक सहायता प्रदान करते हैं।

 

प्रश्न:12 फ्लोएम के प्रत्येक तत्व का एक-एक कार्य लिखें।

उत्तर:-  फ्लोएम के चार तत्व के एक-एक कार्य ये हैं-

(i) चालनी नलिकाओं के कार्य– इस नलिका द्वारा तैयार भोजन पत्तियों से संचय अंग और संचय अंग से पौधे के वृद्धि-क्षेत्र में जाता है, जहाँ इसकी जरूरत होती है।

(ii) सहकोशिकाओं के कार्य– यह चालनी नलिकाओं में भोज्य पदार्थ के संवहन में मदद करता है।

(iii) फ्लोएम तन्तु के कार्य –ये फ्लोएम ऊतक को यांत्रिक सहायता प्रदान करता है।

(iv) फ्लोएम मृदूतक के कार्य—इसमें भोजन संचित रहता है। ये भोज्य पदार्थ के संवहन में सहायक होती है।

 

प्रश्न:13 एपिथीलियमी ऊतक के तीन कार्यों का उल्लेख करें।

उत्तर:-  एपिथीलियमी ऊतक के तीन कार्य इस प्रकार हैं-

(i) इनका कार्य आन्तरिक अंगों को सुरक्षा देना तथा रक्तवाहिनियों एवं वायुकोषों में पदार्थों के विसरण में सहायता देना है।

(ii) अवशोषण एवं स्रवण के अतिरिक्त ये अंगों को यांत्रिक अवलंब (mechanical support) अर्थात् सहारा भी प्रदान करते हैं।

(iii) अंडवाहिनी में ऐसी कोशिकाओं की सिलिया अपने गति के द्वारा अण्डाणु (ova) को एक ही दिशा में जाने में मदद करती है।

 

प्रश्न:14 संयोजी ऊतक क्या है ? इसके दो उदाहरण दें।

उत्तर:-  संयोजी ऊतक विभिन्न अंगों और ऊतकों को संबद्ध करता है तथा उन्हें कुछ अवलंब भी देता है। इस ऊतक में कोशिकाओं की संख्या कम होती है तथा अन्तरकोशिकीय पदार्थ अधिक होता है अन्तरकोशिकीय पदार्थ को मैट्रिक्स कहते हैं। जैसे—ठोस, तंतुवत।

 

प्रश्न:15 एरियोलर ऊतक के कार्यों का उल्लेख करें।

उत्तर:-  एरियोलर ऊतक के निम्न कार्य हैं-

(i) यह अंगों के बीच में स्थान को भरता है।

(ii) यह आन्तरिक अंगों को सहारा देता है।

(iii) यह ऊतकों की मरम्मत में सहायक है।

 

प्रश्न:16 टेंडन और लिगामेंट में क्या अन्तर

उत्तर:-  टेंडन मांसपेशियों को अस्थियों अथवा दूसरी मांसपेशियों से जोड़ता है जबकि लिगामेंट हड्डियों से हड्डियों को जोड़ने का कार्य करता है।

 

प्रश्न:17 वसामय या एडिपोज ऊतक के चार कार्यों का उल्लेख करें।

उत्तर:-  वसामय या एडिपोज ऊतक के चार कार्य इस प्रकार हैं-

(i) यह ऊतक संचित भोज्य पदार्थ का कार्य करता है, जिसका उपयोग आवश्यकता के समय होता है।

(ii) यह बाहरी चोटों से अंगों की रक्षा करता है।

(iii) यह ऊतक तापरोधक होने के कारण ठण्ड से शरीर की सुरक्षा करता है। इसलिये ठप- प्रदेशों के जंतुओं के शरीर में यह ऊतक अधिक मात्रा में पाया जाता है।

(iv) इस ऊतक के अधिक मात्रा में संचय से शरीर मोटा हो जाता है।

 

प्रश्न:18 रक्त को तरल संयोजी ऊतक क्यों कहा जाता है?

उत्तर:-  रक्त को तरल संयोजी ऊतक इसलिये कहा जाता है, क्योंकि इनका अन्तरकोशिकीय (intercellular) पदार्थ तरल होता है, जिसमें कोशिकायें बिखरी रहती हैं। इसलिये रक्त को तरल संयोजी ऊतक कहते हैंl

 

प्रश्न:19  लसीका क्या है

उत्तर:-  लसीका को भी तरल संयोजी ऊतक कहते हैं। यह एक वर्णहीन द्रव है जिसमें लाल रुधिर कणिकायें एवं प्लेटलेट्स नहीं होते हैं। इसमें रक्त से कम मात्रा में कैल्सियम एवं फॉस्फोरस प्रायः पाया जाता है। साधारणतः इसमें श्वेत कणिकायें ( लिम्फोसाइट्स ) तैरते रहते हैं। रुधिर की अपेक्षा लसीका में कम मात्रा में पोषक पदार्थ एवं ऑक्सीजन होते हैं, जबकि कार्बन डाइऑक्साइड एवं अपशिष्ट पदार्थ अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में पाये जाते हैं।

 

प्रश्न:1 ऐच्छिक और अनैच्छिक पेशियाँ क्या हैं ?

उत्तर:- 

                 -:  ऐच्छिक पेशी  :-

(i) इनके कोशिकाओं में केवल एक केंद्रक होता है।

(ii) इनकी कोशिकायें तर्कु रूप होती हैं।

(iii) इनमें पट्टियाँ नहीं होती हैं।

(iv) यह स्वतः फैलती एवं सिकुड़ती है।

 
                 -:  अनैच्छिक पेशी  :-

(i) इनके कोशिकाओं में एक से अधिक केंद्रक पाये जाते हैं।

(ii) इनकी कोशिकायें बेलनाकार होती हैं।

(iii) इनमें गहरी एवं हल्की पट्टियाँ होती हैं।

(iv) यह इच्छा से फैलती और सिकुड़ती है।

 

प्रश्न:2 रेखित पेशी को ऐच्छिक क्यों कहते हैं ?

उत्तर:-  रेखित पेशी को ऐच्छिक इसलिये कहते हैं, क्योंकि ये पेशियाँ जन्तु के कंकाल से जुटी रहती हैं और इनमें ऐच्छिक गति होती है, इसलिए रेखित पेशी को कंकाल पेशी या ऐच्छिक पेशी (Voluntary muscles) भी कहते हैं।

 

प्रश्न:3 तंत्रिका ऊतक के मुख्य कार्यों का उल्लेख करें।

उत्तर:-  तंत्रिका ऊतक (Nervous tissue) संवेदना (Stimulus) को शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में भेजने का कार्य करती है।

 

प्रश्न:4 तंत्रिका क्या है?

उत्तर:-  जन्तुओं के शरीर के मस्तिष्क, मेरुरज्जु तथा तंत्रिकायें तंत्रिका ऊतक के बने होते हैं। तंत्रिका ऊतक, संवेदना को शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में भेजने का कार्य करता है। तंत्रिका ऊतक की इकाई न्यूरॉन या तंत्रिका कोशिका है।

 

प्रश्न:5 ऐक्सॉन और डेंडाइट्स के कार्य क्या हैं ?

उत्तर:-  ऐक्सॉन आवेग को साइटन से आगे की ओर ले जाता है, जबकि डेंट्राइट्स आवेग को साइटन में लाता है।

   

 

                                                                          -:  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न  :-

 

प्रश्न:1 पौधों में सरल ऊतक जटिल से किस प्रकार भिन्न है, उदाहरण सहित लिखें।

उत्तर:-  पौधों में पाये जानेवाले सरल ऊतक और जटिल ऊतक में निम्नलिखित अन्तर है-

                      -:  सरल ऊतक  :-

1. एक ही प्रकार की कोशिकाओं के बने होते हैं।

2. इनके उदाहरण हैं—मृदुतक, श्लेषोतक एवं दृढ़ोतक ऊतक

                      -:  जटिल ऊतक  :-

1. ये एक से अधिक प्रकार की कोशिकाओं के बने होते हैं।

2. इनके उदाहरण हैं-दारु तथा फ्लोएम।

 

प्रश्न:2  स्थिति के आधार पर विभज्योतकी, ऊतक के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।

उत्तर:-  स्थिति के आधार पर विभज्योतक निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं-

(i) शीर्षस्थ विभज्योतक – यह तने, जड़ व शाखा के अग्र भाग पर उपस्थित होते हैं।

(ii) अंतर्देशी विभज्योतक – ये पत्तियों के आधार एकबीजपत्री पत्तियों में जैसे घास, गाँठों के ऊपर (घास के पर्वो के आधार के नीचे) और गाँठों के नीचे (पा के ऊपर वाले भाग के ऊपर) पाये जाते हैं।

(iii) पाश्वीय विभज्योतक- यह संवहन बंडलों में पाया जाता है तथा कैबियम के नाम से जाना जाता है। ऐसे विभज्योतक जो अधिकतर द्विबीजपत्री पौधों में पाये जाते हैं, को कॉर्क कैबियम कहते हैं। ये पौधों की मोटाई बढ़ाने में सहायता करते हैं।

 

प्रश्न:3 मृदूतक की संरचना एवं कार्यों का वर्णन करें।

उत्तर:-  मृदूतक कोशिकायें जीवित, गोलाकार, अण्डाकार, बहुभुजी या अनियमित आकार की होती हैं। कोशिका में सघन कोशाद्रव्य एवं एक केंद्रक पाया जाता है। इनकी कोशिकाभित्ति पतली एवं सेल्यूलोज की बनी होती है। इस प्रकार की कोशिकाओं के बीच रिक्त या अन्तरकोशिकीय स्थान रहता है। कोशिकाओं के बीच एक बड़ी रसधानी (Vacuole) रहती है। यह नये तने, मूल एवं पत्तियों के एपिडर्मिस (epidermis) और कॉर्टेक्स में पाया जाता है।

मृदूतक के कार्य- मृदूतक के निम्नलिखित कार्य हैं जो इस प्रकार हैं-

(i) एपिडर्मिस के रूप में यह पौधों का संरक्षण करता है।

(ii) पौधे के हरे भागों में खासकर पत्तियों में यह भोजन का निर्माण करता है।

(iii) यह ऊतक संचित क्षेत्र (Storage region) में भोजन का संचय करता है। उत्सर्जित पदार्थों, जैसे—गोंद, रेजिन, टैनिन आदि को भी संचित करता है।

(iv) यह ऊतक भोजन के पार्श्व चालन (Lateral Conduction) में सहायक होता है।

(v) इनमें पाये जानेवाले अन्तरकोशिकीय स्थान गैसीय विनिमय में सहायक होते हैं।

 

प्रश्न:4 पत्तियों के एपिडर्मिस पर पाये जानेवाले रंध्र की संरचना तथा कार्य का विवरण दें।

उत्तर:-  पौधों की पत्ती की बाह्य त्वचा में अनेक छिद्र होते हैं, इन्हें रंध्र या स्टोमैटा कहते हैं। स्टोमैटा वृक्क के आकार वाली दो (दोनों तरफ से एक-एक) रक्षी कोशिकाओं (guard cells) से घिरी रहती हैं। इन छिद्रों द्वारा वायुमंडल से गैसों (O2 एवं CO2 ) तथा जलवाष्प का आदान-प्रदान होता है। इन्हीं छिद्रों द्वारा वाष्पोत्सर्जन की क्रिया सम्पन्न होती है।

रंध के मुख्य कार्य ये हैं-

(i) वाष्पोत्सर्जन (Transpiration)– वाष्पोत्सर्जन के दौरान जल वाष्प भी रंध्रों द्वारा ही बाहर निकलती है।

(ii) गैसों का आदान-प्रदान (Exchange of Gases)–प्रकाश संश्लेषण एवं श्वसन के दौरान वातावरण से गैसों का विनिमय रंध्रों द्वारा ही होता है।

 

प्रश्न:5 कॉर्क कोशिका की रचना एवं कार्यों को स्पष्ट करें।

उत्तर:-  समय के साथ-साथ जड़ तथा तना जैसे-जैसे पुराने होते जाते हैं, इनके बाहरी ऊतक विभाजित होकर कॉर्क कोशिका या छाल का निर्माण करते हैं। इनकी कोशिकाएँ मृत होती हैं एवं इनके बीचोबीच स्थान में अन्तरकोशिकीय स्थान नहीं होता है। ये कोशिकायें त्रिज्यक रूप में व्यवस्थित रहती हैं। इन कोशिकाओं की दीवार मोटी होती है, इसका कारण इसपर सुबेरिन (Suberin) नामक कार्बनिक पदार्थ का जमा होना है। इसलिए इनकी भित्ति से जल एवं गैस नहीं जा सकती है, इन कोशिकाओं में जीवद्रव्य नहीं होता है।

कॉर्क के कार्य-

(i) यह सुरक्षात्मक कवच का काम करती है।

(ii) इसे बोतल का कॉर्क एवं खेल के सामान बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।

(iii) यह विद्युतरोधी (electric insulator) एवं ऊष्मारोधी (heat insulator) का कार्य भी करती है।

 

प्रश्न:6 जाइलम ऊतक की रचना एवं कार्यों का वर्णन करें।

उत्तर:-  जाइलम ऊतक की रचना चार विभिन्न प्रकार के तत्वों से होती है-

(i) वाहिनिकायें- इनकी कोशिका लंबी, जीवद्रव्यहीन, दोनों सिरों पर नुकीली तथा मूत होती है। कोशिकाभित्ति मोटी एवं स्थूलित होती है। वाहिनिकायें संवहनी पौधे की प्राथमिक तथा द्वितीयक जाइलम दोनों में ही पायी जाती है।

(ii) वाहिकायें- इनकी कोशिकायें मृत एवं लंबी नली के समान होती हैंकभी-कभी स्थूलित भित्तियाँ विभिन्न तरह से मोटी होकर वलयाकार, सर्पिलाकार, सीढ़ीनुमा, गति, जालिकारूपी वाहिकायें बनाती हैं। ये वाहिकायें एंजियोस्पर्म पौधों के प्राथमिक एवं द्वितीयक जाइलम में पायी जाती हैं।

(iii) जाइलम तन्तु- ये लंबे, शंकुरूपी तथा स्थूलित भित्तिवाले मृत कोशिका हैं और प्रायः काष्ठीय द्विबीजपत्री पौधों में पाये जाते हैं।

(iv) जाइलम मृदूतक- इसकी कोशिकायें प्राय: पैरेनकाइमेट्स एवं जीवित होती हैं।

जाइलम ऊतक के कार्य-

(i) ये पौधों को यांत्रिक सहायता प्रदान करती है।

(ii) ये जड़ से जल एवं खनिज लवण को पत्ती तक पहुँचाती है।

(iii) यह भोजन संग्रह का कार्य करता है।

 

प्रश्न:7 फ्लोएम ऊतक क्या है ? यह कहाँ पाया जाता है ? इसके कार्यों का वर्णन करें।

उत्तर:-  फ्लोएम एक जटिल एवं जीवित ऊतक है। जाइलम की तरह फ्लोएम भी पौधे की जड़, तना एवं पत्तियों में पाया जाता है।

फ्लोएम के कार्य-

(i) यह पत्ती से पौधों के विभिन्न भागों में खाद्य पदार्थ का संवहन करता है।

(ii) यह पौधों को यांत्रिक सहायता प्रदान करता है।

(iii) यह नलिका द्वारा तैयार भोजन पत्तियों से संचय अंग और संचय अंग से पौधों के वृद्धि क्षेत्र में जाता है, जहाँ इसकी आवश्यकता पड़ती है।

 

प्रश्न:8  ऊतक क्या है ? जन्तु ऊतक कितने प्रकार के होते हैं ? किसी एक का कार्यसहित वर्णन करें।

उत्तर:-  ऊतक ऐसी कोशिकाओं के समूह हैं जो उत्पत्ति, संरचना तथा कार्य के दृष्टिकोण से एक प्रकार की होती हैं। विभिन्न प्रकार के ऊतक मिलकर एक सुव्यवस्थित अंग का निर्माण करते हैं।

जन्तु ऊतक चार प्रकार के होते हैं जो निम्न हैं-

(i) उपकला या एपिथीलियमी ऊतक

(ii) संयोजी ऊतक

(iii) पेशी ऊतक

(iv) तंत्रिका ऊतक

(i) उपकला या एपिथीलियमी उत्तक– एपिथीलियमी ऊतक अंगों की बाहरी पतली परत तथा आन्तरिक अंगों की भीतरी स्तर का निर्माण करती है। ऐसे ऊतकों में अन्तर कोशिकीय स्थान अर्थात् कोशिकाओं के बीच के स्थान नहीं होते हैं। इनकी कोशिकायें एक-दूसरे से करीब-करीब सही होती हैं। ऐसे ऊतक अंगों की रक्षा करते हैं। ये विसरण, स्रवण तथा अवशोषण में सहायता करते हैं।

एपिथीलियमी ऊतक के कार्य-

(a) त्वचा की बाह्य परत का निर्माण करना।

(b) कोमल अंगों की बाहरी परत बनाकर उनकी रक्षा करना।

(c) पोषक पदार्थों के अवशोषण में सहायता करना।

(d) व्यर्थ पदार्थों के निष्कासन में सहायता करना।

 

प्रश्न:9 एपिथीलियमी ऊतक कहाँ पाया जाता है ? इसकी विशेषताओं और कार्यों का वर्णन करें।

उत्तर:-  एपिथीलियमी ऊतक जन्तु ऊतक में पाया जाता है। ये अंगों की बाहरी पतली तरल तथा आन्तरिक अंगों की भीतरी स्तर का निर्माण करती हैं। ऐसे ऊतक में अन्तरकोशिकीय स्थान अर्थात् कोशिकाओं के बीच के स्थान नहीं होते हैं। इनकी कोशिकायें एक-दूसरे से करीब-करीब सटी होती हैं। ऐसे ऊतक अंगों की रक्षा करते हैं। ये विसरण, प्रवण तथा अवशोषण में सहायता करते हैं। कोशिकाओं का भित्ति के रूप में पाये जाने के कारण इसे बहुत अच्छा रक्षक ऊतक माना जाता है। हमारी त्वचा, मुँह का बाह्य आवरण, फेफड़े इत्यादि सभी एपिथीलियम ऊतक के बने होते हैं।

एपिथीलियंमी ऊतक की विशेषताएँ-

(i) ये एक विशेष उप-प्रकार में समान कोशिकाओं के बने होते हैं।

(ii) कोशिकाओं के बीच अन्तरकोशिकीय अवकाश नहीं होते हैं।

एपिथीलियमी ऊतक के कार्य-

(a) त्वचा की बाह्य परत का निर्माण करना।

(b) कोमल अंगों की बाहरी परत बनाकर उनकी रक्षा करना।

(c) पोषक पदार्थों के अवशोषण में सहायता करना।

(d) व्यर्थ पदार्थों के निष्कासन में सहायता करना।

 

प्रश्न:10 रक्त या रुधिर की संरचना का वर्णन करें।

उत्तर:-  रक्त या रुधिर एक संवाहन अथवा संयोजी ऊतक है। इनका अन्तरकोशिकीय पदार्थ तरल होता है, जिसमें कोशिकायें बिखरी रहती हैं। इसलिए इन्हें तरल ऊतक कहते हैं। रक्त या रुधिर के तरल भाग को प्लाज्मा कहते हैं। इसमें रुधिर कणिकायें तैरती रहती हैं।

प्लाज्या– यह हल्के पीले रंग का चिपचिपा और थोड़ा क्षारीय द्रव्य है, जो आयतन के हिसाब से सारे रुधिर का 55% भाग है। शेष 45% में रुधिर कणिकायें होते हैं। प्लाज्मा में 90% भाग जल है, एवं शेष 20% में प्रोटीन तथा कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ होते हैं।

रुधिर कणिकायें– 

ये तीन प्रकार की होती हैं जो इस प्रकार हैं-

(i) लाल रुधिर कणिकायें (Red blood cells or RBC or Erythrocytes)

(ii) श्वेत रुधिर कणिकायें (White blood cells or WBC or leucocytes)

(iii) प्लेटलेट्स (Platelets)

(i) लाल रुधिर कणिकायें- मेढ़क में बड़ी तथा अण्डाकार होती हैं एवं प्रत्येक में एक केंद्रक होता है। स्तनी (मनुष्य, खरगोश आदि) में लाल रुधिरकण बाइकॉनकेव या उभयावतल होता है, पर सतह गोलाकार होती है एवं इसमें केंद्रक नहीं होता है। ये लाल अस्थिमज्जा में बनती हैं।

लाल रुधिरकण में एक प्रोटीन रंजक हीमोग्लोबिन होता है, जिसके कारण इन कणों का रंग लाल होता है। हीमोग्लोबिन एक प्रोटीन ग्लोबिन (96%) एवं एक रंजक हीम (4-5%) से बना होता है। हीम अणु के केंद्र में लोहा (Fe) होता है, जिसमें ऑक्सीजन को बाँधने और मुक्त करने की क्षमता होती है।

(ii) श्वेत रुधिर कणिकायें– ये अनियमित आकृति की केंद्रकयुक्त और हीमोग्लोबिन रहित होती है। इनकी संख्या लाल रुधिरकणों की अपेक्षा बहुत कम होती है। कुछ सूक्ष्मकणों की उपस्थिति के आधार पर इन्हें दो प्रकार का माना जाता है, जिन श्वेत रुधिरकणिकाओं में कण मौजूद हैं, उन्हें ग्रेनुलोसाइट कहते हैं, जैसे न्यूट्रोफिल, इओसिनोफिल और बेसोफिल। इनका केंद्रक पालिवत

होता है।

कुछ श्वेत रुधिर कणिकाओं के कोशिकाद्रव्य में कण नहीं पाये जाते हैं इन्हें एग्रेनुलोसाइट कहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं–लिम्फोसाइड एवं मोनोसाइट। लिम्फोसाइट एंटीबॉडी के निर्माण में भाग लेती है। अन्य श्वेत रुधिरकणिकायें जीवाणुओं को नष्ट करने का प्रधान कार्य करती है।

(iii) रुधिर प्लेटलेट्स या थ्रोम्बोसाइट्स– मेढ़क के रुधिर में छोटी-छोटी तर्क आकार की केंद्रकयुक्त कोशिकायें पोयी जाती हैं, इन्हें थ्रोम्बोसाइट कहते हैं। स्तलियों में ये सूक्ष्म, रंगहीन, केंद्रकहीन कुछ गोलाकार, टिकिये के समान होते हैं, इन्हें प्लेटलेट्स कहते हैं। रक्त के थका बनने (Blood Clotting) में मदद करना इनका प्रधान कार्य है।

 

प्रश्न:11 पेशी ऊतक क्या है ? अरेखित तथा रेखित पेशी ऊतकों की रचना एवं कार्यों का वर्णन करें।

उत्तर:-  पेशी ऊतक की कोशिकायें लंबी होती हैं। इन कोशिकाओं के भीतर पाये जाने वाला तरल सार्कोप्लाज्मा कहलाता है। सार्कोप्लाज्मा में केंद्रक होता है। जन्तुओं के शारीरिक अंगों में गति पेशी ऊतक के कारण ही होती है। भौतिकी और कार्यिकी के आधार पर पेशी ऊतक तीन प्रकार की होती है-

(i) अरेखिक या अनैच्छिक

(ii) रेखित या ऐच्छिक

(iii) हृदपेशी।

अरेखित और रेखित पेशी ऊतकों का वर्णन इस प्रकार है-

अरेखित पेशी- ये पेशियाँ नेत्र की आइरिस (iris) में, वृषण और उसकी नलिकाओं में, मूत्रवाहिनियों और मूत्राशय में तथा रक्तवाहिनियों में पायी जाती हैं। आहारनाल की भित्ति में ये अनुदैर्घ्य और गोलाकार पेशी स्तरों के रूप में दिखायी देती है, अरेखित पेशी या कोशिका तर्कु में की आकृति की होती है, जिसमें प्रचुर मात्रा में कोशिकाद्रव्य और एक केंद्रक पाया जाता है। उचित प्रकार के अभिरंजन से इसके अन्दर अनेक पेशी तंतुक देखे जा सकते हैं। अरेखित पेशी का संकुचन जंतु के इच्छाहीन नहीं है। इसीलिये इसे अनैच्छिक पेशी कहते हैं। तंतु पर पट्टियाँ नहीं होती हैं, अतः इसे अरेखिक पेशी तंतु भी कहते हैं। आहारनाल के एक भाग से दूसरे भाग में भोजन का प्रवाह इस पेशी के संकुचन एवं प्रसार के कारण होता रहता है।

रेखित पेशी- ये पेशियाँ जंतु के कंकाल से जुटी रहती हैं और इनमें ऐच्छिक गति होती है। इसलिये इन्हें कंकाल पेशी या ऐच्छिक पेशी भी कहते हैं। यह पेशी अनेक बहुकेंद्रक तंतुओं द्वारा बनती है। प्रत्येक तंतु या कोशिका एक पतली झिल्ली सारकोलेमा से घिरी रहती है। इसके अन्दर के कोशिका द्रव्य को सार्कोप्लाज्म कहते हैं, जिसमें अनेक मायोफाइब्रिल होते हैं। मायोफाइबिल पर एकांतर रूप से गाढ़ी और हल्की पट्टियाँ होती हैं। यह पेशी शरीर के बाहु, पैर, गर्दन आदि में पायी जाती है एवं इसका भार शरीर के भार का प्रायः 50% होता है, रेखित पेशियाँ तत्रिका द्वारा उत्तेजित होती हैं।

 

प्रश्न:12 रक्त एवं लसीका के कार्यों का वर्णन करें।

उत्तर:-  रक्त या रुधिर के दो मुख्य कार्य हैं-परिवहन एवं ताप नियंत्रण।

(i) रुधिर द्वारा पची भोजन सामग्री (ग्लूकोस, ऐमीनो अम्ल आदि), अन्तःस्रावी एवं उत्सर्जी पदार्थों गैसों (ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड) आदि का परिवहन विभिन्न अंगों में होता है।

(ii) यकृत और पेशियों में जो ताप उत्पन्न होता है, वह रुधिर द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में पहुँचाया जाता है जिससे शरीर का तापमान नियंत्रित होता है।

(iii) श्वेताणु जीवाणुओं तथा अन्य हानिकारक पदार्थों को नष्ट कर देते हैं।

(iv) प्लेटलेट्स रुधिर को जमाने में मदद करता है।

लसीका के कार्य-

(i) लसीका में मौजूद लिम्फोसाइट्स रोगाणुओं जैसे जीवाणुओं का भक्षण कर उनको नष्ट कर संक्रमण से हमारी सुरक्षा करते हैं।

(ii) यह पोषक पदार्थों का परिवहन करता है।

(iii) लसीका शरीर में असंक्राम्य तंत्र का निर्माण करता है।

 

प्रश्न:13 तंत्रिका ऊतक की इकाई क्या है ? इसका स्वच्छ एवं नामांकित चित्र बनायें। (वर्णन की आवश्यकता नहीं है)

उत्तर:-  तंत्रिका ऊतक की इकाई न्यूरॉन या तंत्रिका कोशिका है।

 

प्रश्न:14 न्यूरॉन या तंत्रिका कोशिका की संरचना का चित्र सहित वर्णन करें।

उत्तर:-  तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं को न्यूरॉन कहते हैं। न्यूरॉन तंत्रिका ऊतक की इकाई है। न्यूरॉन के निम्नलिखित भाग होते हैं-

(i) एक कोशिकाय या साइटन (cell body or cyton),

(ii) कोशिका प्रवर्ध या डेंडुन (dendron)। डेंड्रन पुनः शाखित होकर पतले-पतले डेंड्राइट्स बनाता है, जो आवेग को साइटन में लाता है एवं (iii) एक लंबा तंत्रिका तंतु जिसे ऐक्सॉन (axon) कहते हैं। ऐक्सॉन आवेग को साइटन से आगे की ओर ले जाता है।

Leave a Reply